टीवी सीरियल ‘जमाई राजा’, वेब सीरीज ‘स्पॉटलाइट 2’ और ‘यमला पगला दीवाना फिर से’ जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुकी अभिनेत्री-मॉडल- एंकर और ‘मिस नागपुर’ विनर प्रियंका लालवानी जब हाई स्कूल में पढ़ रही थी,तभी से यौन और लैंगिक अल्पसंख्यकों से संबंधित लोगों के बारे में काफी कुछ जानती थीं।
लेकिन एलजीबीटी समुदाय और इनके व्यापक आंदोलन के बारे में बेहतर जानकारी उन्हें बहुत बाद में हुई। पर अब वह इस बात से खुश हैं कि आंदोलन के बारे में अधिक लोग कैसे जागरूक हैं, जिससे समुदाय से जुड़े लोगों के लिए दस साल पहले की तुलना में बाहर आना आसान हो गया।
प्रियंका लालवानी कहती हैं- “समय के साथ समाज विकसित हुआ है। लेकिन अभी भी बहुत से लोग ‘एलजीबीटीक्यू समुदाय यानी कि ‘गे’ समुदाय के बारे में कम जानते हैं। हमें लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता है, ताकि वह जान सकें कि एलजीबीटीक्यूआई प्लस समुदाय क्या है। एक निश्चित उम्र के बाद हर बच्चे को लिंग और यौन अल्पसंख्यकों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
हमें उनके संघर्ष को समझना होगा और उन्हें सम्मान देना होगा। हमें ही नहीं हर किसी को भी समझना होगा कि वह भी आम इंसानो की ही तरह सीधे इंसान हैं। कितनी अजीब सी बात है कि हम सभी फिल्म ‘कोई मिल गया’ देखते समय एक काल्पनिक एलियन, यानी कि जादू को स्वीकार कर लेते हैं, लेकिन वास्तविक जीवन में हम ‘गे’ समुदाय से संबंधित लोगों को स्वीकार करने में विफल रहते हैं।”
प्रियंका लालवानी के ‘गे’ समुदाय में अपने कुछ अच्छे दोस्त है। वह उनकी चर्चा करते हुए कहती हैं- “वह सबसे प्यारे हैं। अधिक सहानुभूति रखने के अलावा उनमें कुछ भी अलग नहीं है, जो शायद हमें आजकल बहुत कुछ नहीं मिलता है।”
अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी धारा 377 को गैर-अपराधी बना दिया है, फिर भी अभी तक भारत में समलैंगिक विवाह अवैध है। देखिए, जब हमारे दया की सर्वोच्च अदालत ने इस समुदाय को कानूनी मान्यता दे दी है, तो फिर हमें भी इन्हें समाज के अंग की तरह स्वीकार करना ही चाहिए। इस समुदाय के लोग कहते हैं कि ‘प्यार ही प्यार है!’ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी का यौन अभिविन्यास क्या है, उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहने का समान अधिकार होना चाहिए जिससे वह प्यार करते हैं।
हमें इस अवधारणा को सामान्य करने की आवश्यकता है। ‘गे’ समुदाय को एक हार्दिक संदेश देते हुए प्रियंका लालवानी कहती है- “बस आप बनो और जो भी आपको खुश करता है, उसके साथ रहो। या वह काम करो, जो आपको खुश करता है। खुद को ज्यादा प्राथमिकता दें। हम 21वीं सदी में हैं जहां किसी व्यक्ति की जाति, धर्म, लिंग आदि प्यार के बीच में नहीं आने चाहिए। हम इस महामारी से जो गुजरे हैं, अब हम जानते हैं कि हमारे पास प्यार और आशा ही सब कुछ है।”