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Zee TV के कलाकारों ने याद किया भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को

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By Mayapuri
Zee TV के कलाकारों ने याद किया भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को
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23 मार्च, 1930 को भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को लाहौर जेल में अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी. क्रांति को लेकर तीनों का नज़रिया गांधी की अहिंसावादी नीतियों से साफ तौर पर अलग था, लेकिन अंग्रेजों से आज़ादी पाने में उनका योगदान बेहद महत्वपूर्ण था. इन वीर युवा स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के लिए हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है. इन स्वतंत्रता क्रांतिकारियों द्वारा दिए गए बलिदानों को याद करते हुए मैं हूं अपराजिता के मानव गोहिल, भाग्य लक्ष्मी की ऐश्वर्या खरे, मीत की आशी सिंह और मैत्री के नमिश तनेजा जैसे ज़ी टीवी के कलाकारों ने इस बारे में अपने विचार साझा किए.

ज़ी टीवी के मैं हूं अपराजिता में अक्षय का रोल निभा रहे एक्टर मानव गोहिल ने कहा, "भारत के वीर सपूतों को याद करके हमेशा हमारे देश के युवाओं को प्रेरणा मिलती है. यह दिन क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों - भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदानों के बारे में जानने का एक मौका है. हमारे देश की आज़ादी के लिए उनके महान योगदान और कहानियां, आज भी हमें प्रेरित करती हैं और हमें गर्व से भर देती हैं. शहीद दिवस के मौके पर, हम इन महान शहीदों के अनमोल बलिदानों को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं. मुझे यकीन है कि इस देश का हर नागरिक हमें मिली इस आज़ादी के लिए हमेशा उनका ऋणी रहेगा."

ज़ी टीवी के भाग्य लक्ष्मी में लक्ष्मी की भूमिका निभा रहीं ऐश्वर्या खरे ने कहा, "बचपन से हम स्वतंत्रता के बारे में सीख रहे हैं और ये जान रहे हैं कि आज़ादी पाने के लिए लोगों को किन-किन हालातों से गुजरना पड़ा. भारत की आज़ादी की हर कहानी में तीन सेनानियों का हमेशा उल्लेख किया जाता है, और वे वीर शहीद हैं - भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर. देश के लिए उनका योगदान हममें से कई लोगों को प्रेरित करता है और हमें आज भी इसके लिए आभारी महसूस कराता है. हमारे देश के सभी नायकों के बलिदानों ने ही हमें यह लोकतांत्रिक जीवन दिया है और यह सोचकर मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि उन्हें क्या-क्या सहना पड़ा. जब मैं छोटी थी, तो मैं अपने परिवार के साथ बैठकर कभी-कभी सभी देशभक्ति फिल्में देखती थी. अंग्रेजों के खिलाफ अपनी आज़ादी के लिए लड़ने वाले सेनानियों के योगदान का हमें हमेशा सम्मान करना चाहिए और इसे हमेशा याद रखना चाहिए."

ज़ी टीवी के मीत में मीत हुड्डा की भूमिका निभा रहीं आशी सिंह ने कहा, "हर साल, 23 मार्च को उस दिन के रूप में याद किया जाता है, जब तीन वीर स्वतंत्रता क्रांतिकारियों - भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ाया था. यह दिन मूल रूप से उन स्वतंत्रता सेनानियों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने भारत को आज़ादी की राह पर आगे बढ़ाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था. हमें इस दिन के बारे में बचपन से सिखाया गया है, और मेरा मानना है कि हम उन सभी बलिदानों और संघर्षों के कारण ही आज आज़ादी की सांस ले पा रहे हैं, जो हमारे वीरों ने किए हैं. मुझे लगता है कि हर भारतीय हमेशा उनका आभारी रहेगा."

ज़ी टीवी के मैत्री में आशीष के रोल में नजर आ रहे नमिश तनेजा ने कहा, "हम भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर की याद में यह दिन मनाते हैं क्योंकि उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए अपना बलिदान दिया था. उनके त्याग ने देश की आज़ादी के आंदोलन को प्रेरित करने में मदद की. जब मैं स्कूल में था, तो मैंने उनके बारे में बहुत कुछ पढ़ा है, लेकिन निश्चित रूप से बड़े होने के बाद हम उनके बलिदान को बेहतर समझते हैं. मुझे लगता है कि उन बहादुर योद्धाओं को याद रखना सभी के लिए जरूरी है, जिन्होंने हमारे देश के लिए लड़ाई लड़ी और अपने प्राणों की आहुति दी."

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