ओटीटी प्लेटफॉर्म ZEE 5 पर स्ट्रीम होती कोर्ट रूम ड्रामा फिल्म है "420 IPC" By Mayapuri 21 Dec 2021 in ओटीटी New Update शरद राय रेटिंग= 3.5/5 स्टार देखने मे यह एक बेहद साधारण फिल्म है।ना कोई शोर शराबा, ना भागदौड़।फिल्म के शीर्षक से भी अंदाजा लग जाता है कि यह एक अदालती लड़ाई के हथकंडों से सजी फिल्म है। लेकिन ज्यों ज्यों दर्शक कहानी के साथ आगे बढ़ता है प्याज के छिलके की तरह कहानी उधड़ती है। आखिर में पता चलता है ए क्या, केस तो कुछ था ही नहीं, जहां से चले थे उसी के पास आकर रुक गए हैं। इससे ज्यादा हम कहानी की परतें नही उधेड़ सकते, सस्पेंस ड्रामा कहानियों की मर्यादा हमें यहीं रोक देती है। कहानी के तीन मुख्य किरदार हैं। एक बेहद सरीफ सा दिखने वाला आरोपी व्यक्ति सीए-बंशी केसवानी (विनय पाठक), दूसरा बड़ा बिजनेस मैन जिसने आरोप लगाया नीरज सिन्हा(आरिफ ज़करिया) और तीसरा एक नया नया वकील बना युवक बीरबल चौधरी (रोहन विनोद मेहरा)जो बड़ा नाम और स्टेटस बनाना चाहता है।बंशी केशवानी के घर की माली हालत ठीक नहीं है। बिजली का बिल बकाया है , घर के लिए कर्ज की ईएमआई कई महीनों से बाकी है जिसको लेकर बंशी की पत्नी पूजा केसवानी (गुल पनाग) बहुत चिंतित है। उनको एक बेटा भी है। बंशी के घर इन जर्जर हालातों में भी छापा पड़ता है। इनकम टैक्स के लोग बंशी के एक क्लाइंट की तहकीकात करने के लिए उनके घर छापा मारते हैं। दो महीने बाद अपने सस्ते वकील बीरबल की सहायता से वह बचकर घर आते हैं। तभी उनपर फिर गाज गिरती है। उनके एक दूसरे क्लाइंट बहुत बड़े व्यापारी व बिल्डर नीरज सिन्हा के ऑफिस से तीन चेक गायब होते हैं। ये पचास पचास लाख के तीन चेक बंशी केसवानी के दफ्तर से मिलते हैं। केसवानी पर चोरी, फ़्रॉडगिरी का आरोप लगता है उनको जेल हो जाती है। नए बने वकील बीरबल अपना पैसा खर्च करके केसवानी का मुकदमा लड़ते हैं। कोर्ट में बीरबल का मुकाबला सरकारी वकील सेवक जमशेद जी से होता है जो बहुत तगड़ी प्रोफ़ाइल रखता है। पूजा केसवानी अपने पति को बचाने के लिए नीरज सिन्हा को मिलने अकेले उनके ऑफिस जाती है। साक्ष्य और आंखों देखे विटनेस के आधार पर केसवानी पूरी तरह शिकंजे में कस जाता है, पत्नी के दुष्चरित्र होने का क्लेश अलग से होता है। लेकिन वकील बीरबल चौधरी आखिर में पूरा केस पलटकर रख देता है।लोगों के मुंह से निकलता है अरे ये तो हमने सोचा नही था! राजेश केजरीवाल और गुरूपाल सच्चर द्वारा निर्मित ज़ी स्टूडियोज और क्यूरियस फिल्म की इस फिल्म के लेखक निर्देशक मनीष गुप्ता पूर्व में कई फिल्मों के लेखन और निर्देशन से जुड़े रहे हैं। '420 आईपीसी' पूरी तरहसे कोर्ट रुम ड्रामा है जो अपने सारे पत्ते अदालती कार्यवाही के दौरान ही खोलती है। पटकथा को और मजबूती दिए जाने की जरूरत थी।लेकिन कलाकारों ने अपने अभिनय से कहानी को बांध रखा है। स्वर्गीय विनोद मेहरा के पुत्र रोहन मेहरा की शुरुवात अच्छी रही है। गुल पनाग सुस्त ज्यादा लगी। रणवीर शोरी एडवोकेड जमशेदजी के रूप में और बंशी केसवानी के रूप में विनय पाठक का काम हमेशा की तरह सधा हुआ है। फिल्म 420 IPC फाइनेंस घोटाले से जुड़ी एक देखने लायक फिल्म है। #420 IPC #420 IPC film review #420 IPC review #420 IPC stream on OTT platform ZEE 5 #stream on OTT platform ZEE 5 हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article