प्रकाश मेहरा को उनके जन्मदिन पर श्रद्धांजलि
फिल्म निर्माता निर्देशक प्रकाश मेहरा का जन्म उत्तर प्रदेश के बिदनौर में 13 जुलाई 1939 को हुआ था| इनके पिता बच्चपन में ही साधु बन गए थे जिसकी वजह से इन्होने और उनके परिवार ने कई मुश्किलों का सामना किया| इनका एक भाई भी है जिसका नाम बब्बू महरा है जो की फिल्मो में ही असिस्टेंट डायरेक्टर और प्रोडूसर हैं| प्रकश मेहरा की शादी नीरा महरा के साथ हुई थी जिनसे इन्हे तीन बच्चे हुए सुमीत, अमित और पुनीत महरा हैं जिनमे इनके एक बेटे अमित मेहरा की मौत 1 मार्च 2015 को दिल के दौरे की वजह से हो गई।
प्रकाश मेहरा ने 50 के दशक में अपने फिल्मी जीवन की शुरूआत एक प्रोडक्शन कंट्रोलर की हैसियत से की थी। 1968 में उन्होंने शशि कपूर की फिल्म हसीना मान जाएगी का निर्देशन किया जिसमें शशि कपूर ने दोहरी भूमिका निभाई थी। प्रकाश मेहरा ने साठ के दशक में कई गीत भी लिखे | कहते है वो पहले गीतकार बनना चाहते थे परन्तु बन गये निर्देशक | उनकी आरम्भिक फिल्म है “हसीना मान जायगी” (1968) , मेला (1971) ,कुँवारा (1973)| उल्लेखनीय है कि प्रकाश मेहरा सातवे और आठवे दशक के महत्वपूर्ण फिल्मकार है और चूँकि ये दशक अमिताभ के दशक माने गये है इसलिए स्वाभाविक तौर पर प्रकाश मेहरा ने अमिताभ के साथ कई सफल फिल्मे बनाई जैसे हेराफेरी (1976), मुक्कदर का सिकन्दर (1978) , लावारिस (1981) ,नमक हलाल (1982), शराबी (1984) जैसी सफलतम फिल्मे उन्ही की देन है | उनकी अन्य फिल्मे भी कम महत्वपूर्ण नही है मसलन हाथ की सफाई (1974), खलीफा (1976), आखिरी डाकू (1978), देशद्रोही (1980), ज्वालामुखी (1980), मुकद्दर का फैसला (1987), मुहब्बत के दुश्मन (1988), जादूगर (1989) , जिन्दगी एक जुआ (1992 ) आदि।
प्रकाश मेहरा समझते थे कि दर्शको को बस अपना सा लगने वाला नाटक दिखना चाहिए | जो उनकी फिल्मो में साफ दीखता भी था फिर चाहे वो “शराबी” फिल्म का अंदर से दुखी लेकिन बाहर से हंसोड़ किरदार हो या “मुक्कदर का सिकन्दर” का साहसी किन्तु भीतर से टूटे दिल वाला किरदार या फिर लापरवाह “लावारिस” जिसके भीतर उबलता हुआ उपेक्षा भाव का लावा – वास्तव में ऐसे किरदार और अति नाटकीय प्रभाव दर्शको के दिलो दिमाग को झकजोर कर रख देते थे और यही प्रकाश महरा के फिल्मो की सबसे बड़ी ताकत थी | जिनका 17 मई 2009 को निमोनिया और दूसरी बिमारियों के चलते देहांत हो गया।