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मुझे इस बात पर आश्चर्य हुआ कि मैंने नौ साल से अधिक समय से इंडस्ट्री में अपने पसंदीदा व्यक्ति से कैसे मुलाकात नहीं की, एक ऐसा व्यक्ति जिसने मुझसे हर हफ्ते में एक बार मिलने का नियम बनाया था, मेरे दो दोस्त थे, राजा कशीफ और उनकी खूबसूरत गायिका-पत्नी जुबय्यत जहात जो मूल रूप से बांग्लादेश की थी, जो धर्मेन्द्र से मिलने के लिए बहुत उत्सुक थी और मैंने उनके लिए धर्मेन्द्र को फोन करके लगभग जोखिम लिया क्योंकि मुझे नहीं पता था कि पहले और अब में क्या कुछ बदल गया था, मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब उन्होंने इतने सालों के बाद मेरी आवाज को सुनते ही पहचाना और मुझे तुरंत उनके घर आने को कहा क्योंकि उनके पास मुझे कविता सुनाने के लिए बहुत सारी नई कविताएँ थी, जैसे कि वे तब करते थे जब उन्होंने शुरू-शुरू में कविता लिखना शुरू किया था. अली पीटर जॉन
जब मैं उनका घर ढूंढने निकला /mayapuri/media/post_attachments/2c4d697a2363257e933decffcd0935ca5755d1d78879eeed38a1cc57fb8bb9c8.jpg)
मैं यह मौका मिस नहीं कर सकता था, मैंने उनसे पूछा, क्या मैं? क्या मैं अपने साथ दो मेहमान ला सकमा हूँ, उनकी हाँ होती ही, मैं युवा जोड़े के साथ जुहू पहुंचा और अब यह देखकर हैरान रह गया था कि मुझे उनका घर भी नहीं मिल रहा था क्योंकि वहाँ कई अन्य नए घर जो बन गए थे और उनमें से एक अजय देवगन और काजोल का नया बंगला भी था.
लेकिन मैं हार नहीं मान सकता था और जल्द ही मैं उनके सामने खड़ा था और हम दोनों एक दूसरे को खो चुके भाइयों की तरह गले लगा रहे थे, मुझे तुरंत याद आया कि जब वह मेरे साथ शराब पीते थे, तो वह मुझे ‘मेरा दारूभाई’ कहा करते थे, हम दोनों तब तक शराब पीते थे जब तक कि हमें हैंगओवर नहीं हो जाता था, यह एक चमत्कार था कि हम दोनों ने अब शराब पीना छोड़ दिया है और जीवन बहुत अच्छा बीत रहा हैं.
जब अकेला होता हूँ, तब अपनी माँ के पास बैठ जाता हूँ
वह काला पजामा और सफेद शर्ट और मैचिंग जैकेट पहने हुए अकेले बैठे थे और इस बार वह अपने पढ़ने वाले चश्मे को छिपाने का कोई प्रयास नहीं कर रहे थे.
फिर उन्होंने अपनी डायरी खोली जो उनके ड्राइंग रूम में उनके लिए सबसे कीमती चीज लगती थी, उनकी माँ के एक बड़े चित्र के अलावा और कुछ नहीं था जिसके बारे में उन्होंने मुझे एक कहानी सुनाई, उन्होंने बताया कि जब भी वह अकेला या खोया हुआ महसूस करते हैं, तो वह अपनी मां के इस चित्र के साथ अकेले बैठते हैं, उनसे बात करते हैं और यहां तक कि बहुत जोर से रोते हैं जो कुछ ऐसा था जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं किया था.
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अगले एक घंटे तक माहौल में सिर्फ कविताएं थीं और कुछ नहीं, मज़े की बात, ये कविताएं और किसी ने नहीं बल्कि 'कवि' धर्मेंद्र ने ही लिखी थीं. धर्मेंद्र का ये कवि रूप जो परिस्थितियों में पैदा हुआ और वे भावनाएँ जो उनमें पैदा हुईं और जिसके लिए उन्होंने शुद्ध उर्दू में भाव दिए जो एकमात्र ऐसी भाषा थी जिसमें वह परिपूर्ण थे, उनकी शायरी प्रेम की थी, संघर्ष की थी, जीवन के उतार-चढ़ाव की थी, मानवीय रिश्तों के भीतर के कई तूफान के बारे में लिखित थी, वह इतने उत्सुक थे कि मैंने हर उस शब्द को समझ लिया, जिसमें उसने कुछ सबसे कठिन शब्दों और भावों को लिखा था, यह जीवन की महान शाम थी, जो शराब से नहीं बल्कि कुछ चाय और बिस्कुट के साथ गुजरी थी.
मैंने उन्हें उनके जन्मदिन के बारे में याद दिलाया और उन्होंने कहा, “साठ से भी ज्यादा साल हो गए पंजाब से मुंबई आए हुए और लगता है पचास साल कुछ पलो में बीत गए, लेकिन कोई गम नहीं कोई शिकवा नहीं, मुझे और मेरे परिवार को इतना प्यार लोगो ने दिया जो हम लोगों कई सालों तक जिंदा भी रखेगा और देओल खानदान को याद भी रखेगा”
उम्र का कोई असर कम से कम धर्मेंद्र पर तो नहीं होता
मैंने कई पुरुषों और महिलाओं को देखा है जो 85 पार कर चुके हैं, लेकिन आपको मुझ पर विश्वास करना चाहिए जब मैं कहता हूं कि धर्मेंद्र सिंह देओल जैसा कोई नहीं है, जो अस्सी से अधिक उम्र के बाद भी इतने एक्टिव हैं, और ऐसे महान इंसान एक बार ही जन्म लेते हैं, वह एक सच्चे ‘धरतीपुत्र’, मिट्टी का एक साधारण बेटा और सुपरस्टार के बीच एक सुपरस्टार, जिसने आज के सुपरस्टार की तरह अपने सभी स्टारडम को कभी नहीं बिगाड़ा है, शाहरुख खान धर्मेन्द्र को बहुत अधिक मानते हैं और उनके पैरों को पूरे सम्मान के साथ छूते हैं.
मैंने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में दर्शकों को धरमजी को स्टैंडिंग ओवेशन देते देखा है, मैं पूरी दुनिया को इस असामान्य व्यक्ति को ‘स्टैंडिंग ओवेशन’ देने के लिए देखना पसंद करूंगा, जो ह्यूमैनिटी के ब्रांड एंबेसडर से अधिक है, मुझे यह कहते हुए खेद है कि आज हम जिस दुनिया में रह रहे हैं, वह धीरे-धीरे खत्म हो रही है।
आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं, धरमजी आपके लिए विश करने के लिए मेरे पास कुछ नहीं हैं क्योंकि आपके पास हमेशा आपके साथ भगवान और मनुष्य दोनों की विश साथ हैं।
अनु-छवि शर्मा
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