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‘नोबलमेन’ के ट्रेलर को नजरअंदाज करना मुश्किल, दादागिरी (बदमाशी) जैसे मुद्दे को उजागर करती है फिल्म

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By Mayapuri Desk
‘नोबलमेन’ के ट्रेलर को नजरअंदाज करना मुश्किल, दादागिरी (बदमाशी) जैसे मुद्दे को उजागर करती है फिल्म
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यूडली फिल्म्स की अगली थियेट्रिकल रिलीज़ – ‘नोबलमेन’ का ट्रेलर आज रिलीज़ हो गया। कुणाल कपूर अभिनीत इस फिल्म से निर्देशक वंदना कटारिया अपने निर्देशन करियर की शुरुआत कर रही हैं। ट्रेलर देखकर ऐसा लगता है कि फिल्म की रोचक कहानी दर्शकों को बाँधे रखेगी और हर मोड़ पर उन्हें आगे की कहानी का अनुमान लगाने को मजबूर कर देगी। ट्रेलर रहस्यपूर्ण होने का साथ ही प्रासंगिक भी है। एक थ्रिलर मनोवैज्ञानिक ड्रामे के रूप में नोबलमेन एक बहुत ही अहम मुद्दे, स्कूलों में दादागिरी या गुंडागर्दी को सामने रखती है जिस पर बहुत बात नहीं होतीं लेकिन इसका नौजवानों के दिलो-दिमाग पर गहरा असर होता है।

ट्रेलर लिंक यहाँ देखें: :  ट्रेलर लिंक

प्राकृतिक और खूबसूरत शहर मसूरी के एक प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूल की पृष्ठभूमि में फिल्माई गई फिल्म की कहानी एक 15 साल के लड़के - शय (अली हाजी) के उसके साथियों व शिक्षकों के साथ उसके संबंधों के ईर्द-गिर्द घूमती है, जिनसे वह अपने किशोरावस्था के उतार-चढ़ाव भरे सफर के दौरान रूबरू होता है। चूँकि शय ने स्कूल के स्थापना दिवस के प्रॉडक्शन (कार्यक्रम) मर्चेंट ऑफ वेनिस में सबसे अहम भूमिका निभाई है इसलिए उसके बोर्डिंग स्कूल के बदमाशों का एक गैंग उसे बहुत परेशान करता है। बादल (शान ग्रोवर), शय के एक सीनियर का मानना है कि इस पर उसका हक होना चाहिए और वह शय को किसी भी तरह इस भूमिका से हटाना चाहता है और इसके लिए हिंसा और खतरनाक तरीकों का सहारा लेने से भी नहीं हिचकता। इसमें वह अपने सबसे अच्छे दोस्त और स्कूल के कप्तान अर्जुन (मोहम्मद अली मीर) और उसके साथियों की मदद लेता है। इस तरह घटनाओं की श्रृंखला सामने आती है जिसकी खतरनाक परिणति मासूमियत और जिंदगी खोने के रूप में सामने आती है। प्रतिभाशाली कुणाल कपूर ड्रामा टीचर की भूमिका निभा रहे हैं। शय के साथ उनका एक संवेदनशील रिश्ता विकसित होता है क्योंकि इस भाग की तैयारी के लिए शय की मदद करता है और अनजाने में वर्चस्व के इस अंधेरे खेल में फंस जाता है जो शय और परेशान करने वाले बदमाशों के बीच चलता है।

स्कूलों, कॉलेजों और यहाँ तक कि कार्यालयों में दादागिरी(बदमाशी) से संबंधित मीडिया रिपोर्ट्स में बढ़ोतरी हुई है। हर क्षेत्र में और किसी भी रूप में चाहे वह ऑनलाइन ट्रोलिंग हो, साथियों और सहकर्मियों के शरीर के साथ छेड़छाड़ का मामला हो और यहाँ तक कि हाल ही में हुए # मीटू आंदोलन हो, पीड़ित के लिए इसके खतरनाक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक परिणाम हुए हैं।

इस मुद्दे पर समाज में बहस की बेहद कमी है। इसके खिलाफ कार्रवाई के साथ ही इस पर आवाज उठाने की जरूरत है। इसके मद्देनजर नोबलमेन इस मुद्दे पर प्रकाश डालती बेहद प्रासंगिक फिल्म है। वर्षो के दौरान इस मुद्दे पर बहुत ही कम फिल्में बनी हैं।

इस फिल्म में काम करने को लेकर कुणाल कपूर ने कहा, “ दादागिरी (बदमाशी) और उसके बाद मिला मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक आघात एक ऐसा विषय है जिसे हमारी फिल्मों में नहीं दिखाया जाता। हमारी फिल्मों में स्कूल और कॉलेज आमतौर पर परफेक्ट होते हैं। लेकिन असली जीवन में ऐसा नहीं है। यह दुनिया दोषयुक्त है और वही वास्तविक है। यह फिल्म उसी अपूर्ण दुनिया के बारे में है, और उन चुनौतियों के बारे में है जिनका बच्चे स्कूल में हर रोज सामना करते हैं, जो या तो उन्हें मजबूत बना सकते हैं या उन्हें बर्बाद कर सकते हैं। यह दादागिरी के बारे में नजदीकी और अंदरूनी दृष्टिकोण है। मेरी निर्देशक वंदना बोर्डिंग में पली-बढ़ीं हैं और कई चीजें जो आप फिल्म में देखेंगे उन्होंने वहाँ देखीं और अनुभव की हैं।”

वंदना कटारिया कहती हैं: “ आप सभी के साथ हमारी फिल्म का ट्रेलर साझा करने को लेकर मैं बेहद उत्साहित हूँ। यह एक महत्वपूर्ण फिल्म है क्योंकि यह एक सामाजिक बुराई पर प्रकाश डालती है। ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया के आगमन के साथ ही यह एक आदर्श(मानक) बन गया है। हम सभी को किसी भी रूप में दादागिरी के खिलाफ खड़े होने के लिए एक साथ आना चाहिए। यह फिल्म उस दिशा में एक कदम है जो अपने 15 साल के नायक की नजरों से उसकी दुनिया को दिखाती है। मैं खुशकिस्मत हूँ कि मेरे पास प्रतिभाशाली नए और अनुभवी कलाकारों की टीम है साथ ही यूडली फिल्म्स का सहयोग जिसकी वजह से इस महत्वपूर्ण कहानी को स्क्रीन पर लाया जा सका। '

वीपी फिल्म्स और टेलीविजन सारेगामा इंडिया और यूडली फिल्म्स में निर्माता सिद्धार्थ आनंद कुमार कहते हैं, 'हामिद के बाद इस साल नोबलमेन हमारी दूसरी थियेट्रिकल रिलीज़ है। दोनों फिल्मों में दर्शकों के लिए एक संदेश है, जहाँ हामिद हमदर्दी की बात करती है वहीं नोबलमेन इसके ऊलट है। इसमें हिंसा का एक अंतहीन सिलसिला चलता रहता है। फिल्म का विषय कड़वा और वास्तविक है - एक थ्रिलर / नाटक जो गुंडागर्दी (बदमाशी) जैसे एक असहज विषय पर प्रकाश डालती है। अफसोस की बात है बदमाशी आजकल बहुत प्रचलित है। स्कूलों और कॉलेजों से परे ये कार्यस्थल और परिवार तक को प्रभावित करती है। हमने नोबलमेन बनाया ताकि दादागिरी का मुद्दा सार्वजनिक चर्चा में आगे आ सके। हम आपसे # बू द बुली (BOOTHEBULLY)  बोलने और आवाज उठाने की अपील करते हैं। '

'नोबलमेन' 28 जून को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली है। हाल ही में उन्होंने फिल्म का पहला पोस्टर जारी किया था जिसने सोशल मीडिया पर बहुत अधिक ध्यान आकर्षित किया था, खासकर हैशटैग # बूदबुली (BOOTHEBULLY) के साथ

#Kunal Kapoor #Yoodlee Films #Noblemen trailer
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