Advertisment

स्मिता बंसल: वेब सीरीज ‘रूहानियत’ सिर्फ प्रेम कहानी या रिश्तो पर आधारित कहानी नही है

स्मिता बंसल: वेब सीरीज ‘रूहानियत’ सिर्फ प्रेम कहानी या रिश्तो पर आधारित कहानी नही है
New Update

-शान्तिस्वरुप त्रिपाठी

1996 में एकता कपूर निर्मित सीरियल ‘इतिहास’ से अभिनय कैरियर की षुरूआत करने वाली अदाकारा स्मिता बंसल ने उसके बाद ‘अमानत’,‘सरहदें’,‘बालिका वधू’,‘पानी पूरी’, ‘विरासत’,‘जाना ना दिल से दूर’,‘तुम ऐसे ही रहना’व भाग्य लक्ष्मी सहित कई सफलतम धारावाहिकों में अभिनय किया। इन दिनों वह वह एमएक्स प्लेअर पर 23 मार्च से स्ट्ीम हो रहे 13 एपीसोड के वेब सीरीज ‘रूहानियत’ के पहले सीजन में प्रिया के किरदार में नजर आ रही हैं।
प्रस्तुत है स्मिता बंसल से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंष...

publive-image

25 वर्ष के अपने अभिनय कैरियर में किस सीरियल को आप टर्निंग प्वॉइंट मानती हैं?

जाहिर सी बात है मेरे कैरियर का पहला टर्निंग प्वाइंट तो सीरियल ‘इतिहास’ का मिलना ही रहा। अगर यह सीरियल ना मिलता, तो शायद मैं आगे ही ना बढ़ पाती। उसके बाद मैने सीरियल ‘अमानत’ किया। उस वक्त सीरियल ‘अमानत’ ने जबरदस्त षोहरत बटोरी थी। हर कोई इस सीरियल का दीवाना था। इस सीरियल से मैं लीड करेक्टर में पहुंची थी। उसके बाद मैंने कई सीरियलों में लीड किरदार निभाए.कई सारे सीरियलों में मैंने मुख्य किरदार निभाए।  उसके बाद मेरी शादी हो गई। फिर मैं बेटी स्टाषा की मां बनी। तब मैंने कुछ समय के लिए ब्रेक ले लिया। जब स्टाषा चार वर्ष की हुई ,तब मुझे ‘‘कलर्स’’ चैनल का सीरियल ‘‘बालिका वधू’’ में सुमित्रा का किरदार निभाने का अवसर मिला, जिसने सब कुछ ही बदल दिया। इस सीरियल ने मुझे एक उत्कृष्ट अदाकारा के रूप में पहचान दिलायी। उसके बाद से लोगों ने मुझे अभिनेत्री के तौर पर अपने सीरियल से जोड़ना षुरू किया, जो कि मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। क्योंकि मैं जयपुर से यहां आयी थी। मेरे पास अभिनय की कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं थी। सिर्फ स्माइल जरूर है, जिसकी वजह से शायद लोग मुझे अभिनय करने का अवसर देते थे।  लेकिन ‘बालिका वधू’ के बाद लोगों ने मुझे गंभीरता से लेना शुरू किया और इसी सीरियसनेस की वजह से मैंने भी ज्यादा शिद्दत से काम करना शुरू किया। मैने अपने काम को ज्यादा गंभीरता से लेना शुरू किया। मेरी मेहनत रंग लायी। ‘बालिका वधू’ में मुझे बहुत सारा प्यार और दर्शकों का भी बहुत सारा प्यार मिला। ‘बालिका वधू’ में अभिनय करते हुए मैने काफी कुछ सीखा। वह मेरे कैरियर का सबसे महत्वपूर्ण सीरियल था।

publive-image

अब तक आपने कई सीरियलों कई किरदार निभा लिया। आपके लिए धन कमाना मकसद नही हे.तो फिर वेब सीरीज ‘‘रूहानियत’’ करने की क्या वजह रही?

रूहानियत एक बहुत ही सरल कहानी है। इसमें कुछ भी बहुत जटिलता नहीं है। जब मैंने इस कहानी को सुना, तो मैं इसके साथ बहुत ज्यादा रिलेट कर पाई। यह एक सरल कहानी है और यह कहानी या इस तरह के मोड़ हर इंसान की जिंदगी में कभी ना कभी आते जरूर हैं। हम उस दौर से जरूर गुजरते हैं, जब हमें लगता है कि ‘प्यार हमेशा के लिए’ होता है। और ऐसा भी वक्त आता है, जब हमें लगता है कि ‘प्यार हमेशा नहीं रहता.’. आपके साथ ऐसा होता जरूर है। और आप खुद मैच्योरिटी तक हमेशा जाते भी हैं, जब आपको यह एहसास होता है कि रिश्तों के कोई मायने नहीं होते हैं रिश्ते हमेशा बनाए जाते हैं। प्रेम कहानियां तो बहुत सारी बनी हैं। लेकिन इस सीरीज में जो दिखाया गया है, उसे अब तक किसी भी प्रेम कहानी में नहीं दिखाया गया है। यह सीरीज ‘‘फॉर एवर’’ नाम किताब पर आधारित है। मैंने वह किताब पढ़ी और मुझे वह बहुत अच्छी लगी। वेब सीरीज ‘रूहानियत’ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि हर उम्र के लोग इसके साथ रिलेट कर पाएंगे। इसमें हर उम्र और हर तरह के रिश्तों को एक्सप्लोर किया गया है। यह सिर्फ प्रेम कहानी या रिश्तों पर आधारित कहानी नही है। इसमें मैने प्रिया का किरदार निभाया है, जो कि नायिका प्रेषा की मां है।

publive-image

आपने ‘‘फार एवर’’ किताब पढ़ी है। इसे आपने इस सीरीज में काम करने का मौका मिलने पर पढ़ी या पहले पढ़ी थी?

जब मुझे पता चला कि यह सीरीज ‘फार एवर’ नामक किताब पर आधारित है, तभी मैंने इस किताब को पढ़ा। दरअसल इस सीरीज के निर्देषक मेरे पति अंकुष ही हैं। वह किताबें कम पढ़ते हैं, पर उन्होने मुझसे कहा कि मैं इस किताब को पढ़कर उन्हे पूरी कहानी सुनाउं। तब तक मुझे इस बात का अहसास नही था कि इस सीरीज में मुझे अभिनय करने का अवसर मिलेगा। वह तो बाद में हुआ। लेकिन किताब तो मैंने पहले ही पढ़ ली थी।

जब आप किताब पढ़ रही थीं, तब आपके दिमाग में आया था कि यह किरदार निभाने का अवसर आपको मिल जाए?

जी नहीं..। मजेदार बात तो यह है कि किताब में प्रिया का किरदार ही नहीं है। किताब में पे्रषा की मां प्रिया का किरदार बहुत ही छोटा सा है।. किताब में सिर्फ इस बात का जिक्र है कि प्रेशा की मां है। लेकिन किताब में इस किरदार को ज्यादा एक्सप्लोर नहीं किया है। जब पटकथा लिखी गयी, तो प्रिया का किरदार बहुत ही ज्यादा निखर कर आया। किताब में प्रेषा की जिंदगी में जो एक गाइडिंग लाइन मिसिंग थी, उसे हम लोग प्रिया के जरिए ‘रूहानियत’ में लेकर आए और वह इतना अच्छे से बना है कि जब आप किताब पढ़ेंगे, तो आपको किताब पढ़ते समय प्रिया की कमी महसूस होगी।

publive-image

आप अपने प्रिया के किरदार को लेकर क्या कहना चाहेंगी?

मैं इस वेब सीरीज के अपने प्रिया के किरदार के संग काफी रिलेट करती हॅूं। क्योंकि मेरी निजी जिंदगी की ही तरह प्रिया भी दो नाबालिग बेटियो की मां है। प्रिया अपनी बेटियो की महज मां नही बल्कि दोस्त भी है। वह अपने जीवन की मुसीबतों व समस्याओं की छाया अपनी बेटियों पर बिना  पड़े देते हुए उन्हे एक सही राह पर ले जाने में प्रयास रत रहती है।

आपने पहली बार अपने पति के निर्देषन में अभिनय किया है। आपके पति बतौर निर्देषक कैसे रहे?

दरअसल, दूसरी बार उनके साथ काम किया है। पहली बार तो 20 साल पहले किया था। उनके निर्देषन में अभिनय करते ही मेरी उनसे शादी हो गयी थी। उसके बाद मैंने उनके साथ काम नहीं किया। मुझे पता है कि वह बहुत ही अच्छे निर्देषक हैं। उनकी ग्लेन के साथ बहुत ही बेहतरीन जोड़ी है। मैंने ऐसा कई लोगों के मंुह से सुना है। उनके निर्देषन में काम करके विश्वास भी हो गया कि वह बहुत ही अच्छे निर्देषक हैं। मुझे लगता है कि वह बहुत ही ज्यादा फ्रेंडली डायरेक्टर हैं। सिर्फ हमें ही नही बल्कि हर कलाकार ने इस बात को महसूस किया। उनके साथ काम करते हुए सभी लोग कंफर्टेबल रहते हैं। और काम भी बहुत अच्छे से होता है।

publive-image

नई अदाकारा कनिका मान के साथ काम करना कैसा रहा?

बहुत अच्छा रहा। आजकल की पीढ़ी के कलाकार बहुत ही फोकस्ड हैं। मेहनती हैं। उन्हें पता है कि उन्हें क्या करना है। हमें तो उनकी उम्र में कुछ पता ही नही था। हम तो बहुत डब्बू थे। लेकिन आजकल के बच्चे बहुत ज्यादा फोकस्ड है। इन्हें पता है कि इन्हें वास्तव में क्या चाहिए और दो-तीन साल बाद यह अपने आप को कहां देखना चाहते हैं। इसी वजह से सेट पर इनके अंदर इतनी ज्यादा एनर्जी रहती है। कनिका के लिए ‘रूहानियत’ महज एक वेब सीरीज नहीं था। बल्कि ‘रूहानियत’ उसकी जिंदगी थी. क्योंकि इसमें वह जिस किरदार को कर रही थी, उसके दिमाग में डबल माइंड वाला कुछ भी नहीं था। शायद अच्छा होगा या बुरा होगा, ऐसा कुछ भी नहीं था। उसके दिमाग में सिर्फ यही था कि यह वेब सीरीज अच्छी बनेगी। उसके अंदर पॉजिटिव एनर्जी जबरदस्त थी। सभी कहते थे कि कनिका सेट पर सकारात्मकता लेकर आती है। उसके अंदर काम करने का जोश और मेहनत करने का जज्बा नजर आता था।

publive-image

आम तौर पर लोगों की शिकायत रहती है कि नई पीढ़ी के कलाकार अपने वरिष्ठों को सम्मान नहीं देती?

टचवुड ...शायद यह मुझे भगवान की देन है। मुझे सारे ही बच्चे इतने अच्छे मिले। मेरा पहला ऑन स्क्रीन बच्चा अविनाश यानी कि जग्या था। वह अभी भी बहुत इज्जत करता है। फिर शशांक व्यास भी मेरी बहुत इज्जत करता है। अविका गोर वह भी मेरी बहुत इज्जत करती है। तो मेरे ऑन स्क्रीन जितने भी बच्चे रहे हैं, सभी बहुत ही ज्यादा रिस्पेक्टफुल होने के साथ-साथ उनकी जो परवरिश है, वह भी बहुत अच्छी है। यह बात तो मैंने भी सुनी है कि आजकल की जेनरेशन अपने आगे किसी को नहीं समझती। लेकिन मेरा अभी तक ऐसे बच्चों से सामना नहीं हुआ है। मेरा उनसे अभी तक पाला नही पड़ा है। षायद मैं हूं ही ऐसी कि लोग मेरी इज्जत करते हैं।

publive-image

किस किरदार ने आपकी जिंदगी को प्रभावित किया?

‘बालिका वधू’ के सुमित्रा के किरदार से मैंने खुद की जिंदगी में भी बहुत सारे बदलाव देखे हैं। क्योंकि पहले मैं चीजों को इतना सामाजिक तौर पर नहीं देखती थी। अब मैं बहुत ज्यादा सामाजिक हो गई हूं। अब मुझे लगता है कि अगर मैं किसी चीज को बदल सकती हूं, तो वह मुझे करना चाहिए। पहले मेरी सोच ऐसी नहीं थी। पहले मुझे लगता था कि यह मेरी समस्या नहीं है, जिसको जो करना होगा करेगा। लेकिन अब मुझे जो सही लगता है, उन चीजों को लेकर बात करती हूं। ‘बालिका वधू’ के साथ-साथ मेरी खुद की बेटियां भी बड़ी हो रही थीं। तो दरअसल जब आपके बच्चे बड़े होने लगते हैं, तो आप उनको एक बेहतर समाज देना चाहते हैं। आप चाहते हैं कि वह एक अच्छी दुनिया में रहे, अच्छे समाज में रहे। तो शायद वह भी एक मैच्योरिटी का हिस्सा भी था। फिर सीरियल भी ऐसा था कि जिसमें हम इन सारे मुद्दों पर बात कर रहे थे। मैं एक आप इंसान के तौर पर उस माहौल में बड़ी हुई हूं। मैंने खुद को सामाजिक तौर पर बहुत ज्यादा अवेयर किया है। देखा कि जहां जहां कुछ चीजे हम नही बदल सकते हैं, लेकिन जो हम बदल सकते हैं, उतनी कोशिश तो की जा सकती है।

टीवी की वर्तमान स्थिति से आप कितना संतुष्ट हैं?

मैं बहुत संतुष्ट हूं। टीवी ने तो मुझे सब कुछ दिया है। मैं आज जो कुछ हॅंू, एक कलाकार के तौर पर मेरी जो पहचान है, वह सब टीवी की ही बदौलत है। मैं टीवी की बहुत ज्यादा शुक्र गुजर हूं और उन सभी दर्शन को की भी शुक्र गुजर हूं, जो टीवी देखते है। टीवी एक ऐसा माध्यम है, जिसने मुझे बहुत कुछ दिया है। अब मैंने ओटीटी की तरफ अपना पहला कदम रखा है। उम्मीद करती हूं की मुझे यहां भी सफलता मिलेगी। मैं ओटीटी पर भी अच्छा काम करती रहूंगी।

#Smita Bansal #Smita Bansal interview #SMITA BANSAL-- WEB SERIES- RUHAANIYAT
Here are a few more articles:
Read the Next Article
Subscribe