'फिर कभी' (द वे वी आर)' निहित भावे के निर्देशन और लेखन में बनी पहली फिल्म है जिसमें प्रतिभाशाली एक्टर्स मानव कौल और अमृता शुभाश ने काम किया है.
फिल्म एक ऐसे पति की कहानी से शुरू होती है जो अपने स्कूल के दिनों को याद करता है, जब वो अपने आप को अन्य लड़कों से अलग महसूस करता था, और वो समझ जाता था कि उसका शरीर पुरुषों को देखकर उसी तरह रिएक्ट करता है जैसे पुरूष स्त्रियों को देखकर महसूस करते हैं. उधर पत्नी को यह एहसास होता है कि उसने हमेशा दूसरों को यह तय करने दिया है कि वह क्या खाती है, क्या पहनती है, क्या पढ़ती है, किससे शादी करती है और कैसे सेक्स करती है. जैसे ही इस दंपति को अपने अपने एहसासों का पता चलता है, वे एक-दूसरे को यह सब बताने के लिए शब्दों की खोज करना शुरू कर देते हैं.
निहित भावे ने जब यह शॉर्ट फिल्म बनाने का फैसला किया, तो उन्हें पता था कि उसे भारत में LGBTQ समुदाय से संबंधित मुद्दे से निपटना होगा. एक समलैंगिक व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान बनाने के लिए, उन्हें भारत में उन पुरुषों से बात करने की ज़रूरत थी जिनके पास इस विषय पर खुल के बाहर आने के लिए शब्द ही नहीं है, मन मुताबिक अकेले अपने प्रामाणिक जीवन जीने की बात तो दूर की है. इस बारे में अमृता शुभाश ने कहा "यह निहित और मानव दोनों के साथ काम करने का एक शानदार अनुभव था, और जब हम फिर से मिले, ‘फिर कभी’ के नरेशन के लिए, मेरा क्विक रिएक्शन यह था कि यह वास्तव में खूबसूरती से लिखा गया है और मैं तुरंत कहानी से जुड़ गई. जिस तरह से उन्होंने इस विषय को इतनी सहेजता से संभाला, मुझे बहुत अच्छा लगा. मैं आभारी हूं कि हमारी फिल्म को यह मान्यता मिल रही है. उम्मीद है कि ऑस्ट्रेलियाई दर्शक फिल्म का आनंद लेंगे और उससे संबंधित होंगे.
इंडियन फिल्म फेस्टीवल ऑफ मेलबर्न इस तरह की फ़िल्मों को प्रदर्शित करने के लिए गौरवांवित है.