बॉलीवुड में हमेशा से ही महिला प्रधान फिल्में बनती आईं हैं, जिन्हें देखकर देश की महिलाओं और बच्चियों को अपनी शक्ति का एहसास होता है। बॉलीवुड में बनने वाली महिला प्रधान फिल्मों में ज्यादातर फिल्में ऐसी होती हैं जो सच्ची घटनाओं पर आधारित होती हैं। कुछ फिल्में ऐसी भी होती हैं, जो महिलाओं को लेकर कई तरह की सामाजिक समस्याओं और मुद्दों पर आधारित होती हैं। ये फिल्में हमें समाज और महिलाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी का संदेश तो देती ही हैं, साथ ही महिलाओं को जागरुक होने की प्रेरणा भी देती हैं। तो आइए आज महिला दिवस के मौके पर हम आपको बताते हैं बॉलीवुड की कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में जो आपको भी जरूर देखनी चाहिए...
1- पैडमैन
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ता है। अक्षय कुमार स्टारर यह फिल्म ‘पैडमैन’ यानी अरुणाचलम मुरुगनांथम की वास्तविक जीवन यात्रा पर आधारित है, जिसने सेनेटरी नैपकिन बनाने के लिए पहली कम लागत वाली मशीन बनाई थी। आर बाल्की द्वारा निर्देशित इस फिल्म में दो मजबूत महिलाएं हैं, ट्विंकल खन्ना और गौरी शिंदे निर्माता के रूप में। इसमें राधिका आप्टे और सोनम कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई है। यह फिल्म ग्रामीण भारत में मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने का संदेश देती है।
2- पद्मावत
दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर स्टारर फिल्म पद्मावत को संजय लीला भंसाली ने निर्देशित किया था। यह फिल्म चित्तौड़ की बहादुर रानी पद्मिनी पर आधारित कहानी है, जिसने अलाउद्दीन खिलजी द्वारा कब्जा किए जाने के बजाय जौहर (आत्मदाह) किया था।
3- मणिकर्णिका
कंगना रनौत स्टारर ये फिल्म रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर आधारित है। फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता तेलुगु निर्देशक कृष द्वारा निर्देशित है।
4- राज़ी
मेघना गुलज़ार द्वारा निर्देशित और करण जौहर द्वारा निर्मित राज़ी, सहमत की कहानी है, जो हरिंदर सिक्का के उपन्यास ‘कॉलिंग सेहमत’ पर आधारित है। फिल्म 1971 के भारत-पाक युद्ध की पृष्ठभूमि में सेट की गई है, और एक कश्मीरी जासूस के चारों ओर घूमती है। आलिया भट्ट एक पूरी तरह से अलग अवतार में एक महिला जासूस के रूप में नजर आईं, जो खुफिया जानकारी के स्रोत के लिए एक पाकिस्तानी अधिकारी से शादी करती है और इसे भारतीय सेनाओं को सौंप देती है।
5- हिचकी
इस फिल्म में रानी मुखर्जी टॉरेट सिंड्रोम से पीड़ित एक शिक्षक की भूमिका निभा रही होंगी, एक न्यूरोसाइकिएट्रिक डिसऑर्डर (मोटे तौर पर जिसे हिचकी कहा जाता है)। फिल्म घूमती है कि कैसे शिक्षक अनुशासनहीन छात्रों से भरी कक्षा को पढ़ाने की प्रक्रिया से निपटता है। हिचकी हॉलीवुड फिल्म, 'फर्स्ट ऑफ द क्लास' की रीमेक है।
6- वीरे दी वेडिंग
'वीरे दी वेडिंग ऐसी फिल्म है जिसने बॉलीवुड में विमेन ओरियंटेड एक नए किस्म के सिनेमा का आगाज कर दिया है। बालीवुड में अभी तक यारों-दोस्तों का कॉन्सेप्ट ही हिट होता था, जिसकी मिसाल 'जिंदगी मिलेगी न दोबारा' और 'दिल चाहता है' जैसी फिल्में थीं। लेकिन अब सहेलियाँ भी किसी से कम नहीं। 'वीरे दी वेडिंग' Why should boys have all the fun के कॉन्सेप्ट पर आधारित है।
7- एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
समलैंगिक रिश्तों पर इससे पहले भी 'अनफ्रीडम', 'फायर', 'माय ब्रदर निखिल', 'आई एम', 'बॉम्बे टॉकीज' जैसे फिल्में आईं हैं, मगर पिछले साल सितम्बर में कानून द्वारा समलैंगितता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के बाद निर्देशक शैली चोपड़ा धर की 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' इस मुद्दे पर एलजीबीटी समुदाय ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए एक महत्वपूर्ण फिल्म साबित होती है। फिल्म में समलैंगिक रिश्तों का भावनात्मक पहलू तो मजबूती से बुना गया है।
8- लिपस्टिक अंडर माइ बुर्खा
भारत के एक छोटे से शहर में स्थित, 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्खा', उन चार महिलाओं की कहानी प्रस्तुत करती है, जो थोड़ी स्वतंत्रता की तलाश में हैं। चार महिलाएं हैं - एक बुर्क़ा-पहने कॉलेज गर्ल, जो एक पॉप सिंगर, एक युवा ब्यूटीशियन, एक गृहिणी और 55 वर्षीय विधवा बनने की इच्छा रखती है। इन चार महिलाओं ने आजादी और खुशी को फिर से तलाशने की यात्रा पर निकली।
9- द जोया फैक्टर
अनुजा चौहान द्वारा लिखे गए इसी नाम के उपन्यास पर आधारित, फिल्म में ज़ोया सोलंकी की कहानी है, जो एक ऐसी लड़की है जो विश्व कप के दौरान भारतीय क्रिकेट टीम के लिए भाग्यशाली आकर्षण बन जाती है।
10- छपाक
राज़ी में एक महिला जासूस की कहानी का निर्देशन करने के बाद, मेघना गुलज़ार एक मजबूत महिला की एक और कहानी के साथ वापस आएंगी जिसका जीवन एक एसिड हमले के बाद बदल जाता है। उनकी अगली फिल्म छपाक लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी है, जिन्होंने अपने साहस के बाद बहुत साहस का प्रदर्शन किया। दीपिका पादुकोण फिल्म में मुख्य भूमिका निभाएंगी और इस उद्यम के साथ निर्माता भी बनेगी।