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“आज मैं जो कुछ भी हूं थिएटर की वजह से हूं”: श्रेयस तलपड़े

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By Mayapuri Desk
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“आज मैं जो कुछ भी हूं थिएटर की वजह से हूं”: श्रेयस तलपड़े

श्रेयस तलपड़े द्वारा निभाया गया पहला किरदार स्कूल के एक प्ले रामायण में सीता की भूमिका थी। अगले साल उन्होंने महाभारत के स्कूल वर्जन में द्रौपदी की भूमिका निभाई। आने वाले सालों में श्रेयस तलपड़े के बहुमुखी कलाकार के रूप में उभरने की यह शायद पहली झलक थी। स्कूली नाटकों से लेकर नुक्कड़ नाटकों, मोनोलॉग्स और मीम्स तक - श्रेयस सीखना और हर चीज का हिस्सा बनना चाहते थे। पुराने दिनों को याद करते हुए श्रेयस कहते हैं, '1990

से 2005

तक मैंने प्रोफेशनल स्टेज पर विभिन्न प्रॉडक्शंस के 2500

से अधिक शो किए। हिंदी,

मराठी,

अंग्रेजी,

उर्दू नाटकों से मुझे बेहद लगाव था और इनको करने का एक भी मौका मैं नहीं चूकना चाहता था। आज मैं जो कुछ भी हूं थिएटर की वजह से हूं। थिएटर आपको ग्रूम करता है और किसी भी अन्य माध्यम की तुलना में आपके शिल्प में ज्यादा निखार लाता है। आज मेरी फिल्मों में मुझे जो भी थोड़ी बहुत तारीफ मिलती है,

वह सब थिएटर की वजह से है।'

“आज मैं जो कुछ भी हूं थिएटर की वजह से हूं”: श्रेयस तलपड़े

श्रेयस थिएटर से टेलीविजन और उसके बाद फिल्मों में आए। लेकिन अपने दूसरे काम की प्रतिबद्धताओं के बीच,

श्रेयस ज़ी थिएटर के टेलीप्ले '

टाइपकास्ट'

के साथ स्टेज पर लौटने के इच्छुक थे। यह टेलीप्ले टाटा स्काई और एयरटेल डिजिटल टीवी स्पॉटलाइट पर उपलब्ध है। श्रेयस के साथ ही इसमें अतुल माथुर,

अदिति पोहनकर और उत्कर्ष मजूमदार मुख्य भूमिकाओं में हैं।

श्रेयस कहते हैं, '

मुझे 

व्यक्तिगत रूप से टेलीप्ले का यह प्रारूप पसंद है और इसी वजह से मैंने '

टाइपकास्ट'

करना स्वीकार 

किया। मुझे लगता है कि टेलीप्ले एक बेहतरीन प्रयोग है,

जहां हम सर्व-विदित '

फोर्थ वॉल'

से मुक्त होते हैं। यह लगभग एक स्टूडियो के भीतर फिल्म की शूटिंग की तरह था। ये काफी चुनौतीपूर्ण रहा लेकिन मुझे लगता है कि इन प्रारूपों को और अधिक एक्सप्लोर करने की जरूरत है। मुझे खुशी है कि '

टाइपकास्ट'

को इतने सारे प्लेटफार्म्स पर देखा जा रहा है और इसकी तारीफ हो रही है।”

टाइपकास्ट प्रसिद्ध नाटककार विजय तेंदुलकर के मराठी नाटक 

पहिजे जटिचे

का 

रूपांतरण है। यह नाटक सत्तर के दशक की कहानी है जब भारत में जाति प्रथा न सिर्फ प्रचलित थी बल्कि कठोरता से लागू भी थी। हालांकि,

नाटक यह दर्शाता है कि वर्तमान भारत के संदर्भ में भी यइसकी कहानी किस तरह प्रासंगिक है। श्रेयस ने महिपत बाबरुवाहन की भूमिका निभाई है जो अपनी बिरादरी और गाँव में मास्टर डिग्री पूरा करने वाला पहला व्यक्ति बन जाता है। महिपत का एक कॉलेज विशेष में प्रोफेसर बनने का सपना है और अपने सपने को पूरा करने के लिए वह जो भी करता है वही शो में दिखाया गया है।

“आज मैं जो कुछ भी हूं थिएटर की वजह से हूं”: श्रेयस तलपड़े

अपनी कॉमिक टाइमिंग के लिए पहचाने जाने वाले श्रेयस कहते हैं, '

स्क्रिप्ट कई परतों वाली और बेहद मनोरंजक है।'

ऐसा लगता है मानो यह भूमिका श्रेयस के लिए ही लिखी गई थी। खुद को गंभीर दिखाने के लिए महिमत का पहना जाने वाला ओवर साइज ब्लेजर हो या फिर उसका मिनी सोलो डांस, यह टेलीप्ले छोटी-छोटी रोचक बारीकियों से भरपूर है जो दर्शकों को खूब गुदगुदाता है।

श्रेयस कहते हैं,

 “

टाइपकास्ट एक सशक्त सामाजिक संदेश देता मनोरंजक शो है और यही इस प्ले की आवाज है। मेरा हमेशा से ये मानना रहा है कि आप हल्के-फुल्के अंदाज में काफी कुछ कह सकते हैं और मुझे लगता है कि इसको घर पर बैठकर दर्शकों काफी पसंद करेंगे।”

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