विक्रम गोखले प्रेअर मीटः विक्रम गोखले को याद करते हुए हर कलाकार हुआ भावुक

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By Shanti Swaroop Tripathi
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विक्रम गोखले प्रेअर मीटः विक्रम गोखले को याद करते हुए हर कलाकार हुआ भावुक

हिंदी और मराठी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता तथा 2017 से 2022 तक बॉलीवुड कलाकारों की संस्था "सिंटा" के अध्यक्ष रहे विक्रम गोखले का 77 वर्ष की उम्र में लंबी बीमारी के चलते 26 नवम्बर 2022 को पुणे के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. स्व.विक्रम गोखले को श्रृद्धांजली देने के लिए सिने एंड टेलीविजन आर्टिस्ट एसोसिएशन (सिंटा) की तरफ से 21 दिसंबर 2022 की शाम मुंबई के इस्कॉन मंदिर के सभागृह में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. जिसमे दिवंगत आत्मा की शांति के लिए शबाना आजमी, गजेंद्र चैहान, दलीप ताहिल, जॉनी लीवर, विवेक वासवानी, सुधीर पांडे, स्मिता जयकर, अमित बहल, वरूण वडोला, इंद्रजीत सचदेव, राजेश्वरी सचदेव, शेलेश दातार,विवेक वासवानी सहित फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कलाकारों व फिल्म सर्जकों ने विक्रम गोखले को विनम्र श्रद्धांजलि दी. इस अवसर पर विक्रम गोखले की पत्नी वृषाली गोखले भी मौजूद रहीं. हर शख्स ने विक्रम गोखले को याद करते हुए अपने अनुभव भी बताए.

'मेरे लिए निजी क्षति है...अमित बहल'

इस अवसर पर 'सिंटा' के महासचिव अमित बहल ने विक्रम गोखले के निधन को निजी क्षति बताया. अमित बहल के लिए विक्रम गोखले हमेषा पिता की ही तरह रहे. यह संयोग ही है कि दोनों का जन्मदिन एक ही दिन आता है. इसके अलावा जब कुछ वर्ष पहले नब्बे साल की उम्र में अमित बहल के पिता का देहांत हुआ था, तब विक्रम गोखले ने अमित से कहा था- "रोओ मत. मैं तुम्हारा पिता ही हूँ." इतना ही नही अमित बहल ने विक्रम गोखले के संग तीन फिल्मों में अभिनय भी किया. तो वहीं 'सिंटा' में अमित बहल को विक्रम गोखले संग काम करने का अवसर मिला. 

खुदा अमित बहल ने कहा- "विक्रम जी मेरे पिता समान ही थे. मैं उन्हे काका कहा करता था.विक्रम काका जब भी मुझे परेशान देखते थे तो बोलते थे कि परेशान क्यों दिख रहे हो,तुम्हारा बाप आ गया है. उन्होंने संस्था के लिए बहुत सारे काम किए. वह संस्था से नहीं भी जुड़े थे, तब भी संस्था का कोई भी काम रहता था,उसे पूरा करते थे. वह कलाकार विरादरी के हित के लिए आगे बढ़कर काम किया करते थे. किसी भी समस्या के आने पर वह स्वयं राज्य की बडी बड़ी राजनीतिक हस्तियो से तुरंत फोन पर बातें कर लेते थे. उन्होने पिछले वर्ष ही पुणे में 'सिंटा' को एक एकड़ और 'मराठी चित्रपट संघ' को एक एकड़ जमीन दी थी, जिसका उपयोग उन कलाकारों के लिए वृद्धाश्रम खोलना है,जो वृद्धा वस्था में कमजोर पड़ जाते हैं."

विक्रम के साथ काम करने का सपना अधूरा रह गया-शबाना आजमी

विक्रम गोखले को विनम्र श्रृद्धांजली देते हुए शबाना आजमी ने  कहा- "जब भी मैं विक्रम गोखले साहब से मिलती थी,तो उनसे एक बात पूछती थी कि हम एक साथ कब काम कर रहे हैं? और वह हर बार यही बोलते थे, जब तू बोले. बड़ी अफसोस की बात है कि उनके साथ काम करने का सपना अधूरा रह गया. तो उनके साथ हमारा यह रिष्ता था. इस रिश्ते में उनके प्रति बेइंतिहा इज्जत थी. विक्रम गोखले जी की बहुत तारीफें की जाती हैं,उनके गुण गाए जाते हैं,मगर मुझे लगता है कि एक कलाकार के तौर पर उनकी जो सबसे बड़ी ताकत थी कि एक वक्त में हर गै्रविटास था उनमें. उनमें बहुत संजीदगी थी. वह नारियल की तरह कड़क थे. उनके व्यक्तित्व में जेंटिलनेस था. मुझे लगता है कि अगर किसी कलाकार के पास यह दो खूबी हैं कि आप एक तरफ ग्रैविटास भी हो सकते हैं,तो वहीं सीरियस भी हो सकते हैं. मैने उनकी कई फिल्में देखी और उनमें यह खूबी देखी थी. जब मैंने उनकी फिल्म 'उड़ान' देखी थी, तो मैं उन्हे बहुत अद्भुत होकर देखने लगी थी. हमें सिखाया जाता है कि कलाकार को अपने निजी राजनीतिक विचरों को परे रखकर हर किरदार को निभाना चाहिए. मेरी राय में ऐसा वही कलाकार कर सकता है,जिसका जिंदगी के साथ जोड़ बहुत पक्का है. विक्रम ऐसे कलाकार थे,जो कि जिंदगी के साथ जड़ों तक जुड़े हुए थे. उनके अंदर संजीदगी कमाल की थी. 'सिंटा' के अध्यक्ष के नाते उन्होंने बहुत गंभीरता के साथ काम किया. मेरे लिए उनका इस संसार से जाना मेरी निजी क्षति है."

विक्रम गोखले सदैव दूसरों के लिए जीते थे....जॉनी लीवर 

अभिनेता जॉनी लीवर ने विक्रम गोखले को श्रद्धांजलि देते हुए कहा- "जब विक्रम गोखले 'सिंटा' से नहीं जुड़े थे, तब भी वह सिंटा और सहयोगी कलाकारों के लिए हमेशा खड़ा रहे. किसी तरह की भी समस्या होती थी,तो उसे वह अपने राजनीतिक प्रभाव से दूर करने की कोशिश करते थे. वह ऐसे कलाकार थे,जो दूसरों के लिए जीते थे. उन्होंने सिंटा को एक एकड़ जमीन दान में दी है, जिससे वहां कुछ ऐसा बनाया जाए जो जरूरतमंद कलाकारों के काम आ सके. उन्होंने मराठी इंडस्ट्री के लिए भी एक एकड़ जमीन दान में दी है."

विक्रम ने समझाया कि सिनेाम मे यह चलता है... सुधीर पांडे 

अभिनेता सुधीर पांडे ने विक्रम गोखले को श्रृद्धांजली देते हुए कई यादें साझा की. सुधीर पांडे ने कहा- "मैने विक्रम गोखले के साथ फिल्म 'अग्निपथ' में अभिनय किया था. इस फिल्म में विक्रम गोखले और अमिताभ बच्चन के साथ एक सीन किया था. सीन करने के बाद हम दोनों ने कहा था कि यह तो बहुत बेहतरीन द्रश्य बन गया. मगर जब हम डबिंग करने पहुंचे तो देखा कि वह सीन नहीं है.में बहुत निराष हुआ. उस वक्त विक्रम गोखले ने मुझे समझाया था कि,'सिनेमा में यह सब चलता रहता हैं. सिर्फ अपने काम पर ध्यान दो.' सच कह रहा हॅूं मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा था."

'जब विक्रम ने मेरी मां के पैर छुए थे.....भरत दाभोलकर अंग्रेजी थिएटर के महान निर्देषक व कलाकार भरत दाभोलकर को विक्रम गोखले के साथ किसी नाटक या फिल्म में अभिनय करने का अवसर नही मिला. मगर भरत दाभोलकर की विक्रम गोखले से कई यादगार मुलाकातें रही है.

विक्रम गोखले को श्रृद्धांजली देते हुए भरत दाभोलकर ने कहा- "मैं अपने कैरियर के पहले नाटक 'राधाकृष्ण' की रिहर्सल के दौरान पहली बार विक्रम गोखले से मिला था,तो मैं बहुत डिप्रेस हो गया था. वास्तव में मैं बचपन से ही खुदा को सबसे बेहतरीन हैंडसम इंसान मानता रहा था,ऐसा मेरी मां व आंटी भी कहा करती थी.पर विक्रम गोखले को देखकर महसूस हुआ था कि वह तो मुझसे भी ज्यादा हैंडसम इंसान हैं. इसके बाद जब वह दूरदर्षन के सहयाद्री चैनल के ब्रांड अम्बेसेडर बने तो हमारी कई मुलाकातें हुईं. क्योंकि मुकेष षर्मा मुझे हर समारोह में बुलाया करते थे. वहां पर मैं एक दिन अपनी मां के साथ गया हुआ था,सीढ़ियो पर विक्रम से मुलाकात हो गयी. मैने अपनी मां से उनका परिचय करवाया. विक्रम तुरंत झुके और मेरी मां के चरण स्पर्ष किए. मेरी मां कई दिनों तक इस अहसास को भुला न पायी. मेरी मां ने कहा कि वह इतने बड़े कलाकार व इतने बड़े पद पर हैं,फिर भी उनकी इंसानियत व मानवता ऐसी कि उसने मेरे पैर छुए. तो विक्रम के अंदर सबसे बड़ा गुण यह था कि किसी इंसान को किस तरह से इज्जत बक्षी जाए और उसे अच्छा अहसास कराया जाए. विक्रम से दूरदर्षन के लगभग हर कार्यक्रम में मुलाकात हुआ करती थी. दूरदर्षन पर मराठी भाषा में ही एक कार्यक्रम "दूसरी बाजू" आता था,यह इंटरव्यू वाला कार्यक्रम था.इस कार्यक्रम में वह अलग अलग शेत्रों के लोगों के इंटरव्यू लिया करते थे. एक कार्यक्रम में उन्होने मुझे बुलाया और मैने पाया कि वह सिर्फ एक बेतहरीन कलाकार ही नहीं बल्कि बेहतरीन इंटरव्यू लेने वाले इंसान भी हैं. इंटरव्यू लेना व सामने वाले को गाइड करना भी एक कला है. इस काम को विक्रम बिना किसी प्रयास के अंजाम दे रहे थे. फिर उनके दिमाग में एक फिल्म बनाने का आइडिया आया. उन्होंने मुझसे एक मुलाकात में कहा कि मैं एक फिल्म लिख रहा हूँ,जिसका निर्माण, निर्देषन करने के साथ ही उसमें अभिनय भी करुंगा. यह मराठी फिल्म होगी. इसका अंग्रेजी संस्करण भी बनाउंगा. पर अंग्रेजी को लेकर मेरी समस्या है. मैं खुदा को इतना बेहतरीन अभिनेता नहीं मानता था कि मैं विक्रम के साथ अभिनय कर पाता. तो उनके साथ इसी तरह की मेरी कई यादें हैं."

इसके अलावा दलीप ताहिल,गजेंद्र चैहाण,विवेक वासवानी, स्मिता जयकर,शेलेश दातार ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए विक्रम गोखले को श्रृद्धांजली अर्पित की.

इस अवसर पर कई कलाकार नही आए.मनोज जोशी, अशोक सर्राफ, किरण कुमार और अनुपम खेर जैसे कलाकारो ने वीडियो सन्देश के जरिए विक्रम गोखले को श्रद्धांजलि दी. अनुपम खेर ने अपने वीडियो में कहा- "मैने विक्रम गोखले से सीखा कि एक्टिंग में संयम बरतना बहुत जरूरी है. डायलॉग को किस तरह से ठहराव के साथ बोलना चाहिए,सहित बहुत कुछ मैंने विक्रम गोखले से सीखा."

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