विजया दशमी तब होगी जब गली गली में पनपते रावण का अंत होगा...

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By Mayapuri
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विजया दशमी तब होगी जब गली गली में पनपते रावण का अंत होगा...

दशहरे के पावन पर्व का संम्बंध है बुराई पर अच्छाई की विजय से।अत्याचार पर सदभावना की जीत से। आतंक पर सुरक्षा कर्मियों की फतह से। गली गली में हर वर्ष रावण का पुतला जलाया जाता है। मगर रावण क्या कभी मरता है? रावणो का अंत नहीं हो पाता। सामान्य जीवन से हो या सिनेमा के पर्दे की नकली कहानियों का रावण हो, उसके कृत्यों का दुष्परिणाम हम देखते हैं, मगर सबक कुछ नहीं ले पाते। हर साल आतंक रूपी रावण अपना दसों रूप लिए हमारी दुर्गति करता है और हमारे सुरक्षा-गार्ड रूपी राम उनकी दहसत गर्दी के शिकार होते रहते हैं।

ताजा उदाहरण है जम्मू-कश्मीर में पहचान पत्र देखकर आतंकियों द्वारा एक सिख और एक हिन्दू सुरक्षा गार्ड का कत्ल किया जाना। कभी पौराणिक कहानियों का रावण भारत मे घुसा था सीता का हरण करने, तब उसे खत्म करने के लिए राम विदेश की धरती(लंका) में जाकर उसका दमन किए थे। आज भी हालत बदले नहीं है। पाकिस्तानी आतंकी- रावणो को दंड देने के लिए भारत के सिपाही रूपी राम उनकी नापाक धरती में घुसकर उनका मनोबल तोड़ चुके हैं। बॉर्डर पर सेना रावणो से हमे सुरक्षा देने के लिए सशक्त है लेकिन, उन रावणो का क्या हो पा रहा है जो गली- गली में हैं? सीताओं का हरण आज भी हो रहा है और देश मे रहकर विदेसी आतंकियों के रहनुमाई करने वाले 'आकाओं' का कुछ नहीं हो पा रहा है!

बेशक सिनेमा के पर्दे पर तीन घंटे की फिल्म में रावण का दमन करने वाली सैकड़ों कहानियां आचुकी हैं। इन फिल्मों में 'बॉर्डर', 'रंगदे बसंती', 'लक्ष्य' तथा 'हकीकत', 'शहीद', क्रांति' जैसी देश पर कुर्बान होने वाले देशभक्तों और शहीदों की  फिल्में भी हैं। लेकिन, आज़ादी के 75 वें साल में भी पौराणिक- कहानियों का रावण ख़ौफ़ से ख़ौफजदा होता देखा जा रहा है। ना सीता'ओं का हरण (बलात्कार) रुका है ना सत्ता भोगी कुम्भकरणों की नींद टूटी है।जबतक गली गली में रावण का अंत नहीं होगा तबतक ना दशहरा सेलिब्रेशन पूरा होगा ना रामराज्य की परिकल्पना साकार होगी!

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