तृप्ति अगरवाल: प्यार का दिन है वेलेटाइन-डे! मैं इसे गीतों से सजाती हूं!

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By Sharad Rai
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तृप्ति अगरवाल: प्यार का दिन है वेलेटाइन-डे! मैं इसे गीतों से सजाती हूं!

वेलेंनटाइन डे का खुमार बॉलीवुड में बहुत देखा जाता है।अभिनेत्री और कवियत्री तृप्ति अगरवाल ऐसे समय पर गोवा बीच पर, मालद्वीपस में या ऐसे ही किसी रोमांटिक टूरिस्ट प्लेस पर जाकर प्रेम की कविताएं लिखा करती हैं। दर्शक इस अभिनेत्री को बड़े और छोटे पर्दे पर बहुत बार देख चुके हैं। उनकी पिछली फिल्म - 'फ्रेडी' थी (कार्तिक आर्यन और अलाया एफ.के साथ।वह अलाया एफ. की मां बनी थी।) छोटे पर्दे पर 'छोटी सरदारनी', 'यह रिश्ता क्या कहलाता है'( मिसेज जिंदल) और ओटीटी पर वेब सीरीज 'गन्दीबात' में ओझा माई के रूप में उन्हें लोगों ने पसंद किया है। यहाँ प्रस्तुत है अभिनय की दुनिया से अलग थलग 'वेलेंटाइन डे' के अवसर पर लिखी गयी प्रेम को समर्पित करती तृप्ति अगरवाल की दो कविताएं:

 

पहला पहला प्यार
कौन है वो जिसका मुझे
हर पल रहता है इंतेज़ार
क्यूं धड़क जाता है दिल
हर आहट पे बार बार।
       दर्द में मीठा दर्द जगाए
       क्यूं ये पायल की झनकार
       क्या है इस दर्द में ऐसा
       कि छाने लगा है खुमार।    सुखी बंजर धरती पर यूं
बरसी है रिमझिम फुहार
उजड़े गुलशन में  अचानक
जैसे आ गयी हो बहार।
       आज तलाक जो पास था
       कहां है वो दिल का करार
        किससे मिलने की चाहत में
        दिल रहता है यूं बेकरार।
हुआ क्या है तुझे ये दिल
कुछ तो बता दे मेरे यार
कहीं तुझे हुआ तो नहीं है
किसी से पहला पहला प्यार ?

तमन्ना
दिल में अपने बसा लो मुझे
धड़कन की तरह
कि महक उठे तनमन मेरा
मधुबन की तरह।
        खिल उठी हैं कलियां कुछ ऐसे
        तबस्सुम की तरह
        निखर निखर गयी है फिजां
        शबनम की तरह ।
आओ पिया, यूं मिल जाएं हम
सुर संगम की तरह
कि बज उठे मन-वीणा के तार
सरगम की तरह ।
         महक रही हैं सांसें तुम्हारी
         चंदन की तरह
         भींग उठा है मन का आंगन
          सावन की तरह।
छाया है चारों ओर नाम तुम्हारा
गुंजन की तरह
निखरा है तप कर प्यार हमारा
कुंदन की तरह।
      अक्स अपना देखूं इन आँखों में
      दर्पण की तरह
      तमन्ना है मेरी, सजा दो मुझे
      दुल्हन की तरह ।।  

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