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"ऑस्कर अवार्ड में हमारे देश से सही फिल्में नहीं भेजी जा रही हैं" एआर रहमान की वायरल हो रही इस टिप्पणी के मायने क्या हैं?

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By Sharad Rai
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"ऑस्कर अवार्ड में हमारे देश से सही फिल्में नहीं भेजी जा रही हैं" एआर रहमान की वायरल हो रही इस टिप्पणी के मायने क्या हैं?

इनदिनों सोशल मीडिया पर संगीतकार एआर रहमान का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे वह आरोप लगाते सुने जा रहे हैं कि हमारे देश से सही फिल्में ऑस्कर अवार्ड में नहीं भेजी जा रही हैं. यह टिप्पणी इस समय और प्रासंगिक हो गयी है जब भारत को ऑस्कर अवार्डों में स्थान मिला है वो भी डबल ऑस्कर जीत के साथ. पूरी दुनिया में भारत की बनी दो फिल्मों  'द एलिफेंट व्हीस्पर्स'(शार्ट फिल्म) और गीत 'नाटू नाटू' (फिल्म RRR) की इनदिनों चर्चा है.

एआर रहमान एक जिम्मेदार संगीतकार हैं. ऐसा नही है कि वह 'नाटू नाटू' गाने की कामयाबी से जलन रखकर इसतरह का बयान दिए हैं बल्कि उनका यह स्टेटमेंट जनवरी में दिए गए उनके एक इंटरव्यू का अंश है, जब चर्चा ऑस्कर नॉमिनेशन को लेकर कीया जा रहा था. रहमान ने बड़े स्पष्ट शब्दों में देश की फिल्म नीति की बात किया है कि  कभी गंभीरता से विचार करके भारत की फिल्में एकेडमी अवार्ड के लिए भेजी ही नही जाती. रहमान का सवाल भी यही है कि क्या 'नाटू नाटू' से पहले अच्छे गाने वाली फिल्में इंडियन सिनेमा में नही रही हैं ? इसके उत्तर में हर कोई यही कहेगा-तमाम फिल्में हैं ! सच तो यह है कि हमारी पूर्ववर्ती सरकारों ने सिनेमा को गम्भीरता से लिया ही नहीं है. भला यह कैसे हो सकता है कि जब देश मे कांग्रेस की सरकारें थी, जब देश मे क्लासिक फिल्में बना करती थी जब म्यूजिकल फिल्मों का बोलबाला था..तब भी कभी ऑस्कर सम्मान को लेकर देश का नाम सामने नही आया. चर्चा तक नही हुई. आजकल जब प्रधान मंत्री मोदी जी की सरकार ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है, भारत का डंका विदेशों में बज रहा है, देश को एक नही दो ऑस्कर अवार्ड मिल जाते हैं. मतलब कहीं न कहीं चूक होती रही है.

एआर रहमान को ऑस्कर अवार्ड मिल चुका है इसलिए उनको आलोचना करने का हक भी है. वह फिल्म 'स्लमडॉग मिलिनॉयर' के गाने 'जय हो' के गीत- संगीत के लिए (गुलजार के साथ) ऑस्कर अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं. हालांकि यह ब्रिटिश मेड फिल्म थी, इसलिए रहमान के ऑस्कर से रहमान तो सम्मानित हुए लेकिन देश  छूट गया. आज रहमान भारतीय फिल्म संगीत के लीजेंड नाम बन चुके हैं. उनको अंतरराष्ट्रीय गोल्डन ग्लोब अवार्ड और ग्रेमी अवार्ड मिल चुका है. 4 बार फ़िल्म फेयर अवार्ड और पद्म श्री, पद्म भूषण सम्मानों से उनको नवाजा जा चुका है. फिल्म 'रोजा' से लेकर अबतक वह 174 ओरिजिनल स्कोर 284 ओरिजिनल साउंड ट्रेक देने का रेकोर्ड बनाए हैं. इसलिए जब रहमान ने कहा है कि हमारी सही फिल्में ऑस्कर में भेजी नहीं जाती, तो विषय को जरूर गंभीरता से लिया जाना चाहिए.

ऐसा नहीं है कि हमारे देश मे प्रतिभावान कलाकारों और तकनीशियनों की कमी है. स्वर कोकिला स्व. लता मंगेशकर अकेले एक उदाहरण रखी जा सकती हैं जो पूरी दुनिया पर भारी हैं. 46000 गाने गा चुकी लता जी के नाम पर एक भी ऑस्कर अवार्डेड फिल्म नहीं है. क्या यह सोचने का विषय नहीं है?  एक ही फिल्म 'मदर इंडिया' का नाम लेना काफी है जिसके 12 के 12 गाने ओरिजिनल ट्रैक की कम्पटिशनों में उतारे जा सकते हैं. एक एक गाने को संगीतकार नौशाद ने गीतकार शकील बदायूनीं से सौ सौ बार  लिखवाया था. फिर, कहाँ हुई चूक?  बहरहाल हमारे देश की मौजूदा सरकार अब देश की अंतरराष्ट्रीय छवि विदेशों में बनाने की परवाह करती लग रही है. ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्टर अनुराग ठाकुर सिनेमा के प्रति बड़ी कंस्ट्रक्टिव सोच रखते हैं. प्रधानमंत्री मोदी की हुंकार से दुनिया भर में भारतीय प्रोडक्ट को महत्व मिलने लगा है. दो ऑस्कर का सम्मान देश को मिलना उसी सोच को मजबूती देता है जिसके लिए एआर रहमान के वायरल वीडियो को लोग ट्रोल कर रहे हैं और उसमें उनके कथन के मायने खोजे जा रहे हैं.

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