हैप्पी बर्थडे मिथुन चक्रवर्ती
बॉलीवुड न सिर्फ डिस्को डांसर बल्कि एक्टर सिंगर और डायरेक्टर मिथुन चक्रवर्ती का जन्म 16 जून 1950 को हैदराबाद में हुआ था। फिल्मों में आने से पहले वे नक्सली हुआ करते थे। वे मार्शल आर्टस में ब्लैक बेल्ट भी हैं, यही कारण है कि फिल्मों के एक्शन दृश्यों में वे अपना सर्वश्रेष्ठ दे पाते हैं।मिथुन दा ने कलकत्ता के प्रसिद्ध स्काॅटिश चर्च काॅलेज से पढ़ाई की जहां से उन्होंने केमेस्ट्री की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।मिथुन चक्रवर्ती की शादी योगिता बाली से हुई थी जिनसे उन्हें 4 बच्चे है- मिमोह, रिमोह, नामाशी, दिशानी। उस दौर में श्रीदेवी से उनका अफेयर भी लंबे समय तक अखबारों और मैगजीन्स में छाया रहा था।
मिथुन दा करीब 350 से ऊपर फिल्मों में काम कर चुके है जिसमेें बंगाली, उडि़या, भोजपुरी, तेलुगु और पंजाबी फिल्में भी शामिल हैं।उन्होंने अपने करियर की शुरूआत फिल्म ‘मृगया’ से की थी जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया। मल्टीस्टारर फिल्मों में भी उन्होंने अपने अभिनय की छाप छोड़ी लेकिन फिल्म ‘डिस्को डासंर’ ने उन्हें स्टार बना दिया। उन्होंने लगभग हर शैली की फिल्मों में काम किया। यह वही समय था जब अमिताभ बच्चन की तूती बोल रही थी और युवाओं का एक वर्ग उनका दीवाना हुआ जा रहा था। उसी समय मिथुन ने अपने दीवानों की एक अलग जमात खड़ी कर दी। आम शहरी लड़कियों को पहली बार यह एहसास हुआ कि उसका हीरो एक आम सी शक्ल-सूरत में आ सकता है। वो आम लोगों के अमिताभ या ग़रीबों के अमिताभ हो गए। मिथुन ने जानबूझ कर ही शायद उन सब चीज़ों से अपने को दूर रखा जो उन्हें अभिजात्य में शामिल करता। अजीब रंगों की चुस्त पैंट, उस पर अक्सर भड़कीली सी टी-शर्ट या कोई डिज़ाइनर सी शर्ट, उस पर एक जैकेट। बाल भी ऐसे कटे हुए कि कानों के बगल में कली ग़ायब। ‘प्यार झुकता नहीं’ से लेकर ‘डिस्को डांसर’ तक उन्होंने अपनी स्टाइल की ऐसी पहचान बना ली जिसने हर बड़े शहर की छोटी बस्तियों में और हर छोटे शहर की हर बस्ती में अपनी छाप छोड़ी। यह उनकी सफलता ही थी कि हर साधारण सा दिखने वाला युवक उनकी तरह बाल कटवाकर, उनकी तरह कपड़े पहनकर और उनकी तरह थोड़ा सा अकड़कर चलते हुए अपने आपको हीरो सा समझने लगा था। ये भी मिथुन की व्यावसायिक चतुराई थी कि इस बीच उन्होंने वो फ़िल्में भी हाथ से नहीं जानें दी जिनमें उन्हें साइड हीरो की भूमिका मिल रही थी लेकिन अभिनय का अवसर था। एक हीरो के साथ मिथुन चक्रवर्ती एक निर्माता के रूप में भी पहचाने जाते हैं। उन्होंने खुद को हीरो रखकर कई फ़िल्में निर्मित की। कुछ फ़िल्में तो बहुत सफल हुईं। मिथुन एक ऐसे निर्माता थे जिनके बैनर तले एक साल में 6 से 10 फ़िल्में तक बनतीं। वह निर्देशक से लेकर कैमरामन तक से फ़िल्म के लिए पूरे साल का अनुबंध करते। यह एक नया प्रयोग था।डांस इंडिया डांस और डांस बांग्ला डांस जैसे ज़ी टीवी के डांस शो में मिथुन ग्रैंड जज हैं। यह उनकी परिकल्पना है। डांस पर रुचि रखने वालो के लिए यह एक सुनहर मौक़ा है।उनकी कुछ खास फिल्मे हैं मृगया (1976), दो अनजाने (1976), सुरक्षा (1979), तराना (1979), आखरी इन्साफ (1980), टैक्सी चोर (1980), हम पांच (1980), हम से बढ़कर कौन (1981), धुंआ (1981), आमने सामने (1982), स्वामी दादा (1982), डिस्को डांसर (1982), मुझे इन्साफ चाहिए (1983), वांटेड: डेड और अलाइव (1984), बॉक्सर (1984), घर एक मंदिर (1984), जाग उठा इंसान (1984), कसम पैदा करने वाले की (1984), प्यार झुकता नहीं (1985), गुलामी (1985), प्यारी बहना (1985), माँ कसम (1985), बादल (1985), दिलवाला (1986), जाल (1986), स्वर्ग से सुन्दर (1986), करमदाता (1986), ऐसा प्यार कहाँ (1986), मैं बलवान (1986), डांस डांस (1987), परिवार (1987), हवालात (1987), हिरासत (1987), वतन के रखवाले (1987), प्यार का मंदिर (1988), चरणों की सौगंध (1988), वक्त की आवाज (1988), जीते हैं शान से (1988), गंगा जमुना सरस्वती (1988), गुरु (1989), इलाका (1989), अग्निपथ (1990), रोटी की कीमत (1990), प्यार का देवता (1991), प्यार हुआ चोरी चोरी (1991), ताहादेर दादा (1992), फूल और अंगार (1993), मेहरबान (1993), आदमी (1993), दलाल (1993), चीता (1994), जनता की अदालत (1994), रावन राज: अ ट्रू स्टोरी (1995), जख्मी सिपाही (1995), जल्लाद (1995), भीष्मा (1996), जंग (1996), शपथ (1997), लोहा (1997), कालिया (1997), सूरज (1997), स्वामी विवेकानंद (1998), मिलिट्री राज (1998), चंडाल (1998), मर्द (1998), यमराज (1998), सन्यासी मेरा नाम (1999), शेरा (1999), सुल्तान (2000), बिल्ला नंबर 786 (2000), बंगाल टाइगर (2001), मेरी अदालत (2001), मार्शल (2002), बंगाली बाबु (2002), गौतम गोविंदा (2002), कुली (2004), एलान (2005), दादा (2005), लकी : नो टाइम फॉर लव (2005), हंगामा (2006), गुरु (2007), कालपुरुष (2008), चांदनी चौक टू चाइना (2009), लक (2009), वीर (2010), गोलमाल 3 (2010), फालतू (2011), हाउसफुल 2 (2012), ओएमजी: ओह माय गॉड! (2012), खिलाड़ी 786 (2012), रॉकी (2013), एनेमी (2013), बॉस (2013), कांची: द अनब्रेकेबल (2014), किक (2014), एंटरटेनमेंट (2014), गोपाला गोपाला (2015), नक्सल (2015), मिथुन आज भी बंगाली और हिंदी सिनेमा मए काम कर रहे हैं व इनकी 2017 में आने वाली फिल्मे गेहेर और जीनियस हैं ।