6 सितंबर, 2020 को, 'मिशन: इम्पॉसिबल- डेड रेकनिंग पार्ट वन' की प्रमुख फोटोग्राफी के पहले दिन, टॉम क्रूज़ ने एक पहाड़ से मोटरसाइकिल चलाई थी. उन्होंने एक कस्टम होंडा सीआरएफ 250 को विशेष रूप से निर्मित रैम्प पर चलाया, जो कि नॉर्वे के हेलसेटकोपेन पर्वत के किनारे बनाया गया था. खास बात यह है कि यह रैम्प समुद्र तल से लगभग 1,200 मीटर ऊपर एक खड़ी चट्टान पर स्थित था. इस दौरान वे जमीन से बमुश्किल 500 फीट ऊपर अपना पैराशूट खोलने से पहले 4,000 फीट नीचे खोह में उतर गए.
जब वे दिखाई दिए, तब जाकर डायरेक्टर- क्रिस्टोफर मैकक्वेरी और उनके मिशन के सह-कलाकारों के क्रू ने राहत की साँस ली, जो वीडियो विलेज की सुरक्षा से सिनेमेटिक सीक्वेंस देखने के लिए एकत्रित हुए थे. क्रूज़ खुद को तैयार करते और फिर चल पड़ते सीक्वेंस करने. आश्चर्य की बात है कि उन्होंने यह सब एक या दो बार नहीं, बल्कि सात बार दोहराया, सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए कि फुटेज सही हो.
इस स्टंट के बारे में बात करते हुए टॉम क्रूज़ कहते हैं, "हर बार जब भी मैं रैम्प से उतरता था, तो यह मेरे लिए बेहद खतरनाक होता था. इससे मेरी जान को खतरा था, और हम इसे न्यूनतम रखना चाहते थे. मिशन: इम्पॉसिबल फिल्म में एक कहावत है: 'सुरक्षित मत बनो, सक्षम बनो. निश्चित रूप से प्रोडक्शन का हर एलिमेंट व्यापक प्रशिक्षण नियमों और कठोर सुरक्षा प्रोटोकॉल्स से होकर गुजरता है."
हालाँकि, क्रूज़ को अब इसकी बहुत अच्छे से प्रैक्टिस हो चुकी थी, लेकिन एक लम्बे समय से इसकी योजना बनाई जा रही थी. मोटरबाइक जंप, जिसमें एथन हंट किनारे से ज़ूम करता है, बाइक को गिराता है और छह सेकंड की विंडो में प्रभाव से पहले एक उच्च जोखिम वाली बेस जंप को अंजाम देता है, यह सब वास्तव में देखने लायक है. प्री-प्रोडक्शन के दौरान यूके में एक वर्ष तक रिहर्सल करने के बाद, शूटिंग शुरू होने तक उन्होंने स्क्रीन पर अब तक के सबसे खतरनाक स्टंट की तैयारी के लिए 500 से अधिक स्काइडाइव्स और 13,000 मोटोक्रॉस जम्प्स पूरे कर लिए थे.
हालाँकि, सच्चाई यह है कि यह स्टंट क्रूज़ के दिमाग में यह सब उससे भी कहीं अधिक समय से चल रहा था. वे कहते हैं, "जब मैं छोटा बच्चा था, तो मैं कूड़े के डिब्बों के ऊपर से कूदने के लिए रैम्प बनाते हुए अपनी साइकिल से छलाँग लगाता था."
जब क्रूज़ आठ वर्ष के थे, उस समय की बात याद करते हुए कहते हैं, "मैं हमेशा ही कुछ खतरनाक चीजों को करने की तलाश में रहता था." एक स्थानीय कंस्ट्रक्शन साइट से उन्हें एक प्लाईवुड मिला और उस पर उन्होंने अपनी अब तक की सबसे बड़ी अस्थायी छलाँग लगाई. यह बताए हुए वे हँसकर कहते हैं, "मैंने अपनी साइकिल पहाड़ी से नीचे उतारना शुरू की, रैम्प पर कूद पड़ा, इसके बाद लकड़ी दो भागों में बँट गई और कुछ कूड़ेदान भी टूट गए. इसके बाद मैं क्या देखता हूँ कि हर जगह खून ही खून था. कई वर्षों से मैं यह सब करता आ रहा हूँ, इस दौरान मैंने बहुत खून बहाया है, मेरी हड्डियाँ और दाँत टूट चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद यह कुछ ऐसा है, जो मैं हमेशा से करना चाहता था."
इन सबसे परे, जब बात वास्तविक शूटिंग की आती है, तो प्रत्येक सीक्वेंस का मॉलिक्यूलर रूप से भी विस्तारपूर्वक पूर्वाभ्यास किया गया है. योग्यता के लिए क्रूज़ की निरंतर खोज का सबसे आदर्श उदाहरण उनका स्पीडोमीटर है. या फिर यूँ कहें, स्पीडोमीटर की कमी. वे कहते हैं, "जब भी मैं रैम्प से कूदता था, तो मुझे एक निश्चित स्पीड की आवश्यकता होती थी <बेस जंप स्टंट में>, लेकिन मैं बाइक पर स्पीडोमीटर नहीं लगा सकता था, क्योंकि रैम्प इतना सकड़ा था कि यदि मैं नीचे देखता, तो मैं गिर जाता. इसलिए, मुझे इंजन की आवाज़ व कंपन के माध्यम से और अपने शरीर के ऊपर हवा में मॉलिक्यूल्स को महसूस करके बाइक की स्पीड का अनुमान लगाना था. यह योग्यता का वह स्तर था, जिस तक मुझे पहुँचना था, और मैं मानता हूँ कि मैंने इस तक पहुँचने की पूरी कोशिश की."
टॉम क्रूज़ के प्रोडक्शन में बनी फिल्म 'मिशन: इम्पॉसिबल- डेड रेकनिंग पार्ट वन' को पैरामाउंट पिक्चर्स और स्काईडांस द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जो 12 जुलाई को पूरे भारत में अंग्रेजी, हिंदी, तमिल और तेलुगु भाषाओं में रिलीज़ होने के लिए तैयार है.