भावनात्मक अभिव्यक्ति शुरू से ही राजश्री प्रोडक्शन की धरोहर रही है. उनकी पहली फिल्म 'आरती' ले लीजिए, या फिर 'दोस्ती', जीवन मृत्यु, उपहार, पिया का घर, सौदागर, गीत गाता चल, तपस्या, चितचोर, दुल्हन वही जो पिया मन भाये, अंखियों के झरोखों से, सावन को आने दो, तराना, नदिया के पार, सारांश, अबोध, मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन, मैं प्रेम की दीवानी हूँ, हम साथ साथ है, विवाह, प्रेम रतन धन पायो, इन सब में जो एक कॉमन फैक्टर है, वो है पारिवारिक प्रेम, और आंतरिक भावनाओं की अभिव्यक्ति. राजश्री प्रोडक्शन के जन्मदाता ताराचंद बड़जात्या ने अपनी पहली फिल्म के साथ संस्कारी, सुन्दर और पारिवारिक फ़िल्मों की जो अलख जगाई थी, वो उनके पोते सूरज बड़जात्या ने प्रज्वलित रखा, लेकिन इस बार 11 नवंबर को सूरज द्वारा निर्देशित राजश्री प्रोडक्शन की जो नवीनतम फिल्म 'ऊँचाई' रिलीज़ हो रही है वो पारिवारिक फिल्म होते हुए भी पारिवारिक थीम से जरा हटकर है जिसका टैग लाइन है #दोस्ती. पूरे सात वर्षों के बाद सूरज बड़जात्या, फिर से एक नई पेशकश लेकर लौटे हैं. उनकी पिछली फिल्म थी, 'प्रेम रतन धन पायो' (2015) सूरज की डायरेक्शन-मैच्योरिटी, उनकी पहली फिल्म 'मैंने प्यार किया' से ही नज़र आती है, जब वो बस नया नया कॉलेज से निकला ही था. नीना गुप्ता जैसी वरिष्ठ और सर्वोत्तम आर्टिस्ट का भी कहना है कि फिल्म 'ऊँचाई' में जो अच्छाई है, जो सच्चाई है, जो भावनायें है और जो प्यार है वो सब सूरज का प्रतिबिंब है. नीना का ये ऑब्सर्वेशन एकदम सटीक है. सूरज की प्रत्येक फिल्म उनके हक़ीक़त के जीवन का एक प्रतिबिंब ही तो है. सूरज का कहना है, "रचनात्मक अभिव्यक्ति हमारे अपने जीवन के अनुभवों से आते हैं जो हम फ़िल्मों में पिरोते है." उनकी नवीनतम फिल्म 'ऊंचाई', सूरज के आज की जिंदगी, आज की उम्र और आज की सोच के निचोड़ से निर्मित है. अपनी इस बहुचर्चित फिल्म को लेकर बातचीत करते हुए वे कहते हैं, "जब इस फिल्म के विषय पर मैंने गहराई से सोचना शुरू किया तो मुझे एवरेस्ट की चढ़ाई, और बेस कैंप जैसे विषयों की जानकारी नहीं थी, जब इस बारे में सर्च किया तो जाना कि लोग सत्तर साल की उम्र में भी ऊंचे पर्वतों की चढ़ाई करते हैं, विषय रोचक था, लेकिन मेरे स्टाइल का नहीं शायद, इसलिए थोड़ा हिचकिचा रहा था, फिर कोविड का दौर आया और तब एहसास हुआ कि हिम्मत ही सब कुछ है. दिल की आवाज़ ने कहा, यह हिम्मत की भावना ही मेरी इस फिल्म में नायक का रूप है और फिर इस विषय ने मेरे मन में घर कर लिया." इस फिल्म के साथ सूरज ने अपनी खुद की ऊँचाई की ओर एक और कदम बढ़ा दिया.
अब तक उनकी फ़िल्में युवा प्रेम, संयुक्त परिवार विवाह की मर्यादाओं जैसी सम्वेदनाओं पर आधारित रहती थी, लेकिन इस फिल्म में विषय वास्तु कुछ अलग है. इस बारे में बात करते हुए सूरज ने कहा," इस फिल्म में मेरे स्टाइल की कोई प्रेम कहानी नहीं है. अब तक राजश्री फिल्म्स में जिस तरह के म्यूजिक, गीत, नृत्य होते थे, इसमें वैसा नृत्य, गीत नहीं है लेकिन इसमें जो है वो मेरे दिल की आवाज़ है, मेरी आत्मा की पुकार है, मेरी चाहत है. प्रत्येक फिल्म मेकर को, विषय वास्तु, खुद चलकर पुकारती है, उस कथा के चरित्र पुकारती है. और वैसे भी आज की सिनेमा कुछ नया, कुछ ताजगी चाहती है, अगर हम दर्शकों को थिएटर तक लाना चाहते हैं तो नया और मनोरंजक स्टोरी बनाना ही पड़ेगा, कुछ बृहद दृश्य देना ही पड़ेगा और मेरे पास जो विषय था वो एकदम अलग था जिसमें एक संदेश भी है. मैंने जब उसपर काम करना शुरू किया, और जब अमिताभ जी को अपनी फिल्म के लिए पा लिया, तो बस, मुझे और क्या चाहिए था. " अमिताभ बच्चन को अपनी फिल्म के लिए पा लेने की खुशी सूरज के दीप्तिमान मुख को और भी उजास से भर देता है. लेकिन प्रश्न ये उठता है कि अमिताभ ही क्यों? बॉलीवुड के कई अन्य सुपर स्टार्स क्यों नहीं? इस पर सूरज का कहना है,"फिल्म का नायक साहस और पराक्रम का प्रतीक है और अमिताभ बच्चन जी से बढ़कर कौन साहसी और पराक्रमी हो सकता है? जिस पल मैंने फिल्म 'ऊँचाई' की स्क्रिप्ट पढ़ी उसी पल मैंने सोचा कि अमिताभ जी के सिवाय कोई और इस फिल्म में हो ही नहीं सकता. 80 की उम्र में वे जो कर रहे हैं वो अकल्पनीय है. फ़िल्म 'ऊँचाई' की कठिन शूटिंग परिस्थितियों में ही नहीं, अमिताभ जी ने तो कोविड की डरावनी परिस्थितियों में भी जिस दिलेरी से शूटिंग की है, वो हम सबके लिए एक मिसाल है." अमिताभ जी को ऑन बोर्ड लाने के बारे में सूरज जी ने बताया,"मुझे मेरी फिल्म के इस किरदार के लिए सिर्फ और सिर्फ अमिताभ बच्चन ही चाहिए थी. मैंने उन्हें स्क्रिप्ट भेज दी पढ़ने के लिए, उन्होंने मुझे **जूम** पर 'आधे घंटे का समय दे दिया. अमित जी ने स्क्रिप्ट पढ़ी, मेरा नरेशन सुना और कहा कि उन्हें स्क्रिप्ट में से वो एक लाइन सबसे अच्छा लगा कि "भले हम सब लोग हिमालय के दर्शन नहीं कर सके, लेकिन हम ना भूलें, कि हम सबमें वो हिमालय, वो एवरेस्ट,, वो शक्ति है, जिससे हम जीवन की हर ऊँचाई पार कर सकते हैं." अर्थात हम सबके अंदर अपना अपना एवरेस्ट है." और फिर उन्होंने जब कहा, "मेरे साथ और कौन कौन से कलाकार काम कर रहे हैं?"बस, ये सुनते ही मैं समझ गया कि बात बन गई. " इस फिल्म में डैनी डेन्जोंगपा ने स्पेशल गेस्ट एपियरेंस की लेकिन उन्हें राजी करना मुश्किल था इस बारे में सूरज ने बताया, " छः महीने लगे डैनी जी को ऑन बोर्ड लाने में, एक तो वे सिक्किम में रहते हैं, दूसरा वे गर्मियों के मौसम में शूट नहीं करते हैं, तीसरा उन्होंने कभी गेस्ट एपियरेंस नहीं किया, उसपर पेंडमिक के चलते वे चिंतित थे, मैंने उन्हें स्क्रिप्ट पढ़ने की गुजारिश की, पेंडमिक के बारे में निश्चिंत किया, फिर नेपाल की खूबसूरत तस्वीरें भेजी (जंहा शूटिंग करना था), तब वे निश्चिंत हुए." फिल्म की अधिकतर शूटिंग पहाड़ों की ऊँचाई पर की गई जहां सीनियर एक्टर्स को ले जाना खतरों से खाली नहीं था, कैसे उन्होंने सारी तैयारी की, इस प्रश्न पर सूरज का कहना था," हमने सारी सावधानियां बरती, पहले क्रू मेंबर्स ने चढ़ाई की, फिर कलाकारों को ले गए, बहुत धीरे धीरे ऊपर चढ़े, तीन सौ लोगों की टीम थी, हमने ज्यादातर रियल लोकेशंस में शूट किया."
सूरज बड़जात्या और सलमान खान ने एक साथ ही अपने अपने करियर की शुरुआत की थी, सूरज ने इक्कीस बाईस की उम्र में अपने हमउम्र, युवा सलमान खान को अपनी फिल्म 'मैंने प्यार किया' में डायरेक्ट किया, जिसने सुपर डुपर हिट होकर इन दोनों को अपने अपने करियर और फील्ड में एक मुकम्मल ऊँचाई प्रदान की . 'मैंने प्यार किया' के बाद सलमान को लेकर सूरज ने तीन और सुपर हिट फ़िल्में बनाई, लेकिन इस बार उन्होंने सलमान के चाहने और कहने के बावजूद उन्हें नायक के रूप में क्यों नहीं लिया? इस सवाल पर सूरज का कहना है कि सलमान के साथ काम करना हमेशा से ही उनके लिए एक आनंददायक अनुभव रहा है, लेकिन यह फिल्म 'ऊँचाई' एक ऐसी फिल्म है जहां उन्हें माचो इमेज वाले नायक नहीं चाहिए थी. उनके फिल्म का किरदार ऐसा होना चाहिए कि दर्शक अंत तक ये अंदाजा ना लगा पाए कि क्या ये बुजुर्ग एवरेस्ट विजय कर पाएंगे? उस बुजुर्ग किरदार के लिए भी यह एक कठिन काम लगना चाहिये जबकि सलमान की इमेज तो ऐसी है कि वो चुटकियों में, अपनी सबसे छोटी उंगली में पूरे एवरेस्ट पर्वत को ही उठा ले. इसलिए इस भूमिका के लिए सलमान नहीं चाहिए थी और मुझे तो यही फिल्म बनानी थी, इस उम्र में (58) अब मुझे अपनी आत्मा की पुकार सुनना ही था." आज के समय में जब बॉलीवुड की बड़ी बड़ी फ़िल्में धराशाई होती जा रही है और दक्षिणी फ़िल्मों का डंका बच रहा है तो ऐसे में वे क्या सोचते हैं हिन्दी फ़िल्मों के नए रिलीजों पर? इसपर सूरज कहते हैं," दक्षिणी फ़िल्में जो हिट हुई वो सर्वविदित है, लेकिन बहुत सी फ़िल्में वहाँ भी फ्लॉप हो रही है, उस बारे में कोई नहीं जानता. सच कहूँ तो बॉक्स ऑफिस ने हमेशा मुझे चौंकाया है, फिल्म 'मैंने प्यार किया' के अलावा मेरी अन्य फ़िल्में रातोंरात हिट नहीं हुई लेकिन धीरे धीरे रफ्तार पकड़ी थी."
फिल्म 'ऊंचाई' से क्या मेसेज आप देना चाहते हैं? इस प्रश्न पर सूरज ने कहा," जब दर्शक राजश्री फिल्म देखने आतें है तो पूरे परिवार के साथ आते हैं, मैं उन्हें अपने छोटे छोटे प्रयासों से फैमिली वैल्यूज़ के बारे में कहना चाहता हूँ, मेरी सबसे बड़ी चुनौती है कि मैं ज्ञान देता नज़र ना आऊँ. इस फिल्म का यह संदेश है कि किसी भी उम्र में आप कुछ भी कर सकते हैं, कोई भी भाषा सीख सकते हैं, कोई भी नया टेक्निक, चाहे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स सीख सकते हैं, पहाड़ चढ़ सकते हैं, दुनिया घूम सकते हैं, अपना कोई हॉबी पूरा कर सकते हैं. मैं विभिन्न परतों के साथ, छोटी-छोटी चीज़े युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा हूं.
राजश्री फ़िल्मों की खासियत रही है रिलेशनशिप, फैमिली वैल्यूज़, और भारतीय कल्चर को सेलिब्रेट करना, इस बार सूरज बड़जात्या ने कुछ अलग करने की ठानी है, क्या दर्शक इस बदलाव को स्वीकार कर पाएंगे? इस प्रश्न पर सूरज का कहना है, "मूल रूप में देखा जाय तो मेरी ये फिल्म भी पारिवारिक ही है, दोस्त भी एक परिवार की तरह होते हैं, इस फिल्म में दोस्ती के गहरे रिश्तों को रेखांकित किया गया है, दर्शकों को जरूर प्रभावित करेगी ये फिल्म." जब उनसे पूछा गया कि दर्शक उनकी इस फिल्म से क्या अपेक्षा कर सकते है क्योंकि इसमें तो राजश्री फिल्म्स स्टाईल छाप, बिग फैट वेडिंग, नाच गाना नहीं है? तो वे बोले, "फिल्म 'ऊँचाई', मेरी पहले की फ़िल्मों से अलग जरूर है बट कोर फैमिली फिल्म ही है. लेकिन हाँ, मेरे लिए यह फिल्म, आगे की ओर एक और कदम भी है, इस फिल्म में रिश्तों की गहराई वही है, भावनायें वही है, फैमिली विउइंग भी वही है. मैं अक्सर अपने स्टूडियो फ्लोर पर शूट करता रहा हूँ लेकिन इस बार भारत के कई छोटे बड़े शहरों, कानपुर, गोरखपुर, लखनऊ गया और नेपाल गया, पहाड़ों पर शूटिंग की. कठिन परिस्थितियों में, सीनियर कलाकारों के साथ शूटिंग की, कोविड काल में शूटिंग की. एक अलग और मर्मस्पर्शी विषय पर काम किया, मेरी फिल्म 'ऊंचाई में दोस्ती के रिश्तों की गहराई कुछ इस तरह पिरोया गया जिसमें आनन्द, उत्साह, कॉमेडी के रंग भी है, सम्वेदना है, भावनाएँ है, परिवार समेत देखने वाली फिल्म है. इस बैलेंस को थामे रखना जरूरी था." फिल्म' प्रेम रतन धन' के बाद 2015 से 2022 तक सूरज व्यस्त रहे अपने टेलिविजन विंग में, इस बीच सूरज के पुत्र अवनिश द्वारा डायरेक्ट किए जाने वाले एक स्क्रिप्ट को उन्होंने पूरा किया, लेकिन फिर पेंडमिक के कारण सब ठहर सा गया. इसी बीच फिल्म 'ऊंचाई' के स्क्रिप्ट पर सूरज का दिल आ जाने से उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया, जिसका रिज़ल्ट अब सामने है. सूरज बड़जात्या की इस फिल्म में सीनियर कलाकार नीना गुप्ता, सारिका, अनुपम खेर, बोमन ईरानी की मुख्य भूमिका है. आइए जानते हैं नीना गुप्ता क्या कहती है 'ऊंचाई' को लेकर.
ऊँचाई आपके लिए क्या मीन करता है? इस प्रश्न पर बेहद खूबसूरत नजर आने वाली नीना ने कहा, "हैपीनेस, सम्पूर्ण आंनद."
अगला प्रश्न था, 'पिछले काफी समय से आप सिर्फ बेहतरीन फ़िल्मों को ही साइन कर रही है, फिल्म 'ऊँचाई' को हाँ कहने की क्या वज़ह है?" इसपर नीना का ज़वाब था, "राजश्री फिल्म से ऑफर आना अपने आप में एक बड़ी बात है, सूरज जी द्वारा, इस फिल्म के लिए मुझे याद किए जाना मेरे लिए गर्व की बात है और फिर मुझे ऊँचाई की स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई, मेरी भूमिका ऐसी है जिससे आम स्त्रियां कनेक्ट हो सकती है. मैं सबीना नाम की शादीशुदा हाउज़ वाइफ का रोल कर रही हूँ, जिसकी जिंदगी अपने पति जावेद (बोमन ईरानी) और बेटी के इर्द गिर्द घूमती है, पति के दोस्तों के साथ भी वो फ्रेंडली है, फिर क्या होता है, ये चौंकाने वाली घटना है. जब मैं युवा थी तब राजश्री की फ़िल्मों में काम करने के लिए कई बार चाहती थी सूरज जी से मुलाकात हो जाए, लेकिन नहीं हुआ, आज इस फिल्म ने मुझे बहुत खुशी दी है." अपने सह कलाकारों के साथ काम करने को लेकर वे कहती हैं," अनुभवी और बेहतरीन कलाकारों के साथ काम करना एक संतुष्टी देने वाला अनुभव होता है, सभी खुश है, सभी संतोष में है, कोई प्रतिस्पर्धा नहीं. मैंने सबसे कुछ न कुछ सीखा, सभी पूछते हैं अमिताभ जी के साथ काम करना कैसा लगा, मैं कहती हूँ कि वे एक बहुत नॉर्मल और उम्दा कलाकार है, डाउन टू अर्थ. ये अलग बात है कि हम लोग सोचते रहते हैं कि अमित जी से ये कहूँ या न कहूं, उनके साथ कोई मज़ाक वाली बात करूँ या ना करूँ. ये हमारा प्रॉब्लम है, उनका नहीं. एक बार जब हम दिल्ली में शूटिंग कर रहे थे, तो मुझे अचानक मालूम पड़ा कि उन्हें बुखार है, उन्होंने किसी को कानो कान खबर नहीं लगने दी थी, उस दिन के बाद से जब कभी शूटिंग करते हुए मुझे कोई स्वास्थ्य प्रॉब्लम होता है तो मैं सोचती हूँ, जब अमिताभ जी बुखार लेकर शूटिंग कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं." फिल्म 'ऊंचाई' की शूटिंग कठिन स्थल में होने से क्या नीना के परिवार वालों ने चिंता नहीं की? इस प्रश्न पर वे बोली," नहीं, उन्होंने मुझे बिल्कुल नहीं रोका, और ना मुझे डराया कि इतनी ऊँचाई में शूटिंग करने जा रही हो, ये हो जाएगा, वो हो जाएगा, बल्कि मेरी बेटी मासाबा ने तो मुझे उत्साह दिया कि ये फिल्म जरूर करना चाहिए, इस उम्र में ये एक बहुत सुन्दर अनुभव होगा. हाँ मेरी बेटी और पति मुझे जरूर कहते थे कि गर्म कपड़े रखो, सही टाइम पर वहाँ दवा ले लेना, पानी ज्यादा पीना, वगैरह." फिल्म 'ऊंचाई' के दोस्ती थीम पर नीना कहती हैं," दोस्ती जीवन में बहुत जरूरी है, जब हम उम्रदराज हो जाते हैं तो कोई साथ नहीं होता, बच्चे अपनी अपनी जिंदगी जीने चले जाते हैं, रिश्तेदार या तो दूर होते हैं या दुनिया में नहीं होते, उस वक़्त हमारे पास कोई ज्यादा काम नहीं होता, व्यस्तता नहीं होती, अकेलापन काटने को दौड़ता है, तब ये मित्र ही काम आते हैं.
इस फिल्म में अभिनेत्री सारिका भी मुद्दतों के बाद राजश्री फिल्म में वापस काम कर रही है, सारिका का कहना है, "मैं फ़िल्में बहुत सोच समझकर लेती हूँ, लेकिन राजश्री की बात ही कुछ और है, 1975 में राजश्री फिल्म्स कृत 'गीत गाता चल' करने के 47 वर्ष के बाद फिर एक बार राजश्री फिल्म में काम करना, जिन्दगी को एक फुल सर्कल दे रहा है. और फिर 'ऊंचाई' में मेरी, माला की भूमिका एकदम अलग और बेहतरीन है. माला की भूमिका एक स्वतंत्र स्वभाव की स्त्री का है, वो ज्यादा बोलती नहीं, इस लिए उस चरित्र को उभारना वाकई एक चुनौती थी." ऊँचाई में काम करने के अनुभव के बारे में बताते हुए सारिका कहती हैं," हम सब तीन अलग अलग लोकेशन में शूट कर रहे थे, लेकिन वापस काठमांडू के बेस कैंप में लौटते थे. जंहा सारी सुविधाएं थी, जिस कारण कोई शारीरिक समस्या नहीं हुई और भावनात्मक रूप से सब कुछ बेहद अच्छा लगा, जहां तक बात हिमालय चढ़ने की है, तो हाँ वो एक अलग अनुभव रहा जो बार बार नहीं हो सकता. अपने को-स्टार्स के साथ काम करने का अनुभव बेहतरीन रहा, अमिताभ जी के साथ मैं कई बार पहले भी काम कर चुकी हूँ, बोमन जी के साथ भी काम किया है लेकिन अनुपम और नीना के साथ पहली बार काम कर रही थी जो मेरे लिए बहुत अच्छा अनुभव रहा. फिल्म के सारे एक्टर्स अद्भुत और उत्कृष्ट कलाकार हैं इसलिए काम करने का मज़ा ही कुछ और था. नेपाल शेड्यूल काफी हेक्टिक था, लेकिन फिर भी हम सब चुस्त थे और हम सबने बहुत मस्ती भी की." फिल्म के बारे में बोलते हुए सारिका ने कहा,"तीन दोस्तों की कहानी में नीना और मैं एक अलग से किरदार में हैं, फिल्म में दोस्ती, प्रतिबद्धता, दृढ़ संकल्प, सभी बाधाओं को पार करने का संकल्प और अनुशासन है और यह ताकत आती है प्यार और दोस्ती से." सारिका के लिए ऊँचाई का अर्थ है, सबकुछ बेहतरीन तरीके से सम्पन्न करना, जिसमें मन की खुशी और संतोष होना जरूरी है.
फिल्म 'ऊंचाई' 'तीन दोस्तों की कहानी है जो अपने एक जिगरी दोस्त की अंतिम ईच्छा को पूर्ण करने के लिए अपने जीवन की संध्या में एवरेस्ट ट्रैकिंग करने का मन बना लेते है और फिर वे अपनी शारीरिक सीमाओं से लड़ते हुए, स्वतंत्रता के सही अर्थ की खोज करते हैं. यह यात्रा उन सबके लिए एक व्यक्तिगत, भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, डैनी डैनजोंगपा, अनुपम खेर, बोमन ईरानी, नीना गुप्ता, परिणिति चोपड़ा, नफीसा अली, और सारिका अभिनय कर रहे हैं. फिल्म के निर्माता बड़जात्या बैनर कृत राजश्री फिल्म्स है.