अमरीश पुरी को जन्मदिन पर श्रद्धांजलि
हिन्दी सिनेमा के सबसे मशहूर खलनायक के रूप में प्रसिद्धि बटोरने वाले अभिनेता थे। अमरीश पुरी का जन्म 22 जून 1932 को पंजाब में हुआ। इनके मां का नाम वेद कौर और पिता का नाम लाला निहाल चंद्र था।इन्होने शिमला के बीएम कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। अमरीश पुरी के 4 भाई बहन हैं, जिसमें से यह चौथे स्थान पर थे। इनके बड़े भाई चमन पुरी और मदन पुरी ने बॉलीवुड में 1960 के दौर में अपने निगेटिव रोल से ऑडियंस के दिलों में एक खास जगह बनाई। अमरीश पुरी की एक बड़ी बहन चंद्रकांता और एक छोटा भाई हरीश पुरी भी हैं। 25 साल की उम्र में इन्होंने उर्मिला दिवेकर के साथ शादी 5 जनवरी 1959 को की। इनको दो बच्चे राजीव पुरी और नम्रता पुरी है। बेटे राजीव पुरी एक रिटायर्ड मर्चेंट नेवी ऑफिसर हैं।
अमरीश पूरी हमेशा से अपने भाइयों की तरह एक्टर बनना चाहते थे तो भाइयों के कहने पर इन्होंने अपना पहला स्क्रीन टेस्ट दिया, जिसमें वह फेल हो गए। हालांकि इसी दौरान अमरीश को सरकारी नौकरी के लिए मिनिस्टर ऑफ लेबर से कॉल भी आया और इन्होंने एलआईसी में जॉब करनी शुरू कर दी और सतह साथ थिएटर से भी जुड़ गए। उन्होंने दुबे और गिरीश कर्नाड के लिखे नाटकों में प्रस्तुतियाँ दीं। रंगमंच पर बेहतर प्रस्तुति के लिए उन्हें 1979 में संगीत नाटक अकादमी की तरफ से पुरस्कार दिया गया, जो उनके अभिनय कैरियर का पहला बड़ा पुरस्कार था।
उसके बाद वर्ष 1971 में उन्होंने फ़िल्म 'रेशमा और शेरा' से खलनायक के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की लेकिन वह इस फ़िल्म से दर्शकों के बीच अपनी पहचान नहीं बना सके। मशहूर बैनर बाम्बे टॉकीज में क़दम रखने के बाद उन्हें बड़े बड़े बैनर की फ़िल्म मिलनी शुरू हो गई। अमरीश पुरी ने खलनायकी को ही अपना कैरियर का आधार बनाया। इन फ़िल्मों में श्याम बेनेगल की कलात्मक फ़िल्म जैसे निशांत, 1975, मंथन 1976, भूमिका 1977, कलयुग 1980, और मंडी 1983, जैसी सुपरहिट फ़िल्म भी शामिल है जिनमें उन्होंने नसीरुद्दीन शाह, स्मिता पाटिल और शबाना आज़मी जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया और अपनी अदाकारी का जौहर दिखाकर अपना सिक्का जमाने में कामयाब हुए। इस दौरान उन्होंने अपना कभी नहीं भुलाया जा सकने वाला किरदार गोविन्द निहलानी की 1983 में प्रदर्शित कलात्मक फ़िल्म 'अर्द्धसत्य' में निभाया। इस फ़िल्म में उनके सामने कला फ़िल्मों के दिग्गज अभिनेता ओम पुरी थे। बरहराल, धीरे धीरे उनके कैरियर की गाड़ी बढ़ती गई और उन्होंने कुर्बानी 1980 नसीब 1981 विधाता 1982, हीरो 1983, अंधाक़ानून 1983, कुली 1983, दुनिया 1984, मेरी जंग 1985, और सल्तनत 1986, और जंगबाज 1986 जैसी कई सफल फ़िल्मों के जरिए दर्शकों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई। वर्ष 1987 में उनके कैरियर में अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ।लेकिन इनकी ज़िन्दगी का सबसे यादगार रोल था मिस्टर इंडिया फिल्म का मोगेम्बो का किरदार।जिसने इन्हे बॉलीवुड का सबसे खतरनाक खलनायक बना दिया ।इसके साथ इनकी मशहूर फिल्मे थी प्रेम पुजारी से फ़िल्मों की दुनिया में प्रवेश करने वाले अमरीश पुरी के अभिनय से सजी कुछ मशहूर फ़िल्मों में निशांत, मंथन, गांधी, मंडी, हीरो, कुली, मेरी जंग, नगीना, लोहा, गंगा जमुना सरस्वती, राम लखन, दाता, त्रिदेव, जादूगर, घायल, फूल और कांटे, विश्वात्मा, दामिनी, करण अर्जुन, कोयला आदि।इनकी आखरी फिल्म (2009) पूरब की लैला पश्चिम का छैला: हेलो इंडिया थी जो उनकी मृत्यु के बाद रिलीज़ हुई ।
क्योंकि बॉलीवुड के इस महान खलनायक की 73 साल की उम्र में 12 जनवरी वर्ष 2005 को मुम्बई में मृत्यु हो गई थी। पुरी ने तक़रीबन 220 से भी अधिक हिन्दी फ़िल्मों में काम किया है। लेकिन उनका अभिनय हमेशा जीवित रहेगा ।