Zee Theater की सीरीज 'Koi Baat Chale' में Vinay Pathak और Vivaan Shah पेश कर रहे हैं मुंशी प्रेमचंद की कहानियां

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By Sulena Majumdar Arora
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Zee Theater की सीरीज 'Koi Baat Chale' में  Vinay Pathak और Vivaan Shah पेश कर रहे हैं मुंशी प्रेमचंद की कहानियां

वे पढ़ रहे हैं प्रेमचंद की यादगार रचनाओं 'ईदगाह' और 'गुल्ली डंडा' को.

ज़ी थिएटर द्वारा प्रस्तुत नाटकीय पाठन  की श्रृंखला 'कोई बात चले' में अब आप सुन सकेंगे मुंशी प्रेमचंद की यादगार कहानियों 'ईदगाह' और 'गुल्ली डंडा' को जिन्हें पेश कर रहे हैं  अभिनेता विनय पाठक और विवान शाह. सीमा पाहवा निर्देशित यह श्रृंखला मानव दुर्बलताओं, दुःख, गर्व, प्यार, दोस्ती और उदारता के सही अर्थ  को कालातीत कहानियों के ज़रिये दर्शाती है.  'ईदगाह' और 'गुल्ली डंडा' भारतीय साहित्य की विविधता और समृद्धि का प्रतीक हैं  और इन्हें दिखाया जायेगा 22 जनवरी को टाटा प्ले थिएटर और टाटा प्ले मोबाइल ऐप पर.

शैलेजा केजरीवाल, चीफ क्रिएटिव ऑफिसर - स्पेशल प्रोजेक्ट्स, ZEEL, कहती हैं, "मेरा मानना है कि कहानियों  में दिल जोड़ने की एक ख़ास क्षमता होती है. 'ईदगाह' एवं  'गुल्ली डंडा' ऐसी ही दो मार्मिक कहानियां हैं, जो सामाजिक तथा धार्मिक विभाजन को पार करते हुए हमें आज भी इंसानियत के सर्वोपरि होने का पाठ पढ़ाती हैं. आज के सामाजिक समावेश में ये कहानियां ख़ास  महत्व रखती हैं. प्रेमचंद के लेखन में  गहन मानवतावाद है जो दिखाता है कि कैसे सहानुभूति और उदारता से हम दुनिया को बेहतर बना सकते हैं.  ज़ी थिएटर चाहता है की ऐसी साहित्यिक सम्पदा हमारी नयी पीढ़ी के लिए हमेशा सुरक्षित रहे. मनोज पाहवा और सादिया सिद्दीकी द्वारा  सादत  हसन मंटो की 'तोबा टेक सिंह' और 'हतक '  के पाठन  को जो  प्यार मिला उसके बाद  मुझे यकीन है कि ये दो कहानियां भी बहुत पसंद की जाएँगी."

'ईदगाह'  चार साल के एक अनाथ बच्चे हामिद के इर्द-गिर्द घूमती है, जो ईद पर अपनी दादी अमीना को कुछ खास तोहफा देने का फैसला करता है. यह कहानी दर्शाती है कि किस प्रकार कोमलता और प्रेम कठिन से कठिन परिस्थितियों से भी आगे निकल जाते हैं और कैसे एक छोटा बच्चा, जो स्वयं बड़े अभावों के बीच रहता है, अपनी दादी के संघर्षों के बारे में सोचने की क्षमता रखता है.

ईदगाह के बारे में बात करते हुए, अभिनेता विनय पाठक कहते हैं, "मेरा 'ईदगाह' से बहुत गहरा संबंध है क्योंकि मुझे यह कहानी बहुत पसंद है और यह मेरे स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम का हिस्सा भी था.  मेरा अपने दादा-दादी से भी बहुत गहरा रिश्ता रहा है और इसलिए इस कहानी का मेरे लिए एक बड़ा व्यक्तिगत महत्व भी  है.  आज हम कहानी कहने की उस विरासत को खोते जा रहे हैं जो कभी हमारे लोकाचार का इतना बड़ा हिस्सा हुआ करती थी.  मुझे उम्मीद है, 'कोई बात चले' युवा पीढ़ी को भारतीय साहित्य की सुंदरता की याद दिलाएगा और मुझे खुशी है कि ज़ी थिएटर यह सुनिश्चित कर रहा है कि ऐसी कालातीत कहानियां हम कभी न भूलें."

दूसरी ओर 'गुल्ली डंडा' एक सफल इंजीनियर के बारे में है, जो उस गाँव में लौटता है जहाँ उसने अपना बचपन बिताया था और एक पुराने दोस्त के साथ फिर से जुड़ता है जो गुल्ली डंडा क्लब का चैंपियन था. दोनों के बीच एक खेल शुरू होता है और उसके बाद जो होता है वह सभी को हैरान कर देता है.  

'गुल्ली डंडा' सुनाने वाले अभिनेता विवान शाह कहते हैं, ''मेरे माता-पिता ने इस्मत चुगताई,  मंटो, मुंशी प्रेमचंद, हरिशंकर परसाई, कृष्ण चंदर और भारतीय साहित्य के अन्य दिग्गजों की कई कहानियों का मंचन किया है और मैं उनकी खूबसूरत कहानियों के साथ बड़ा हुआ हूं. ये कहानियां सामाजिक वास्तविकताओं के साथ-साथ मूलभूत मानवीय सच्चाइयों के बारे में भी हैं. यह कहानी, हालांकि अत्यधिक नाटकीयता  से भरी नहीं है पर फिर भी  बहुत ही सूक्ष्मता से बताती है कि कैसे वह लोग जिन्हें हम स्वयं से कमतर समझते हैं अक्सर हमसे अधिक उदार और बड़े दिल वाले होते हैं.

आप देख सकते हैं 'ईदगाह' और 'गुल्ली डंडा' को टाटा प्ले थिएटर और टाटा प्ले मोबाइल ऐप पर 22 जनवरी को दोपहर 2 बजे और रात 8 बजे.

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