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90 के दशक के हिंदी सिनेमा के गायकों की बात होती है, तो कुमार सानू का नाम इस लिस्ट में सबसे ऊपर आता है.
आये भी क्यों न!उनकी मधुर आवाज लोगों के दिलों में रस घोल देती है. कुमार सानू और अनुराधा पौंडवाल की गायिकी की जोड़ी ने नब्बे के दशक में धूम मचा दी थी.
लगभग हर फिल्म में कुमार सानू के गाये हुए गीतों पर फिल्म का हीरो झूमता नजर आता था.
आलम कुछ ऐसा हो गया था कि हर हिंदी गानों के शौकीन के घर में कुमार सानू के कसेट मिल जाते थे.
बाजार में हर दूसरी दुकान पर इन्हीं के गाने लोगों के कानों में रस घोल रहे होते थे.
ऐसे में इस परदे के पीछे की आवाज के बारे में जानना दिलचस्प रहेगा जानते हैं, केदारनाथ भट्टाचार्य के कुमार सानू बनने तक के सफ़र को-
कुमार एक बेहतरीन ‘तबला वादक’ भी
कुमार सानू का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ. उनके पिता पशुपति भट्टाचार्य हैं. उनके पिता भी एक गायक और संगीतकार रहे.
लिहाजा, ये कहने में कोई गुरेज नहीं कि कुमार को तो संगीत विरासत में ही मिला है.अपने गाने से सबका दिल जीतने वाले सानू एक बेहतरीन तबला वादक भी हैं.
उनके हाथ तबले पर पड़ते ही एक अलग किस्म का संगीत सुनने को मिलता है. उनकी तबले की तान का कोई सानी नहीं है उनका परिवार बहुत गरीब था. वो बताते हैं कि ऐसा समय भी होता था जब घर में कुछ खाने को नहीं होता था.
लेकिन इसके बावजूद पिता ने उनकी शिक्षा में कोई कमी नहीं रखी.
सानू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में रहकर ही प्राप्त की. उन्होंने विद्या निकेतन स्कूल से पढ़ाई की.
इस स्कूल में किताबों से लेकर यूनिफार्म और भोजन सब फ्री होता था.
संगीत के दिग्गज ने इसके बाद कोलकाता यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया.
उन्होंने कॉमर्स विषय से अपने ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की.
संगीत का शौक रखने वाले सानू को अभी तक कोई बड़ा ब्रेक नहीं मिला था. वो अभी छोटी-मोटी जगहों पर जाकर अपने संगीत का प्रदर्शन किया करते थे.
जगजीत सिंह ने दिया करियर का पहला मौका
उन्हें संगीत में दिलचस्पी शुरुआत से ही थी. साल 1979 में वह होटलों, रेस्टोरेंट्स आदि में जाकर अपने गीत गाया करते थे.
उन्हें अभी तक वो बड़ा मौका नहीं मिला पाया था जिसकी तलाश में वो वर्षों से थे.
आखिरकर साल 1986 में एक मौके ने उनके करियर के दरवाजे पर दस्तक दी.
कुमार को इसी वर्ष बंगलादेशी फिल्म तीन कन्या में गाने का मौका मिला.
लेकिन, अभी उन्हें वह पहचान नहीं मिली थी, जिसकी उन्हें दरकार थी.
सानू को बॉलीवुड जगत में लाने का पूरा क्रेडिट स्वर्गीय जगजीत सिंह को जाता है. उन्हीं ने कुमार को हिंदी सिनेमा में लांच किया था. जगजीत जी ने उन्हें गाने का ऑफर दिया. जिसे पाकर सानू की ख़ुशी का कोई ठिकाना न रहा.
उन्होंने फिल्म आंधियाँ में अपनी आवाज देकर अपने करियर का आगाज किया. यहाँ तक कि उन्होंने ही कुमार की मुलाकात कल्याणजी आनंद से भी करवाई.
इस बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि सानू का नाम पहले केदारनाथ भट्टाचार्य था, जिसे कल्याणजी ने बदलकर कर कुमार सानू करने को कहा. बस, क्या था उन्हें ये बात जंच गयी और उन्होंने अपना नाम बदल डाला.
किशोर कुमार को किया करते थे कॉपी
सानू के बारे में एक दिलचस्प किस्सा जुड़ा हुआ है. दरअसल, वह किशोर कुमार के बहुत बड़े फैन रहे हैं. बचपन से ही उन्हें उनका संगीत बहुत पसंद रहा.
वो उन्हें कुछ इतना पसंद करते थे कि बचपन से ही उनकी तरह गाने का प्रयास करते. वो उनकी कॉपी किया करते थे. वजह से उनकी गायिकी किशोर कुमार की गायिकी से काफी हद तक मिलने लगी थी.
खैर, उन्हें अब फिल्म इंडस्ट्री में बहुत बड़ा ब्रेक मिल चुका था. वह सिनेमा जगत में अपना झंडा लहराने में सफल हो चुके थे.
इस दौरान उन्होंने जब कोई बात बिगड़ जाए, एक लड़की को देखा तो, ये काली-काली आँखें, तुझे देखा तो ये जाना सनम, बस एक सनम चाहिए आदि गाने गाकर फिल्म इंडस्ट्री में धूम मचा दी.
उन्होंने हर बड़े गायक के साथ गाना गाया. जिसमें नौशाद, रवींद्र जैन, हृदयनाथ मंगेशकर, कल्याणजी आनंद और उषा खन्ना जैसे गायक शामिल हैं.
एक दिन में 28 गाने गाकर बनाया ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’
कुमार का करियर बहुत ऊँचाइयों पर था. 90 के दशक में लगभग हर फिल्म में उनका एक गाना ज़रुर ही होता था. उनके सितारे बुलंदी पर थे. एक समय ऐसा था जब उन्होंने एक ही दिन में एक पांच या दस नहीं , बल्कि 28 गाने रिकॉर्ड किये.
ऐसा करने वाले वह पहले सिंगर थे. उनके इस काम के लिए उनका नाम गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया.
यही नहीं अपने सुपरहिट गानों के लिए उन्हें लगातार पांच साल तक फिल्मफेयर अवार्ड से भी नवाजा गया. इसी के साथ वो ऐसा मुकाम पाने वाले पहले सिंगर बन गए थे.
बताते चलें, कुमार सानू ने अपना हाथ निर्देशन में भी आजमाया था. उन्होंने साल 2006 में फिल्म ‘उत्थान’ का निर्माण किया. इसके बाद भी उन्होंने एक दो फ़िल्में बनाई. इसके अलावा, उन्होंने टीवी शो में बतौर जज भी काम किया.
राजनीति में भी आजमाया अपना हाथ
कुमार सानू ने अपने नाम का परचम तो हिंदी सिनेमा में फहरा ही दिया था. इसके बाद उन्होंने राजनीति में भी अपना हाथ आजमाया.
साल 2004 में, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की मेम्बरशिप ली. कुछ समय तक सदस्यता कायम रखने के बाद उन्होंने किन्हीं कारणों से पार्टी का दामन छोड़ दिया.
इसके बाद उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली. साल 2014 में जब बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें एक बार फिर से पार्टी से जुड़ने का निमंत्रण दिया , तो उन्होंने हां कर दी.
इस तरह वह एक बार फिर बीजेपी पार्टी के साथ जुड़ गए.
आज भी कुमार का जलवा हिंदी सिनेमा में बरकरार है. हाल ही, में उनके द्वारा गाये हुए गाने ‘ तुमसे मिले दिल में उठा’ गाने को बहुत पसंद किया गया