वेब सीरीज ‘दहानम’ में पवनी की यात्रा देखकर मेरी आंखों से बरबस आंसू बहने लगते थे: नैना गांगुली By Mayapuri Desk 17 Apr 2022 in ओटीटी New Update -शान्तिस्वरुप त्रिपाठी मूलतः बंगाली नैना गांगुली ने तेलगू और हिंदी सिनेमा में अभिनय कर अपनी एक अलग पहचान बनायी है। लोग उन्हे वेब सीरीज ‘चरित्रहीन’ की किरण के रूप में अच्छे से पहचानते हंै। नैना ने अपने कैरियर की षुरूआत राम गोपाल वर्मा निर्देषित तेलगू फिल्म से की थी। और अब वह राम गोपाल वर्मा निर्मित तथा अगस्त्य मंजू निर्देषित वेब सीरीज ‘‘दहानम’’ में पवनी नामक नक्सलाइट के किरदार में षोहरत बटोर रही हैं, जो कि 14 अप्रैल से ‘एम एक्स प्लेअर’ पर स्ट्ीम हो रही है। नैना गांगुली से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंष... आपने अभिनय को कैरियर बनाने की बात कब सोची? सभी जानते हैं कि पष्चिम बंगाल में संगीत व नृत्य का माहौल है। मगर मैं कला के माहौल से नही आयी हॅूं। लेकिन मेरे पिता को डांस करना और मेरे चाचा को माउथ आॅर्गन बजाना आता है। मेरी मां अपने स्कूल दिनों में अभिनय करती थीं, पर बाद में उन्होेने कुछ नहीं किया। मैं एक साधारण बंगाली परिवार से हॅूं। मेरी दो बड़ी बहनों की षादी हो चुकी है। मैं अपने परिवार की पहली लड़की हॅूं, जो कि फिल्म इंडस्ट्ी से जुड़ी हॅॅू। वैसे मुझे ख्ुाद नही पता था कि मैं एक दिन अभिनेत्री बनूंूगी। मुझे नृत्य तो ईष्वर प्रदत्त है। मेरी मां चाहती थी कि मैं संगीत सीखू। मैने कुछ दिन सारेगामा सीखा, पर बात नही बनी। मेरी मां ने मुझे कत्थक डंास सिखाने की कोषिष की, पर मेरी रूचि तो बाॅलीवुड डांस में थी, जो कि मैने हिंदी फिल्में देखकर सीखा। मैं उर्मिला मांतोडकर और माध्ुारी दीक्षित के डांस को देखकर नकल किया करती थी। मेरी रूचि खेल में थी। मै हमेषा खेलकूद में बढ़चढ़कर हिस्सा लेती थी और मुझे कई पुरस्कार भी मिले। अचानक एक दिन मेरे मित्र ने मुझे अभिनय करने की सलाह दी। जबकि उस वक्त तक मुझे अभिनय का ‘ए’ भी नहीं आता था। अभिनय करना बोलने में बहुत आसान है। मगर कैमरे के साथ दोस्ती करना और कैमरे के सामने हाव भाव दिखाना बहुत कठिन व मुष्किल है। फिर मेरे दोस्त ने ही मुझे अभिनय की ट्ेनिंग लेने की सलाह दी। तो मैने कोलकाता में ही अभिनय की ट्ेनिंग हासिल की। मेरे पिता जी नही है, मगर मेरी मां ने मुझे बहुत सपोर्ट किया। मेरी राय मंे इंसान को आगे बढ़ने के लिए उसके साथ उसके परिवार का सपोर्ट होना बहुत जरुरी है.मैंने जब कोलकाता से मंुबई आने का निर्णय लिया, तो मेरी मां तैयार नहीं थी। काफी मिन्नतें की कि यदि मैं कुछ नही बन पायी, तो वापस कोलकाता आ जाउंगी, लेकिन मुझे एक मौका दो कुछ करने का। तब मेरी मां ने मुझे मंुबई आने दिया था। मुंबई में काफी संघर्ष किया। फिर सबसे पहले राम गोपाल वर्मा सर ने मुझे तेलगू फिल्म में अभिनय करने का अवसर दिया। उसके बाद मैने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैं अब तक तेलगू, हिंदी व बंगाली भाषा में काम कर चुकी हॅंू। आप वेब सीरीज काफी कर रही हैं। लेकिन जब फिल्म थिएटर के अंदर रिलीज होती है, तो दो घ्ंाटे के अंदर ही आपको रिस्पंास मिल जाता है। जबकि वेब सीरीज का रिस्पंास पता चलने में वक्त लगता है? मैं इसे इस तरह देखती हूं कि फिल्म हो या वेब सीरीज सभी का प्रमोषन होता है। आज की तारीख में एम एक्स प्लेअर या नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी प्लेटफार्म वेब सीरीज का भी प्रमोषन फिल्मों की तरह करते हैं। जब हाॅट स्टार डिजनी पर मेरी वेब सीरीज ‘परंपरा’ आयी, तो उन्होने भी जबरदस्त प्रमोषन किया था.फिर ‘परंपरा’ के रिलीज के अगले माह मेरी फिल्म ‘मल्ली मोडालैंडी’ रिलीज हुई। फिर ‘डैंजरस’आयी और अब ‘दहानम’। तो मुझे पता ही नही चलता कि क्या फर्क है.मैं तो ख्ुाष हूॅं कि हर माह कुछ नया आ रहा है। राम गोपाल वर्मा से पुराना संबंध होने के चलते आपने ‘दहानम’ स्वीकार की? इस सीरीज का निर्देषन अगस्त्य मंजू सर ने किया है। जब मुझे इसका आफर मिला था, तो मैने कहा कि इतना चुनौतीपूर्ण किरदार मैं नही कर पाउंगी। पर राम गोपाल वर्मा और अगस्त्य मंजू सर को मुझ पर यकीन था। उन्होेने कहा कि मैं कर सकती हूंू। हकीकत में राम गोपाल वर्मा और मंजू सर की आॅंखे कलाकार की प्रतिभा का आकलन ज्यादा अच्छे ढंग से कर लेती हैं। वह मुझे बार बार अपनी क्षमता को साबित करने का अवसर देेते हैं। रामू सर ने तो कई कलाकार व निर्देषकों को इस इंडस्ट्ी में लांच किया है। ‘‘दहानम’’ के अपने किरदार को लेकर क्या कहना चाहेंगी? दहानम में पवनी का किरदार निभाया है, जिसे हालात नक्सलवादी बनने पर मजबूर कर देते हैं। वह एक गांव की लड़की है, जो साड़ी पहनती है। फिर नक्सलाइट कास्ट्यूम पहनने पर मजबूर होती है।.एक लड़की जो अपने माता पिता व बहन के साथ रहती है। अच्छी जिंदगी चल रही है। कुछ लोग उसकी बहन के साथ रेप कर देते हैं। उसके माता पिता की हत्या कर देते हैं। तब वह लड़की कहां जाएगी? पर वह भागती है। उसके नक्सलाइट बनने की अपनी एक यात्रा है। जिसे निभाते हुए मेरी आंखांे से बरबस आंसू निकलने लगे थे। पवनी के किरदार के साथ न्याय करने के लिए आपने किस तरह की ट्ेनिंग ली? मैं हर फिल्म व वेब सीरीज करने से पहले अपनी तरफ से कुछ तैयारी जरुर करती हूं। वेब सीरीज ‘दहानम’ देखकर लोगांे को लगेगा कि मैने कुछ खास ट्रेनिंग ली है, पर ऐसा कुछ नही है। मेरा आब्जर्वेषन बहुत अच्छा है। मैं लोगो की बाॅडी लैंगवेज को पकड़ती रहती हॅूं और फिर उसे अपने किरदारों में डालती हूंू। मैने काफी सोचा, कुछ वीडियो देखे कि एक नक्सली लड़की किस तरह से बिहैव करती है। मैने षूटिंग के वक्त ही पहली बार गन पकड़ी। मंजू सर ने ही मुझे गन पकड़ने की तकनीक सिखायी थी। निर्देषक अगस्त्य मंजू सर के साथ काम करनेे के अनुभव क्या रहे? मैंने मंजू सर के साथ इससे पहले ‘ब्यूटीफुल’ प्रोजेक्ट किया था। वह बहुत ही अलबेले निर्देषक हैं। वह कहीं भी लोकेषन ढूंढ़ लेते हैं। पहाड़ पर जाते हैं। जंगल में जाते हैं। यानी कि वह हमेषा वास्तविक लोकेषन पर काम करते हंै.बहुत ही षांत स्वभाव के हैं। उन्हे गुस्सा तो आता ही नही है। किसी फिल्म या वेब सीरीज को स्वीकार करते समय किस बात पर ध्यान देती हैं? सबसे पहले कहानी, फिर अपने किरदार पर ध्यान देती हॅूं। मुझे प्रेम कहानियां बहुत पसंद हैं। तो वही ‘दहानम’ जैसा किरदार करना पसंद है, जहंा मैं परफार्म कर सकूं और जिसके लिए मुझे अपने आप पर काम करना पड़े। ‘दहानम’ मंे मैने पहली बार गन पकड़ी.यह मेरे लिए बहुत ही अद्भुत अनुभव रहा। जब मैने ‘जौहर’ की थी, तब बहुत मेकअप किया था। तो मैं हमेषा चुनौतीपूर्ण किरदार की ही तलाष करती हॅूं। मुझे अपने आपको दोहराना पसंद नही। #NAINA GANGULY हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article