Sanjay dutt : रेशमा और शेरा (reshma aur shera) से अपनी फ़िल्मी करियर की शुरुआत करने वाली संजय दत्त को इंडस्ट्री में 'संजू बाबा' नाम से याद किया जाता है. संजय ने अपने करियर में बहुत सी बेहतरीन फिल्मे दिया है लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ इंडस्ट्री में ज्यादा चर्चे में रही. आइये जानते हैं उनकी ज़िन्दगी से जुड़ी कहानी-
हाल ही में एक इंटरव्यू में संजय दत्त ने यह खुलासा किया है कि उनकी लाइफ में एक समय रहा है जब उन्हें इंडस्ट्री में और दर्शकों के सामने ड्रग्स को लेकर काफी शर्म से गुजरना पड़ा है.अपनी ज़िदगी में ड्रग्स को लेकर एक इंटरव्यू में उन्होनें काफी खुलासे किए हैं.
संजय दत्त बताते हैं कि "मैंने कभी यह नहीं सोचा कि यह सब मेरे साथ ही क्यों हो रहा है मैंने अपनी गलतियों को स्वीकार किया है. उनसे सीखने की कोशिश की है."
संजय दत्त ने कहा कि जब "मैं इंडस्ट्री में नया नया आया था उस समय मैं काफी शर्मीला किस्म का इंसान हुआ करता था. किसी भी लड़की से बात कर पाना उससे भी ज़्यादा मेरे लिए मुश्किल होता था, फिर मैंने अपने कुछ कॉलेज़ के दोस्तों के साथ बाहर जाना शुरु किया,"
"एक दिन उन लोगों ने मुझे एक रात बाहर चलने के लिए के बोला और मैं उनके साथ जाने को तैयार हो गया । फिर वो लोग मुझे एक नाइट क्लब लेकर गए. उसके बाद उन्होनें मेरे सामने एक चीज़ रखी और कहा तुम्हें इसे एक बार ट्राई करना चाहिए, उनके कहने पर मैंने कोशिश किया, वह एक पाउडर जैसा था,जिसे स्मोक की तरह ट्राई करना था."
"जब मैंने पहली कोशिश की उसी समय मुझे ऐसा लगा कि मैं बीमार हूं. लेकिन मैं उसे फिर से ट्राई करना चाहता था. क्योंकि मुझे अपनी हेजिटेशन को बाहर निकालना था, लेकिन धीरे धीरे मुझे इसकी आदत हो गई. यह आदत 10 साल तक मेरे साथ रही. संजय दत्त ने आगे जानकारी दिया कि "ड्रग्स की शुरुआत मैंने सिर्फ कूल दिखने के लिए के शुरु किया था, मुझ पर किसी ने जबरदस्ती नही किया था कि मैं इसका सेवन करुं. अगर आप इंडस्ट्री में देखेगें तो आधे से ज्यादा लोग ड्रग्स कंज्यूम करते हैं.स्मोक,शराब जैसी चीजें आम बात है, मैंने अपनी जिंदगी में हर तरह के ड्रग्स की ट्राई किया है. मैं इसका आदी रह चुका हुँ."
"कई दिन ऐसे होते थे कि 2-3 दिनों तक मैं न ही सोता था और न ही खाना खाता था. एक दिन परेशान होकर मैं अपने पिता के पास गया. मुझे आपकी मदद की जरुरत है उसके बाद वह मुझे मुंबई के एक हॉस्पिटल में ले गए. जहाँ मैं 25 दिनों तक रहा.
यह सब मेरे साथ उस समय हो रहा था, जब ड्मेंरग्स के बारे में किसी को भी पता नहीं होता था कि ड्रग्स होता क्या है. न ही न ही इसके बारे में मेरे पिता को ही कुछ पता था. धीरे धीरे एक अच्छे मेडिकेशन के बाद मेरी जिद़गी अपनी पटरी पर आना शुरु हुई. मुझे ऐसा लग रहा था कि मुझे फ्रीडम मिल गई है. यह सीखा कि ड्रग्स के बिना जिंदगी को कैसे एंजॉय किया जा सकता है। हालांकि अपने माता पिता की वजह से मैं इस पर काफी कंट्रोल कर पाया हुँ."
संजय दत्त के अगर वर्क फ्रंट की बात करे तो मुन्नाभाई एमबीबीएस (munna bhai mbbs),'सड़क'(sadak), 'खलनायक' (khalnayak), 'वास्तव'(vaastav), 'सड़क' (sadak), 'पीके' (PK),'धमाल' (dhamaal), 'कुरुक्षेत्र' (kurukshetra), 'दुश्मन' (dushman), 'कलंक' (kalank), 'पानीपत'(paanipat) में उन्होंने अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस दिया है.