-शरद राय
राजनीति और फ़िल्म का रिश्ता बड़ा पुराना है।जब देश मे चुनाव का समय आता है बरसाती मेढ़क की तरह फिल्म वाले राजनयिकों के साथ गलबहिंया किये दिखाई देने लगते हैं।और, जैसे ही चुनाव का वक्त खत्म होता है नेताओं के मुंह से बोल फूटने शुरू हो जाते हैं- ''मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है?' इस बात को बॉलीवुड के लोग कितनी जल्दी भूल जाते हैं इसका ताजा उदाहरण है बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मीटिंग में फिल्मी चेहरों की उपस्थिति।
बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी ने मुम्बई की अपनी यात्रा में जिन कुछ लोगों को निमंत्रित कराया था, उनमे कुछ नाम राजनयिकों, सामाजिक कार्य कर्ताओं और विशिष्ट बुद्धजीवियों के साथ फिल्मवालों के भी थे। जाहिर है यह सम्मेलन केंद्रीय सरकार (बीजेपी) के खिलाफ एकजुटता बनाने के लिए की गई थी।मुम्बई के मशहूर वाय बी चौवान सेंटर में (1दिसम्बर को) तेज साइक्लोनिक हवाओं और वर्षात की फुहार को नज़र अंदाज़ करके जो फिल्मवाले इस मीटिंग में शामिल होने के लिए पहुंचे थे,उनमे कई नाम प्रबुद्ध फिल्मकारों के रूप में चर्चा में रहा करते हैं। ये लोग थे- महेश भट्ट, जावेद अख्तर, शत्रुघ्न सिन्हा,प्रीतिश नंदी, मेधा पाटकर, शोभा डे , स्वरा भास्कर, जावेद आनंद, रिचा चड्ढा आदि। इस मीटिंग में खबरों के मुताविक अक्षय कुमार, आमिर खान , संजय खान , शाहरुख खान जैसे सितारों के आने की भी चर्चा थी, जो नही पहुचे थे। लेकिन, शाहरुख खान के मामले में ममता दीदी ने ज़रूर कहा- ''शाहरुख (खान) वाज विकटिमाइज्ड।कुछ लोग अपनी बात कह पाते हैं कुछ लोग नही कह पाते।' स्वरा भास्कर ने लोकतंत्र बचाने के मुद्दे पर ममता बनर्जी के सामने अपने विचार रखा।
ज़ाहिर है चुनाव का वक्त नज़दीक आगया है। यूपी का विधायकी- चुनाव देश के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर लड़ा जाता है जो अगले कुछ महीनों में ही होने जा रहा है। 2024 के लोक सभा चुनाव पर पूरे देश की पोलटिकल पार्टियों की नज़र है। ऐसे में प्रचार और विजय दिलाने वाले सितारों की मांग बढ़ जाती है। यह सर्व विदित है कि दक्षिण के सितारे राजनीति करते हैं अपने लिए, जो सत्तासीन भी होते हैं। लेकिन बॉलीवुड के सितारे सिर्फ हनुमान बनते हैं कभी राम बनने की कोशिश नहीं करते।शत्रुघन सिन्हा, नवज्योत सिंह सिद्धू को आगे आने की कोशिश करने पर कैसे बीजेपी ने पार्टी से धकेला था, यह विवाद का विषय हो सकता है किंतु यह भी सच है कि देव आनंद, मनोज कुमार सरीखे सितारे राजनीति के अंगने में कार्पेट सजाने की कोशिश करके खुद क्या पाए थे? अमिताभ बच्चन, गोविंदा के राजनैतिक कैरियर का क्या हुआ? परेश रावल, जया प्रदा, उर्मिला मातोंडकर...और कई नाम हैं जो राजनीति के डिनर टेबल पर बैठने की कोशिश किए हैं और स्वाद कसैला है कहकर हट गए हैं।
फिर एकबार चुनाव की चर्चा सामने है। ना सिर्फ ममता बनर्जी, अखिलेश यादव या अमित शाह सितारों से मीटिंग करेंगे बल्कि उनको चुनाव में उतारेंगे भी...फिर? फिर वही होगा। चुनाव गयी बात गयी! वही नेता जो फिल्म वालों को जुड़ने के लिए बुलाते हैं, वोटर की जुबानी गाते फिरेंगे--'राजनीति के अंगने में तुम्हारा क्या काम है!'