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क्या वो दिन कभी वापिस आयेंगे,यशजी?

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By Mayapuri Desk
क्या वो दिन कभी वापिस आयेंगे,यशजी?
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मेरे प्रिय यशजी

मुझे लगता है कि मुझे आपको इस तरह बुलाने का अधिकार है, आपसे उन अनगिनत मुलाकातों की वजह से जब आप युवा थे और उन अनेक युवा प्रेमियों को (एक मैं भी था) प्रेरित कर रहे थे हैं और यह समझा रहे थे कि प्यार असल में है क्या. प्यार, वही प्यार जिसके बिना अाप जी नहीं सकते थे जैसा कि आपने मुझसे एक बार कहा था.आपने मुझे मेरे जीवन के बहुत से यादगार लम्हें दिये है,पर सबसे यादगार लम्हा वो था जब आपने मुझसे प्यार के बारे में और अपनी प्रेमिका से 12 घंटे फोन पर बात करने की बात बताई थी. मैंने बहुत से लोगों को प्यार करते देखा है, बहुत से लोगों को प्यार में पागल होते देखा. मैंने प्यार के अलग-अलग रूप देखे हैं पर मैं अपनी छाती के बाएँ तरफ अपना दायाँ हाथ रख कर ये बोल सकता हूँ कि मैंने आपसे महान प्रेमी नहीं देखा. आप इतने गहरे प्रेमी थे कि आपने मुझसे एक बार कहा था कि आप अपनी हीरोइन के साथ फिल्में नहीं बना सकते अगर आप उनसे प्यार में नहीं पड़ेंगे तो. आप आधुनिक समय के कृष्ण थे जो अपने प्यार करने वालों से हर वक्त घीरे रहते थे. एक कृष्णा जो अपनी प्रेमिकाओं को प्यार देते थे और बदले में उनको उससे दुगना प्यार मिलता था जो मुझे दे देते थे.

मुझे वो प्रेम कहानियां याद है जो आपके दिल के बहुत करीब थी. मुझ याद है कि आपने मुझे बताया था कि आप साधना के प्यार में पागल थे,जिनके साथ आपने सिर्फ एक ही फिल्म की. और आपने उनके इस प्यार को हमेशा जिमदा रखा और इसी प्यार की वजह से आपने उन्हें उस वक्त संभाला जब उनके पति आर.के.नय्यर का निधन गुआ था. और आप उनसे उसी आत्मियता के साथ बात करते थे जैसे 'वक्त' की शूटिंग के दौरान करते थे.

क्या वो दिन कभी वापिस आयेंगे,यशजी?

अपने मुझे मुमताज के प्रति अपना स्नेह भी बताया था जब आप उनके साथ आदमी और इंसान बना रहे थे. आपने मुझे ये भी बताया था कि कैसे आपका प्यार उनके प्रति इतना बढ़ गया था कि आपने उनसे शादी करने तक का निर्णय ले लिया था, पर आप उनसे शादी नहीं कर पाए क्योंकि आपके बड़े भाई बीआर चोपड़ा जिनको आप 'भाईसाहब' कहते थे उनको यह शादी मंजूर नहीं थी.

आपके भाईसाहब चाहते थे कि आप दिल्ली में उस वक्त की बी.ओ.ए.सी एयरलाइंस में एयर होस्टेस का काम कर रही लड़की को शादी के लिए उनके साथ दिल्ली देखने चले और आप अपने भाईसाहब के साथ उस लड़की से मिलने भी गये जिसका नाम था पामेला. वो लड़की आपको अच्छी नहीं लगी. आपके भाई आपके इस निर्णय से दुखी हुए और आपलोग वापिस बॉम्बे आ गये. फिर भाईसाहब दूसरी लड़की को दिखाने आपको फिर से दिल्ली ले गये. और आप आश्चर्यचकित हो गये कि इस बार भी वो लड़की पामेला ही थी. आपने फिर अपने भाईसाहब से कहा कि आप पामेला से शादी करना चाहते है क्योंकि आपने मान लिया कि ये भगवान की मर्जी है. आपदोनों शादी करके बॉम्बे शिफ्ट हो गये. ये ऐरेंज्ड मैरिज थी,पर आपने मुझे बताया कि कैसे आप समय के साथ पामेला से प्यार करने लगे और ये अद्भूत प्रेमकहानी तब खत्म हुई जब आपको एक दुष्ट मच्छर ने काट लिया,और ना सिर्फ आपकी जिंदगी छीन ली उसने बल्कि वो प्यार का सागर भी छीन लिया जो आपके जीवन का हिस्सा था.

क्या वो दिन कभी वापिस आयेंगे,यशजी?

मुझे पता है कि कैसे आप अपनी  हीरोइंस के साथ प्यार में पड़ जाते थे, अब चाहे वो वैजयंती माला ही क्यों ना हो. आप  वैजयंतीमाला से प्यार में तब पड़े थे जब आप अपने भाईसाहब की फिल्म 'नया दौर' में उनको  असिस्ट कर रहे थे, जिसमें वैजयंती माला हीरोइन थी. और अापने उनको अपनी फिल्म 'दीवार' में मां का किरदार निभाने का ऑफर दिया पर उन्होंने बड़ी शालीनता से ऑफर को ठुकरा दिया. उनके ठुकराने की  वजह से निरुपा राय को ये किरदार मिला जिसने उनकी जिंदगी बदल दी. प्रेमी होने के नाते मैं यह जानता हूं कि आप वैजयंतीमाला से उनकी 80 साल की उम्र तक प्यार करते थे जो मैंने आपकी आंखों में देखा  था जब आप 2000 के करीब 'नया दौर' के कलर्ड वर्जन की स्क्रीनिंग में आए थे.

क्या वो दिन कभी वापिस आयेंगे,यशजी?

मैं आपके जुहू स्थित विकास पार्क वाले ऑफिस जाया करता था और हमारे बात करने का पसंदीदा विषय होता था प्यार और रोमांस. एक दोपहर मैंने आपको मैगज़ीन के कवर पर खूबसूरत माधुरी दीक्षित की फोटो को निहारते हुए देखा. आप माधुरी दीक्षित का निहारने में इतने व्यस्त थे कि आपको पता ही नहीं चला कि मैं कब आपके केबिन में  आ गया. मैंने आपसे आपकी परेशानी का कारण पूछा तो आपने मुझे बताया कि आप माधुरी दीक्षित  के साथ काम करने के लिए मर रहे हैं पर आपको उनके सेक्रेटरी राकेश नाथ (रिक्कू) से डर लगता है क्योंकि आपको ऐसा लगता था कि वो माधुरी के साथ आपके काम करने की ख्वाहिश  को बिगाड़ देंगे. मैंने आपसे कहा कि आप माधुरी को कॉल करें, वो जरूर आपके साथ काम करने के लिए मान जाएंगी.  मुझे नहीं पता कि ये मेरी नसीहत थी या कुछ और  कि आपने माधुरी दीक्षित को अपने फिल्म में मुख्य किरदार निभाने के लिए साइन कर लिया.  और वो फिल्म थी 'दिल तो पागल है' जिसमें रोमांस के बादशाह, शाहरुख खान और  करिश्मा कपूर थी. साथ में  फिल्म में अक्षय कुमार का स्पेशल अपीयरेंस  भी था. फिल्म ने जादू कर दिया,लोगों को फिल्म बहुत पसंद आई और मैं ऐसा मानता हूं कि कोई और डायरेक्टर इस फिल्म को आपके तरीक सेे नहीं बना सकता है जिस तरीके से अपने सभी प्रेमियों को  इस  से 'पागल' कर दिया था.

क्या वो दिन कभी वापिस आयेंगे,यशजी?

अगर मैं गलत हूं तो मुझे बताइएगा, पर क्या आप डर के समय जूही चावला से और चांदनी के समय श्रीदेवी से प्यार में नहीं थे. वो श्रीदेवी जिन्हें आप भावनाओं का कंप्यूटर कहते थे कि जिसमें जब जो भावना चाहिए बस उसका बटन को दबा दो. क्या  आप ' सिलसिला ' बनाते वक्त रेखा से प्यार में नहीं पड़े थे? क्या आप 'त्रिशुल' के वक्त हेमा मालिनी से प्यार में नहीं थे? मुझे सच बतायेगा कि क्या आप राखी से प्यार में नहीं थे और उनसे बात नहीं की थी जब उन्होंने  गुलजार से शादी के बाद फिल्मों में काम करने से मना कर दिया था. और उन्होंने अपनी वो शपथ भी तोड़ी आपके साथ फिल्म 'कभी-कभी' मैं काम करने के लिए. और मुझे यह पक्का पता है कि आप 'जब तक है जान' जो आप की अंतिम फिल्म थी उस वक्त भी अनुष्का शर्मा और  कैटरीना कैफ से प्यार में होंगे. आप उस वक्त 80 साल के थे और मेरा मानना है कि एक सच्चा प्रेमी या सच्ची प्रेमी अपने जीवन के अंतिम क्षण तक प्यार करना नहीं छोड़ सकता/ सकती. क्योंकि उनके लिए प्यार उनके धड़कनों की तरह होता है. जिस दिन ऐसे प्रेमी के जीवन से प्यार चला जाए उस दिन उसका दिल धड़कना बंद कर दे.

मुझे ये नहीं पता कि हम जैसे आशिकों के भीतर ये प्यार जिंदा कैसे रहता है,इसके पीछे जरूर किसी आत्मीय प्रेरणा का हाथ होता है . और आपके लिये ये थी साहिर लुधियानवी की कवितायें जिसने आपके आई.सी.एस.ऑफिसर बनने के सपनें को बदलकर रोमांटिक फिल्मों के बादशाह बनने के ख्वाब बना दिया,वो फिल्में जो हमेशा लोगों के जेहन में जिंदा रहेगी.

क्या वो दिन कभी वापिस आयेंगे,यशजी?

मुझे आपकी बहुत कमी महसूस होती है,यशजी. इसके कई कारण है जैसे अब यशराज स्टूडियोज में मेरा जाना वैसा नहीं रहा,जैसा एक समय में हुआ करता था . पर एक मात्र कारण जिसकी वजह से मैं आपको हमेशा मिस करता हूं वो यह है कि मुझे अापके कांस्य से बने मूर्ति से बात करनी पड़ती है जो यशराज स्टूडियो में और प्यार के बारे में बात करने के लिए मेरे पास सिर्फ दीवारें हैं, क्योंकि अब लोग उस तरीके से प्यार नहीं करते जैसे आप किया करते थे और मुझे उन्हीं  दिन वाला प्यार पसंद है. क्या हमारे तरीके का प्यार फिर से जन्म लेगा? मुझे इस करो या मरो वाले सवाल का जवाब चाहिए,जो सिर्फ आप ही दे सकते है,यशजी.

ढेरों प्यार के साथ जो मेरे अंदर अब भी जीवित है.

अली पीटर जॉन जिस इंसान को एक महान मौका मिला उस इंसान द्वारा 'अली साहब' कहलाने का जिसके हर भाव भंगिमा में प्यार का आशिर्वाद था.

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