ब्रिटेन के शिक्षक शिक्षण, स्वास्थ्य, जीव विज्ञान, खेल विज्ञान, कला, कानून और अन्य विषयों में अति उत्तम व्यवस्था के साथ सर्वाधिक नवोन्मेषी और सर्वाधिक समावेशी विश्वविद्यालयों में से एक, यूनिवर्सिटी ऑफ़ वूर्स्टर ने “सेलेब्रेटिंग इनक्लूजन” का आयोजन किया. मुंबई में संपन्न इस शानदार आयोजन का लक्ष्य सम्पूर्ण भारत से शिक्षार्थियों, अध्यापकों और सरकार की व्यापक उपस्थिति दर्ज करना और भर्ती बढ़ाना था. यूनिवर्सिटी ऑफ़ वूर्स्टर ने शिक्षाविद और बॉलीवुड अभिनेत्री डॉ. स्वरुप संपत-रावल को, शिक्षा एवं समावेशन के क्षेत्र में उनके योगदान के सम्मान में मानद डॉक्टरेट की उपाधि से विभूषित किया. इस समारोह में सरकार के मंत्रीगण, शिक्षा जगत के लीडर्स और सुविख्यात शख्सियतें मौजूद थीं. महाराष्ट्र सरकार के माननीय शिक्षा मंत्री, श्री विनोद तावड़े समारोह में सम्मानित मुख्य अतिथि के रूप में अपना संबोधन किया. राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता और संसद सदस्य, श्री परेश रावल बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे जिन्होंने मानद डॉक्टरेट प्रदान किये जाते समय अपनी पत्नी, पूर्व मिस इंडिया डॉ. स्वरुप संपत-रावल का उत्साहवर्धन किया. भारत सरकार के माननीय माँनव संसाधन विकास मंत्री, श्री प्रकाश जावडेकर ने अपना निजी सन्देश प्रेषित करके न केवल डॉ. संपत को, बल्कि यूनिवर्सिटी ऑफ़ वूर्स्टर को भी शुभकामनाएँ दीं.
शिक्षकों को पढ़ाने के लिए ब्रिटेन के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शुमार यूनिवर्सिटी ऑफ़ वूर्स्टर ने वैयक्तिक सामाजिक शिक्षा में नया डिप्लोमा कोर्स भी आरम्भ किया है. स्कूलों के माध्यम से अध्यापकों को यह नया सेवाधीन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम (इन-सर्विस ट्रेनिंग प्रोग्राम) मुहैया करने के लिए शिक्षाविद और बॉलीवुड अभिनेत्री डॉ. स्वरुप संपत-रावल के साथ गठबंधन किया है. इस नए डिप्लोमा से बच्चों को जीवन कौशल प्रदान करने के लिए अध्यापक ज्यादा समर्थ बनेंगे. यह डिप्लोमा अभी मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया में है जिसके बाद इसे भारत और यूके दोनों देश में पढ़ाया जाएगा. इसका लक्ष्य दोनों देश में अध्यापकों को आवश्यक युक्तियाँ विकसित करने में सहयोग करना है ताकि वे आत्मविश्वास के साथ सभी बच्चो को जीवन कौशल प्रदान कर सकें.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ वूर्स्टर के वाईस चांसलर, प्रोफेसर डेविड ग्रीन ने कहा कि, “हमें यह महत्वपूर्ण, नवोन्मेषी पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए स्वरुप संपत-रावल के साथ मिलकर कार्य करने में बेहद खुशी हो रही है. इससे भारत और यूके, दोनों देश में अध्यापको की पेशागत कुशलताओं में काफी सुधार होगा और वे आवश्यक जीवन कौशल विकसित करने में बच्चों को समर्थ बनायेंगे. यूनिवर्सिटी ऑफ़ वूर्स्टर में हमने काफी समय से शिक्षा के प्रति एक दृष्टिकोण की हिमायत की है, जिसमें आधुनिक वैज्ञानिक, पेशेवर विशेषज्ञता और सर्वश्रेष्ठ स्थायी मानव मूल्यों का संयोजन है. हमारा मानना है कि चरित्र और क्षमता ही काम आती है. बच्चों के लिए जीवन कौशल में स्वरूप का कल्पनाशील, समर्पित विकास प्रेरणादायक है और यूनिवर्सिटी के सिद्धान्तों और मूल्यों के बिलकुल अनुरूप है. हमारे लिए सचमुच अत्यंत आनंद का विषय है कि स्वरुप यूनिवर्सिटी ऑफ़ वूर्स्टर से डबल डॉक्टरेट प्राप्त करने वाली प्रथम व्यक्ति हैं – पहला उनके उत्कृष्ट पी.एचडी. थीसिस के लिए और अब उनके मानद डॉक्टरेट के लिए, जो समावेशी शिक्षा और जीवन कौशल में उनके वर्षों के प्रेरणादायक कार्य के सम्मान में दिया गया है.”
प्रोफेसर डेविड ग्रीन ने आगे यह भी कहा कि, “भारत की आज़ादी के साल 1947 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ वूर्स्टर के स्नातकों ने “शिक्षा के माध्यम से शान्ति की स्थापना” के लिए योग्यता, विशेषज्ञता और व्यावसायिकता के साथ प्रशिक्षित अध्यापकों के रूप में अपनी आजीविका आरम्भ की थी. उसके बाद के 70 वर्षों में वूर्स्टर के शिक्षण स्नातकों ने अपनी उच्च मानदंड और गुणवत्ता के लिए असाधारण ख्याति अर्जित की है. सेलेब्रेटिंग इनक्लूजन सम्मलेन में उपस्थित वूर्स्टर के स्नातकों में दून स्कूल के हेडमास्टर, मैथ्यू राग्गेत सम्मिलित हैं.”
डॉ. संपत-रावल यूनिवर्सिटी ऑफ़ वूर्स्टर की भूतपूर्व छात्रा हैं जिन्होंने वूर्स्टर में पीएच.डी. के लिए पढ़ाई की थी. उनकी डॉक्टरेट की थीसिस सीखने की दुर्बलता से पीड़ित बच्चों में जीवन कौशल बढ़ाने के लिए नाटक के प्रयोग पर आधारित थी. डॉ. स्वरुप संपत-रावल का जीवन भारत में युवाओं को शिक्षित करने के प्रति समर्पित है. उनके कार्यों का भारत में भारी प्रभाव हुआ है. डॉ. संपत-रावल ने खुद को सामुदायिक विकास और प्रचार के लिए समर्पित कर दिया है. वे अधिकाधिक बच्चों को, जैसे कि आदिवासी समुदायों या गलियों में भटकने वाले बच्चों को क्लासरूम में लाने के अभियान के साथ-साथ देश भर में घूम-घूम कर शिक्षकों को प्रशिक्षित कर रही हैं.
मानद डॉक्टरेट प्राप्त करने पर डॉ. स्वरुप संपत-रावल ने कहा कि, “मानद डॉक्टरेट प्राप्त करना मेरे लिए गौरव की बात है और यह शिक्षा एवं समावेशन की दिशा में मेरे कार्यों का सम्मान है. मैंने जब अपने गृह राज्य गुजरात में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में जीवन कौशल पढ़ाने का प्रस्ताव किया था तब तत्कालीन मुख्य मंत्री और वर्तमान प्रधानमन्त्री, नरेन्द्र मोदी ने मेरी दृष्टि और योजना को तुरंत स्वीकार कर लिया. उस वक्त मेरा फोकस स्टुडेंट्स के मानसिक स्वास्थ्य की समस्या के हल पर था, जो उनके शैक्षणिक और सामाजिक जीवन में काफी उपेक्षित और कम समझा गया पहलू है. तब से सरकार, स्कूलों और अध्यापकों के सहयोग से मैंने काफी काम किया है, किन्तु अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है.”
डिप्लोमा के विषय में डॉ. संपत स्वरुप-रावल ने कहा कि, “मैं पर्सनल सोशल एजुकेशन में इस नए डिप्लोमा कोर्स को लेकर अत्यंत उत्साहित हूँ जैसा कि टीचर्स और स्टुडेंट्स के जीवन में इसका महत्वपूर्ण प्रभाव होगा. यह नया डिप्लोमा प्रदान करने के लिए यूनिवर्सिटी की साझेदारी में काम करने के अवसर से बेहद खुश हूँ. भारत में मेरे कार्य यूनिवर्सिटी ऑफ़ वूर्स्टर के सिद्धांतों से बिलकुल मेल खाते हैं. मेरा काम समावेशन और सभी के लिए उपलब्धि सुनिश्चित करने पर आधारित है और यूनिवर्सिटी ऑफ़ वूर्स्टर भी इसी उद्देश्य को लेकर चल रहा है. शिक्षक प्रशिक्षण में वूर्स्टर यूनिवर्सिटी का शानदार इतिहास है, इसलिए जाहिर है मेरे अभियान में उनसे बढ़िया और कोई हमसफ़र नहीं हो सकता था. पर्सनल सोशल एजुकेशन में इस नए डिप्लोमा कोर्स से शिक्षक बच्चों में जीवन कौशल भरने के लिए बेहतर ढंग से निपुण होंगे जो आज की दुनिया के लिए बेहद ज़रूरी है. इस डिप्लोमा कोर्स को यूनिवर्सिटी ऑफ़ वूर्स्टर के शिक्षक प्रशिक्षण के लम्बे अनुभव और समावेशन के प्रति इसकी प्रतिबद्धता के आधार पर तैयार किया गया है.