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Birthday Special: रफ़ी साहब से जुड़ी एक अनसुनी कहानी

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By Mayapuri Desk
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Birthday Special: रफ़ी साहब से जुड़ी एक अनसुनी कहानी

मैंने सरासर पागलपन देखा है, लोगों का अपने स्टार्स के प्यार के लिए जीने मरने की इच्छा, उनके य्‌ आईडॉल्स, उनके आइकॉनस, मैं जीवन जीने के उनके अजीब और अविश्वसनीय तरीकों का गवाह रहा हूं जिन्हें वे खुद से ज्यादा प्यार करते हैं। लेकिन मेरे जीवन में एक सबसे बड़े सरप्राइज में था, कुछ दिनों पहले जब * एक बहुत ही प्यारा दोस्त, वह आदमी जिसकी मैं प्रशंसा करता हूं वह चाहता था कि मैं उनके लिए एक फेवर करूं, उन्हें नहीं पता था कि वह मुझ पर एहसान करने के लिए कहकर खुद मुझ पर एक एहसान कर रहे थे, वह नहीं जानते थे कि मेरे लिए उनका केवल एक एहसान करना ही कितना बड़ी खुशी की बात थी, क्योंकि मुझे अब उनके जैसे लोग नहीं मिलते हैं। मेरा दोस्त चाहता था कि, मैं उसके दोस्त को मोहम्मद रफी के परिवार के पास ले जाऊं क्योंकि वह उनके प्रशंसक थे और वह और उनकी पत्नी दोनों नई दिल्‍ली में चार्टर्ड 22, अकाउंटेंट है, जो महान गायक मोहम्मद रफी के परिवार के किसी भी सदस्य से मिलना चाहते थे।

मेरे पास व्यवस्था करने के लिए सिर्फ एक दिन था

Birthday Special: रफ़ी साहब से जुड़ी एक अनसुनी कहानीयह कपल मुंबई की यात्रा पर थे और उन्होंने खुद से यह वादा किया था कि वह इस सपनों के शहर को तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक कि उनका सपना पूरा नहीं हो जाता, जब तक वे मोहम्मद रफी के करीब महसूस न कर। मेरे पास व्यवस्था करने के लिए सिर्फ एक दिन था मैंने कोशिश की और बात की जिसके बाद लीजेंड की बेटी श्रीमती नसरीन अहमद ने मुझे रफी साहब के फैंस को रफी मेंशन में लाने के लिए कहा था, लीजेंड का यह घर बांद्रा में स्थित हैं, उन्होंने मुझे अगली शाम 7:30 बजे उन्हें लाने के लिए कहा था।

मैं अपने दोस्त के ऑफिस गया और उन फैंस को इस खुशखबरी के बारे में बताया, उनकी अगली सुबह फ्लाइट थी लेकिन उन्होंने तत्काल अपनी टिकट कैंसिल करने का फैसला लिया और अपने उस सपने को याद किया।

प्रशंसक ने बड़ी बेचैनी से अपना दिन बिताया, उनका तब केवल एक ही लक्ष्य था, केवल एक मिशन, उन्हें मोहम्मद रफी को महसूस करना था। मैं रफी मेंशन में पहुँच गया था, लेकिन मुझे वहा पहुँचने में समय लग गया था क्योंकि मुझे रास्ता नहीं मिल रहा था, जबकि मैं मुंबई से था और कई बार रफी मेंशन में भी गया था, हालांकि वह लोग मुझसे पहले पहुंच गए थे, जो यह साबित करता है कि उनकी यह दीवानगी कितना मजबूत थी और जो एक चमत्कार भी कर सकती थी, मुझे अंधेरी से बांद्रा के एक उपनगर तक पहुंचना था और उन्हें द गेटवे ऑफ इंडिया से वहां पहुंचना था और उनका मुझसे पहले पहुंचना एक चमत्कार की तरह था।

फर्क सिर्फ इतना था कि वह एक महिला थी और वह रफी साहब की तरह नहीं गा सकती थी

Birthday Special: रफ़ी साहब से जुड़ी एक अनसुनी कहानीफैन को पहले ही पता चल गया था कि रफी मेंशन कहाँ था और मुझे यह समझना और विश्वास करना मुश्किल हो गया था, श्रीमती अहमद और उनके पति ग्राउंड फ्लोर पर चल रही “जरी” की दुकान में इंतजार कर रहे थे, उन्होंने हमारा स्वागत किया, उनकी शक्ल रफी साहब की तरह ही थी, उसकी भी वही सौम्य मुस्कान थी, जो रफी साहब के चेहरे पर हमेशा रहती थी, फर्क सिर्फ इतना था कि वह एक महिला थी और वह रफी साहब की तरह नहीं गा सकती थी.

फैंस का पागलपन एक और चरम पर पहुंच गया था जब उन्होंने कुछ ऐसा करने को कहा जो एक तरह से असंभव है और लगभग पाप ही था, वह उनके हाथ को छूना चाहते थे, हालाँकि उनके पति उनके साथ ही खड़े थे, और उनका धर्म इस बात की इजाजत नहीं देता था की किसी विवाहित महिला को कोई अन्य व्यक्ति छुए, लेकिन नाज़रीन और उनके पति दोनों ने उनके इस दीवानेपन को देखा और उन्हें अपने हाथ को छूने की अनुमति दे दी और जैसे ही उन्होंने उनके हाथ को छुआ, तो मैं उनके चेहरे पर स्वर्ग की वह अद्भुत रोशनी देख सकता था, उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी और ही दुनिया में चले गए हो।

उन्होंने हर छोटी चीज को देखा और उन्हें कोमलता से छू लिया

Birthday Special: रफ़ी साहब से जुड़ी एक अनसुनी कहानी    प्रशंसक मिसेज अहमद को अपने पिता रफी साहब के बारे में कुछ बताने के लिए मनाते रहे, लेकिन वह वह कुछ नहीं बोली थी, वह बस रफी की तरह मुस्कुराती रही और कहा, “क्या कहूं उनके बारे में, इतना कुछ कहने को है लेकिन कुछ भी नहीं कह सकती |'

प्रशंसक और उनकी पत्नी को उनके जीवन का सबसे बड़ा विशेषाधिकार दिया गया, श्रीमती अहमद ने परवेज से पूछा, एक आदमी जो रफी साहब का करीबी था, उस दरवाजे को खोलने के लिए जिसमे सबसे कीमती खजाना था, जिसे उन्होंने कभी नहीं देखा था, और जिसे बहुत कम लोगों ने देखा था और जिससे दुनिया अनजान थी| यह वह कमरा था जहाँ रफी साहब की उपस्थिति को पूरी तरह से हर तरफ महसूस किया जा सकता था | पूरी जगह उन चीजों से भरी हुई थी, जिन्हें रफी साहब ने छुआ था, जब वे जीवित थे और हर छोटी चीज को बस उसी तरह रखा गया था, जैसे उनके सामने थी जब वह इस दुनिया में थे| वहा उनकी मेज और कुर्सी थी जिस पर वह बैठी करते थे, वहा उनका काले रंग का टेलीफोन भी था जिस पर उन्होंने अपनी प्राचीन और दिव्य आवाज में बात की होगी, वहा उनके सभी पुरस्कार और स्मृति चिन्ह भी थे, और वहा उनकी पंडित जवाहरलाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी और दुनिया के विभिन्‍न हिस्सों के कई प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों के साथ उनकी दिवंगत पत्नी बिलकीस के साथ उनकी तस्वीरें भी थी, उस कमरे में सैकड़ों और हजारों अखबारों के कटिंग थी और सभी पद्मश्री जिसके साथ उन्हें भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया, एक सम्मान जो उनके जैसे एक लीजेंड के लिए बहुत छोटा था क्‍योंकि अन्य कुछ लोगों जो इसके योग्य नहीं थे उन्हें सरकार द्वारा बहुत बड़े और प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था ।
प्रशंसक और उनकी पत्नी मानो एक दुनिया में खो गए थे, उन्होंने हर छोटी चीज को देखा और उन्हें कोमलता से छ लिया जैसे कि वे किसी दिव्य, कुछ पवित्र चीज को छू रहे थे, और हर समय उनके चेहरे पर अविश्वास की भावना थी|

अंततः जब वह नीचे आ गए तब वह वही कपल नहीं थे जो उस चमत्कारी कमरे में जाने से पहले थे। प्रशंसक अपनी उत्तेजना को नियंत्रित नहीं कर सके और आसपास मौजूद हर आदमी को गले लगाने लगे वहां कुछ गायक भी मौजूद थे जो रफी साहब के गायन को जीवंत रख रहे थे, जब अहमद ने उन्हें रफी साहब की एक पुरानी ऑटोग्राफ की हुई तस्वीर पेश की तो वह बहुत खुश हुए, जिसे उसने कई बार अपने माथे से छुआ और उसे ऐसे देखा कि जैसे उसे एक परम उपहार मिल गया हो जिसे पाने का वह केवल सपना देख सकते थे।

Birthday Special: रफ़ी साहब से जुड़ी एक अनसुनी कहानी

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