भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की दो महिला वैज्ञानिकों की अगुवाई में चंद्रयान -2 की यात्रा ने एक और कीर्तिमान बनाया है और भारत में लड़कियों को मैं कुछ भी कर सकती हूं कहने के लिए प्रेरित किया है. यहां महिलाओं द्वारा हाल ही में हासिल कुछ ऐसी जमीनी उपलब्धियों को बताया गया है जो इस नारे को उपयुक्त बनाते हैं.
1. चंद्रयान -2:
इसरो का चंद्रमा मिशन भारत द्वारा अब तक लॉन्च किए गए सबसे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों में से एक है. ये हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा, समर्पण और धैर्य की गवाही है. एम वनिता और रितु करिधल की अगुवाई वाली टीम ‘मैं कुछ भी कर सकती हूं’ विश्वास का सही अवतार है. चंद्रमा की खोज कभी दूर का सपना था, लेकिन निकट भविष्य में अब ये वास्तविकता हो सकती है. चंद्रयान -2 भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है.
2. मैं कुछ भी कर सकती हूं -
संयोग से, एडूटमेंट शो मैं कुछ भी कर सकती हूं का तीसरा सीजन 7 सितंबर को संपन्न हुआ, जिस दिन चंद्रयान -2 चांद पर उतरा. पांच साल पहले टीवी सीरियल अपनी नायक डॉ स्नेहा माथुर के साथ एक ट्रेंडसेटर बन गया था और महिलाओं को विश्वास दिलाया था कि वे कुछ भी हासिल कर सकती हैं. इस शो ने कई मिथकों को तोड़ दिया है और पुराने सामाजिक मानदंडों और कठिन मुद्दों का अत्यंत संवेदनशीलता के साथ सामना किया है. इसमें सेक्स पहचान प्रथाओं, बाल विवाह, युवा लोगों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य, महिलाओं के अधिकारों और स्वच्छता जैसे विषयों को शामिल किया गया है. इसमें वर्जित विषयों को उजागर करने के बावजूद, यह शो अत्यधिक लोकप्रिय बना हुआ है और इसने महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी अपने जीवन में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया है.
3. पी.वी.सिंधु-
25 अगस्त को हमारी पी.वी. सिंधु ने एक और कीर्तिमान बनाया. वह विश्व चैम्पियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बन गईं. सिंधु ने फाइनल में जापान की नोजोमी ओकुहारा को सीधे सेटों में हराकर देश को गौरवान्वित किया.
4. फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना-
भारतीय बैडमिंटन की गोल्डन गर्ल पी.वी. सिंधु की खबर आने के साथ ही ये समाचार भी आया कि भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलट गुंजन सक्सेना की कहानी सिल्वर स्क्रीन पर दिखाई देगी. 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान लेफ्टिनेंट सक्सेना एक फ्लाइट ऑफिसर थी. वह पहली महिला शौर्य चक्र प्राप्तकर्ता भी हैं.
5. दीपा मलिक-
और हां, भारत कह सकता है कि मैं कुछ भी कर सकती हूं क्योंकि हमारे पास पैरा-एथलीट दीपा मलिक है. मलिक प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली भारतीय महिला पैरा-एथलीट बनीं.