युवा कबड्डी सीरीज (YKS) से कबड्डी खेल के प्रति प्रोत्साहित हो रहे हैं देश के युवा

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By Sharad Rai
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युवा कबड्डी सीरीज (YKS) से कबड्डी खेल के प्रति प्रोत्साहित हो रहे हैं देश के युवा

"जो जीवन में सबसे बड़ी ताकत थे आज वो पिता मेरे साथ नहीं है, जिनके सपने को पूरा करने के लिए मैंने पूरे जी-जान के साथ मेहनत किया. उनकी शाबाशी ना मिलना मेरे जीवन का सबसे बड़ा दुःख है." यह कहना था युवा कबड्डी सीरीज के जाने-माने खिलाड़ी जय भगवान का.  राजस्थान, अलवर के जय 14 साल की उम्र से कबड्डी खेल रहे है. घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए जय ने अपने कौशल के प्रदर्शन द्वारा युवा कबड्डी सिरीज़ के समर एडिशन में अपनी जगह बनाई. सिरीज़ के मंच से अपने सपनों की उड़ान भरने के बाद आज वे प्रो कबड्डी लीग में भी अपने आगे का मार्ग उन्नत कर रहे है. खेलो इंडिया गेम्स में अपना पहला स्वर्ण जीता जिसके बाद वायकेएस समर एडिशन 2022 में ख़िताब हासिल करते हुए जय की आंखें नम पड़ गई थी. बेटे को टीवी पर देखने का सपना रखने वाले जय के पिता इस गौरवान्वित पल के लिए इस दुनिया में मौजूद नहीं थे.

कुछ इस तरह की कहानियों को साथ लिए युवा कबड्डी सीरीज (YKS) आज पूरे देश के कोने-कोने से नए युवाओं को कबड्डी खेल की ओर प्रोत्साहित कर रहा है. 16 राज्य के संघों के सहयोग से भारत का पहला सालभर चलने वाले टूर्नामेंट के साथ ही युवा कबड्डी सीरीज देश का दूसरा सबसे बड़ा टूर्नामेंट सीरीज बन चूका है. युवा कबड्डी सीरीज के सीईओ विकास गौतम ने जाने-माने टीवी प्रेज़ेंटर, स्पोर्ट्स कमेंटेटर सुहैल चंढोक के सहयोग से 2022 में सीरीज की नींव रखी. अपने पांचवें एडिशन में पहुंच चुकी ये सीरीज ने 1051 युवा खिलाड़ी, 496 मैचेज, 47 प्रशिक्षित कोचेस और 130 ऑफिशियल्स के साथ उच्चतम गुणवत्ता का निष्पक्ष खेल प्रदर्शित किए है. इसी के साथ ही 65.71 प्रतिशत टूर्नामेंट का कुल खर्च सीधे तौर पर कबड्डी खिलाड़ी, कोच, अधिकारी, राज्य संघ सहित समुदाय के बेहतरी कार्यों पर खर्च किया जा रहा है.

खुद का घर बनाने का सपना देखते है YKS के खिलाड़ी अजय  

युवा कबड्डी सीरीज की एक और सफलता की कहानी मदुरई, तमिलनाडु के अजय मुथैया बयां करते है. सीरीज में राइट कवर डिफेंडर खेल रहे अजय ने 6 महीने पहले साउथ जोन इंटर यूनिवर्सिटी कबड्डी चैंपियनशिप 22-23 के दौरान अपने पिता को खो दिया. 22 साल की उम्र में ही अजय पर परिवार की सारी जिम्मेदारी आ गई है. ख़राब आर्थिक स्थिति में जीवन यापन कर रहे अजय के परिवार में मां और बहन के पास रहने के लिए खुद का घर नहीं है. ऐसे में खेलो इंडिया प्रोग्राम के तहत अजय 10 हज़ार रुपए तक हर महीने आजीविका कमा लेते है. इसी के साथ युवा कबड्डी सिरीज़ जैसे नेशनल मंच के ज़रिए अजय ना सिर्फ़ अधिक राशि बल्कि अपने कैरियर को भी प्रगतिशील मार्ग पर ले जाने की कोशिश कर रहे है. प्रो कबड्डी लीग में खेलने का सपना देखने वाले अजय अपने प्रदेश के लोकल टूर्नामेंट भी खेलते रहते है.

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