क्यों मनाया जाता है वैलेंटाइन डे? क्या है इसके पीछे की कहानी? By Mayapuri Desk 13 Feb 2021 | एडिट 13 Feb 2021 23:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर वैलेंटाइन वाले बाबा को लेकर बड़ी सारी भ्रांतियां और कहानियां हैं। कुछ किस्से शायद हुए होंगे, कुछ बना लिए गए हैं। जो मुझे सबसे ज़्यादा पसंद है वो बताता हूँ। वलेंतीनो नामक एक पादरी था। ये तीसरी सदी की बात है, बहुत बढ़िया नेचर का धार्मिक, जिंदादिल आदमी था और ढीट, निडर प्रवत्ति का था। तब क्लाउडियस (द्वितीय) का साम्राज्य भल्लालदेव की माहेष्मती के साम्राज्य से भी बुरा था। क्लाउडियस को धरती पर विज़िबल एक-एक इंच ज़मीन चाहिए थी, शेयरिंग इज़ केयरिंग क्या होता है ये उस गब्बर की औलाद को किसी ने बताया ही न था। वो वही दौर था जब सूली (नुकीला खम्बा) पर चढ़ा दिया जाता था (Actually दो फाड़ करने के लिए बिठा देते थे), हुक पर लटकाया जाता था, भेड़ियों के सामने, शेर के सामने छोड़ दिया जाता था। आख़िर क्यों सेना में कोई भरती नहीं होना चाहता था? तो, क्लाउडियस को एक समय लगा कि उसकी सेना में नए जवान उतनी तेज़ी से भर्ती नहीं हो रहे हैं जितनी उसे उम्मीद है। उसने वजह पता लगाने के लिए आधे सिपाही उधर भेजे, आधे इधर भेजे, बाकी अपने पीछे रख लिए। एग्जिट पोल का नतीजा जो उसकी पारखी नज़र में आया, वो ये था कि लोग शादी बहुत कर रहे हैं। उसके साम्राज्य में साले सेल्फिश लोग प्यार परिवार पर ही सारा फोकस रखते हैं, सेना के लिए, देश के लिए तो टाइम ही नहीं है उनके पास। तो उस दौर के किम जोंग उर्फ क्लाउडियस ने फ़रमान जारी किया कि अबसे साला कोई शादी नहीं करेगा। चुप बिलकुल, नाड़ा बांधो टाइट, पानी पियो ठंडा, आओ सैनिक बन लड़ने, पकड़ हाथ में डंडा। अब जनता में त्राहिमाम त्राहिमाम मच गया। लोग बोले जे क्या स्टुपिडिटी है बे, माना तब बेनकुएन्ट बुक नहीं होते थे तो क्या हुआ, ब्याह की आस लगाए दिल तो होता था। पर सनकी आदमी से सवाल कौन करे कि अरे लोमड़ी के बच्चे, शादियां नहीं होंगी तो बच्चे कब होंगे? बच्चे न हुए तो तेरी सेना में 'जवान' कहाँ से आयेंगे? बाबा वैलेंटाइन को ये सब बर्दाश्त न हुआ शायद ऐसा ही कोई लॉजिक चर्च के पिताजी वलेंतीनो के दिमाग में भी आया होगा। वो बन्दा चोरी छुपे ही सही लोगों की शादियां कराने लगा। (हो सकता है अच्छी नेग मिलेगी इसका लालच भी हो) वैसे भी क्रिसचैनिटी में शादी करने के लिए 3 दिन तो लगते नहीं कि मेहंदी, लेडीज़ संगीत और जयमाला हो, घुड़चढ़ी हो। चुपचाप नीम-अंधेरी चर्च में 'यस - यस' करवाना होता है। लेकिन इस यस-यस की आवाज़ भी क्लाउडियस के पतले कानों तक पहुँच गयी। वलेंतीनों लड़कियों में गुलाब बांटने के लिए भी मशहूर थे। मजनू भाई को एंटी रोमियो स्क्वाड वाले दबोच ले गए। राजा ने पूछा भी 'क्या बे, पीठ पीछे क्या गुल खिला रहे हो?' पर जवाब न सुना और जेल में डलवा दिया। जो मुझे पसंद है वो इस किस्से का ये हिस्सा है, गुरु वलेंतीनों ने जेलर की बेटी से दोस्ती गांठ ली। वो लड़की उससे जेल में ही मिलने जुलने आने लगी। इसी दौरान मजनू भाई को मौत की सज़ा सुनाई गई और मौत भी कैसी? जनता के सामने पीट-पीटकर मार दिया जाएगा। अब दीदी डर गई। उसने आना ही बन्द कर दिया तो भैया ने एक आख़िरी ख़त भेजा, जिसमें सिर्फ ये लिखा था 'देल तुओ वलेंतीनो' मंझे 'फ्रॉम योर वैलेंटाइन' इसके बाद पादरी साहब को चौक में पीटा गया, हंटर से खाल उधेड़ने के बाद जबतक बेहोश न हो गए तबतक मारते रहे। फिर सिर काट धड़ से अलग कर दिया। ज्ञात हो कि दर्दभरी ही सही मगर ये कहानी है, किस्सा है जो मुझे पसंद है। ऐसे और भी बहुत से किस्से हैं जो अलग-अलग काल के वैलेंटाइन के बारे में बताते हैं। सही कौन सा है? कोई है भी कि नहीं? कुछ पता नहीं। हां इतना ज़रूर है कि फिर 5वीं सदी से 'विल यू बी माई वैलेंटाइन?' का ड्रामा ज़रूर शुरु हुआ लेकिन सीमित जगह तक। 14वीं सदी में किसी अमेरिकन को सूझा कि इस कहानी के चलते अच्छा बिजनेस बढ़ा सकते हैं और तबसे ग्रीटिंग, गुलाब, चॉकलेट, लहसुन, केक वगैरह का चलन बढ़ गया। चाचा वलेतीनों फिर सेंट वैलेंटाइन कहलाए जाने लगे। उनकी खोपड़ी पर फूलमाला सजाकर, सांता मारिया चर्च में रख दिया गया। तो सही मायने में, रोमन कैलेंडर के हिसाब से भी आज शहीदी दिवस है। काफी समय तक 14 फरवरी अफ़सोस करने के लिए होता था, कुछ जगह रोम में अब भी लोग इसे ख़ुशी नहीं दुःख का दिन मानते हैं। जैसे हमारे लिए आज का दिन अफ़सोस का दिन है, पुलवामा ब्लास्ट में हुए शहीद सैनिकों को नमन करने का दिन है, वो उनका इतिहास था, ये हमारा इतिहास है। कोई याद रखे न रखे, कम से कम हम तो न भूलें। - सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर' #Pulwama Attack #Valentine's Day हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article