-यश कुमार
रिव्यु – 3/5 stars
हरित प्रदेश के मुखिया मंत्री श्री गंगा राम चौधरी (अभिषेक बच्चन) एक भ्रष्ट नेता है और जनता को परेशान करना बेहद पसंद करते हैं, आठवी तक पढ़े ये नेता जी अपना नाम तक ठीक तरीके से लिखना नहीं जानते हैं और गुंडागर्दी और भ्रष्ट होने के ऐसे कई आरोप गंगा राम चौधरी के उप्पर चल रहे हैं जिसके चलते हाई कोर्ट गंगा राम चौधरी को कार्यवाही पूरी होने तक न्यायिक हिरासत में भेज देती है और जबतक गंगा राम चौधरी न्यायिक हिरासत में हैं तबतक उनकी कुर्सी की हक़दार होती है गंगा राम चौधरी की धर्म पत्नी 'बिमला देवी' (निम्रत कौर)।
जेल में आने के बाद भी गंगा राम चौधरी एक आराम दायक जीवन जीते है और जेल से ही सरकार चला रहे होते हैं लेकिन तभी उस जेल में तबादले से आती हैं नई जेलर 'ज्योति देसवाल' (यामी गौतम) जो की एक निडर और ईमानदार पुलिस अफसर हैं और जेल में आते ही गंगा राम चौधरी और ज्योति देसवाल के बीच नोक झोक देखने को मिलती है और अपनी ताकत के दम पर ज्योति, गंगा राम से जेल में कुर्सी बनवाने का काम कराती है। जेल में जो लोग पढ़ना चाहते हैं उनसे कोई भी काम नहीं करवाया जाता तो इसी के चलते जेल में काम ना करना पड़े, इस वजह से गंगा राम चौधरी अपनी अधूरी पढाई पूरी करने की ख्वाहिश ज़ाहिर करते हैं और दसवीं की परीक्षा की तयारी शुरू करते हैं।
दूसरी तरफ बिमला देवी को मुखिया मंत्री की ताकत का नशा चढ़ने लगता है और अब वो ये चाहती है की गंगा राम दोबारा से कभी भी मुखिया मंत्री की कुर्सी न संभाले और इसके लिए बिमला देवी काफी प्रयास करती हैं, और उसी के चलते गंगा राम चौधरी ये कसम खाते हैं की अब जबतक वो दसवीं की परीक्षा में पास नहीं होते तबतक मुखिया मंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। तो अब क्या गंगा राम चौधरी वापस से मुखिया मंत्री बनेंगे? दसवीं की पढ़ाई से उनकी ज़िन्दगी में क्या बदलाव आएंगे? और क्या वो दसवीं की परीक्षा पास करेंगे ये आपको पता लगेगा फिल्म देखने के बाद।
फिल्म की कहानी नई है और लोगों को हसाने के साथ साथ एक काफी अच्छा सन्देश भी देती है। फिल्म के मुखिया कलाकार हैं अभिषेक बच्चन, यामी गौतम और निम्रत कौर और उन सभी ने अपने किरदारों को काफी अच्छे तरीके से निभाया है खास कर की अभिषेक बच्चन जो की गंगा राम चौधरी के किरदार में काफी अच्छे लगे हैं और जाट भाषा पर भी उनकी पकड़ काफी अच्छी है और ऐसा कहीं पर भी नहीं लगता है की अभिषेक इस किरदार को ज़बरदस्ती निभा रहे हों। सभी किरदार अपने भाग में अच्छे हैं लेकिन ये फिल्म मार खाती है अपनी स्क्रिप्ट के चलते।
दसवीं एक कॉमेडी फिल्म है लेकिन सिर्फ टुकड़ों में ही जनता को हँसाने में सक्षम होती है, फिल्म का पहला भाग काफी ढीला है और लोगों का ध्यान हमेशा फिल्म की तरफ बनाये रखने में कहीं न कहीं चूंक जाता है और पहले भाग में लोगों को कुछ ख़ास मज़ा नहीं आता है लेकिन वहीँ फिल्म जब अपने दूरसे भाग की तरफ बढती है तो काफी अच्छी होती चली जाती है और लोगों को और मज़ा आने लगता है, दूसरे भाग में लोगों का ध्यान फिल्म से नहीं हटेगा और यकीनन लोग हसेंगे भी।
फिल्म के निर्देशक हैं तुषार जलोटा जिकी ये पहली फिल्म है और उनका काम इस फिल्म में ठीक ठाक ही है साथ ही साथ फिल्म के गाने भी कुछ खास नहीं है। दसवीं जिओ सिनेमा और नेटफ्लिक्स के उप्पर अब स्ट्रीम कर रही है जिसे एक बार पूरे परिवार के साथ ज़रूर देखा जा सकता ह।