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मशहूर बंगला लेखक विनोद घोसाल के उपन्यास ‘‘छायाजपॉन’’ पर आधारित और यशपाल शर्मा, योगेश भारद्वाज व तनिष्ठा विश्वास के अभिनय से सजी फिल्म ‘‘छिपकली’’ आगामी 17 मार्च को देशभर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने वाली है.स्टूडियोग्राफी इंटरटेनमेंट प्रेजेंट्स व सुआन सिल्वर स्क्रीन द्वारा निर्मित फिल्म ‘‘छिपकली’’ को राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता यशपाल शर्मा अपने करियर की सबसे यादगार फिल्म बताते है.वह कहते हैं- ‘‘मेरे लिए फिल्म ‘छिपकली’जीवन भर एक बहुत ही खास और यादगार फिल्म रहेगी.इस फिल्म की पटकथा बहुत जटिल है.इसके आयाम और परतें हैं.मेरा किरदार प्याज के छिलके की तरह खुलता है, एक परत खुलती है.इसमें केवल दो केंद्रीय पात्र योगेश भारद्वाज और मैं थे. इसलिए यह मेरे लिए भी बहुत चुनौतीपूर्ण था.’’
फिल्म के निर्माता मीमो व सर्वेश कश्यप हैं.फिल्म के विषय में निर्माता मीमो कहते हैं-‘ छिपकली एक फिलॉसॉफिकल थ्रीलर ड्रामा जॉनर की फिल्म है.फिल्म के जरिए यह बताने की कोशिश की गई है कि समाज में कई ऐसे लोग होते हैं,जो समझते हैं कि वह कुछ भी करें,किसी को कुछ पता नही चलेगा, लेकिन असलियत में ऐसा होता नहीं है.बल्कि हर जगह पर कोई ना कोई हर एक घटना पर बारीकी से नजर रखे हुए होता है.इस फिल्म के जरिए हमने ऐसे ही लोगों को सचेत करने की कोशिश की है’’.
निर्माता सर्वेश कश्यप के अनुसार फिल्म की कहानी ही फिल्म का हीरो है,जो परत दर परत खुलती है.स्क्रिप्ट काफी काम्प्लेक्स है जिसे देख हर दर्शक रोमांचित होंगे.फिल्म देख आप को महसूस होगा बॉलीवुड वाकई बदल रहा है. संगीतकार के रूप में व्यस्तता के बावजूद हिंदी फिल्म ‘‘छिपकली’’ से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखने के संदर्भ में मीमो आगे कहते हैं-‘‘हर इंसान की तमन्ना होती है कि वह भी फिल्म बनाए.उसका अपना प्रोडक्शन हाउस हो.निर्देशक कौशिक कर के पास कहानी थी और उन्हें निर्माता नही मिल रहा था.मुझे फिल्म की कहानी पसंद आयी, तो मैंने अपनी जिंदगी का बड़ा दांव खेलते हुए इसका निर्माण करने की ठानी.देखिए,तमाम लोग सोचते हैं कि मैं अपने घर की चार दीवारी के अंदर चाहे जो करुं, किसी को भी उसकी भनक नही लगेगी.मैं कप तोड़ दॅूं या किसी की हत्या कर दॅॅूं या बलात्कार कर दॅूं.पर कोई मुझे देखने वाला नही है.लेकिन असल में कुदरत नामक एक ताकत ऐसी है, जो कि हर इंसान के हर कारनामें पर नजर रख रही है.इसलिए इंसान को यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि वह चुपके से कुछ करेगा और वह पकड़ा नही जाएगा.हमने अपनी फिल्म का नामकरण करते समय ‘छिपकली’ को एक रूपक के तौर पर उपयोग किया है.यदि आप घर के अंदर ध्यान देंगें तो सीसीटीवी की तरह घर की किसी भी दीवार पर चिपके हुए छिपकली सब कुछ देखती रहती है.फिल्म यही कहती है कि आप जो कुछ कर रहे हैं,उसे मैं देख रहा हॅूं.तो हमारी फिल्म ‘छिपकली’ ऐसे इंसानों के लिए एक चेतावनी की तरह है.फिल्म की इस फिलोसफी/दर्शन शास्त्र ने मुझे प्रेरित किया.फिल्म की पटकथा भी बेहतर तरीके से लिखी गयी है.यह नए जॉनर के साथ रोमांचक फिल्म है.हम इसे ‘फिलोसाफिकल थ्रिलर’कहते हैं’’.
फिल्म के निर्देशक कौशिक कर हैं.जो बंगाली फिल्म व थिएटरों के निर्देशन और अभिनय के क्षेत्र में अपनी खास पहचान रखते हैं.मीमो इस फिल्म के संगीतकार भी है उन्हें संगीत के क्षेत्र में कई प्रतिष्ठित अवार्ड्स मिल चुके हैं.इस फिल्म के बिजनेसहेड प्रसून बक्शी हैं.