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फिल्म ‘सत्या’ ने 3 जुलाई को रिलीज होने के 25 साल पूरे कर लिए. राम गोपाल वर्मा की पथ-प्रदर्शक फिल्म में उर्मिला मातोंडकर, मनोज बाजपेयी, शेफाली शाह और जेडी चक्रवर्ती ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं. एक नए ट्वीट में, फिल्म में विद्या की भूमिका निभाने वाली उर्मिला ने अपने चरित्र की तस्वीरें शेयर कीं और बताया कि कैसे उस वर्ष पुरस्कार समारोहों में उनकी उपेक्षा की गई थी.
सत्या पर उर्मिला का ट्वीट
एक ट्वीट में, उर्मिला ने पुरस्कार समारोहों पर कटाक्ष किया और कहा कि कैसे उन्होंने सत्या में एक भूमिका निभाई, जो उनके करियर की ग्लैमरस भूमिकाओं के बिल्कुल विपरीत थी और फिर भी उन्हें पुरस्कार समारोहों में नजरअंदाज कर दिया गया. उन्होंने ट्वीट किया, "सत्या के 25 साल और एक शानदार ग्लैमरस करियर के शिखर पर साधारण भोली-भाली चॉल (एक प्रकार की आवासीय इमारत) की लड़की विद्या का किरदार निभाना. लेकिन इसका 'अभिनय' से क्या लेना-देना है... इसलिए कोई पुरस्कार नहीं और नहीं." यहां तक कि नामांकन भी. इसलिए बैठ जाइए और मुझसे पक्षपात और भाई-भतीजावाद के बारे में बात मत कीजिए... बस कह रही हूं."
25yrs of Satya n of playing simple naive chawl girl Vidya at the peak of an scintillating glamorous career. But NO what did that have to do with “acting”.. so no awards n not even nominations. So sit down n don’t talk to me about favouritism n nepotism..#jastsaying pic.twitter.com/xIcRkHoE8l
— Urmila Matondkar (@UrmilaMatondkar) July 3, 2023
सत्या को मिले पुरस्कार
सत्या 1998 में रिलीज़ हुई और उस वर्ष कई पुरस्कार जीते, विशेष रूप से मनोज बाजपेयी और शिल्प टीम के लिए. इसने छह फिल्मफेयर पुरस्कार जीते, जिनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म (आलोचक), मनोज बाजपेयी और शेफाली शाह दोनों के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (आलोचक), संदीप चौटा के लिए सर्वश्रेष्ठ पृष्ठभूमि स्कोर, सर्वश्रेष्ठ संपादन - अपूर्व असरानी और भानोदय और एच. श्रीधर के लिए सर्वश्रेष्ठ ध्वनि डिजाइन शामिल हैं. इसमें भीकू म्हात्रे की भूमिका के लिए मनोज बाजपेयी के अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता गया. उस वर्ष काजोल ने कुछ कुछ होता है और दुश्मन में अपने अभिनय के लिए विभिन्न पुरस्कार समारोहों में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के अधिकांश पुरस्कार जीते.
उर्मिला का राजनीतिक करियर
मार्च 2019 में उर्मिला भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुईं और 2019 के लोकसभा चुनाव में उतरीं. चुनाव हारने के बाद, उसी साल बाद में, उर्मिला ने 'आंतरिक राजनीति' का हवाला देते हुए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. दिसंबर 2020 में वह शिवसेना में शामिल हो गईं. उर्मिला को आखिरी बार 2018 की फिल्म ब्लैकमेल में देखा गया था.