समय बदला है पर वक़्त वहीं पर ठहरा हुआ है ! यहाँ पर हम बात कर रहे है सोच की, विचारों की, मानसिकता की। जो कितने ही दशक, सादिया क्यों ना गुज़र जाए, नहीं बदलतीं। जिसमें महिलाओं के लिए कुछ सीमाएं तय कर दी गई है। अगर वे उस सीमा को लांगने के बारे में सोचती है तो उन्हें कई खरी -खोटी सुननी पड़ती है।
अक्सर देखा जाता है कि अभिनेत्रियों को उनके बोल्ड सीन्स के लिए निजी जीवन में आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है, या अपने पसंद और करैक्टर के चुनाव के लिए शर्मिंदा होना पड़ता हैं। लोग ये भूल जाते है कि अभिनेत्री के द्वारा निभाया गया चरित्र काल्पनिक है ना कि वास्तविक। वह किरदार केवल समाज के आईने का प्रतिनिधत्व कर रहा है। लेकिन हम सदियों से चली आ रही लोगों की सोच को नहीं बदल सकते।
ऐसी कई अभिनेत्रियां है जो काफ़ी साहसिक और सशक्त होती है, उन्ही में से एक मिर्ज़ापुर की अभिनेत्री अनंग्शा बिस्वास है। जिन्होंने समाज की चिंता न करते हुए उसकी असलियत को अपने किरदार के माध्यम से पर्दे पर उतारा। साथ ही इस अन्याय के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की और अपने विचारों को उजागर किया। उन्होंने अपने चाहने वालों और दर्शकों से इस विषय में कुछ महत्वपूर्ण सवाल किए, जो यक़ीनन ही आपको सोचने में मजबूर कर देंगे :
प्रश्न इस तरह है महिलाओं को हमेशा बोल्ड सीन के लिए ट्रोल का सामना क्यों करना पड़ता है, जबकि पुरुष भी इसके भागीदार होते है, पर उन पर कोई सवाल नहीं उठाये जाते हैं?
पुरुष अभिनेताओं को क्यों इस तरह के अपमान का सामना नहीं करना पड़ता? आखिर बोल्ड सीन करना इतनी बड़ी बात क्यों है?
उन्होंने इसी विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि यह बहुत ही जरुरी है, हमें बहुत जल्द जेंडर के विषय पर प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाना होगा, हमें यह समझना होगा कि बोल्ड सीन को पर्दे पर दिखाना किसी लड़ाई वाले सीन को फिल्माने से ज्यादा कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है।
साथ में उन्होंने यह भी कहा कि वह ट्रोलिंग और प्रशंसा दोनों को गंभीरता से नहीं लेती हैं, लेकिन जेंडर पक्षपात कुछ ऐसा विषय है जिसमें वह सकारात्मक बदलाव लाना चाहती हैं, और इस विषय पर वो अटल है।
अगर बात करे उनकी फिल्मो की तो उन्होंने प्रियाल गोर, लीना जुमानजी और प्रणव सचदेव के साथ टीवी सीरीज 'मैया 2' से प्रसिद्धि पाई। इसके अलावा 'अंधेरी और सेल ट्रैप' सहित कई शॉर्ट फिल्मे की हैं। अनंग्शा ने अपनी प्रतिभा को सिर्फ छोटे पर्दे तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि वे 'खोया खोया चांद' जैसी फिल्मे करने का श्रेय भी हासिल किया, जिसमें सोहा अली खान, शाइनी आहूजा, और रजत कपूर के साथ नज़र आई थी। इसके अलावा उन्होंने 'लव शव ते चिकन खुराना' और 'बेनी बाबू' जैसे रोमांटिक फिल्मे भी की है। अनंग्शा जल्द ही मिर्जापुर 2 में अपने किरदार 'जरीना' के रूप में मजबूत भूमिका निभाती हुई नजर आएंगी। उनके किरदारों का चुनाव हमेशा से ही समाज की आंखें खोलने वाला होता है, आशा करते है कि यह एक दिन सोच और मानसिकता में भारी बदलाव लाएगा।
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