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बॉलीवुड में बंगाली तारिकाएं मनाती हैं विजया दशमी के दिन सिंदूर खेला कैसे कैसे !

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By Asna Zaidi
बॉलीवुड में बंगाली तारिकाएं मनाती हैं विजया दशमी के दिन सिंदूर खेला कैसे कैसे !
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वैसे तो 'सिंदूर खेला' की रश्म 450 साल पुरानी है लेकिन बॉलीवुड में भी इस पर्व को मनाए जाने का सिलसिला नया नही है. जब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की बुनियाद मुम्बई में अस्तित्व में आ रही थी, तब बंगाल से जुड़े फिल्मकार और कलाकार यहां कम नहीं थे. एक लंबी फेहरिस्त है बंगाल ब्रिगेड के फिल्मकारों, संगीतकारों, कलाकारों की जो सपरिवार बॉलीवुड का हिस्सा बन गए थे. कला, संस्कृति और अपनी मान्यताओं को दिल से मानने वाले ये फ़िल्म परिवार सदैव अपने कल्चर से जुड़कर रहे हैं. दुर्गापूजा और पूजा पंडाल में इकट्ठे होकर महिलाओं द्वारा 'सिंदूर खेला'  की रश्म भी पुरानी है. इस साल फिल्मों की नगरी बॉलीवुड में  कुछ विशेष उत्साह के साथ दुर्गा पूजा मनाए जाने की व्यस्तता दिखाई पड़ रही है. दुर्गा पूजा का आयोजन पंचमी से दशहरा तक होता है. इस साल 1ऑक्टोबर से 5 ऑक्टोबार तक मुम्बई में लोखंडवाला गार्डन, जुहू टूलिप स्टार, बांद्रा लिंक गार्डन आदि में बने पंडालों में सितारे मां दुर्गा की पूजा में शामिल होते आम जनता के बीच दिखने वाले हैं.  

शषधर मुखर्जी, मृणाल सेन, सलिल चौधरी, सत्यजीत राय, अशोक कुमार,  हेमंत मुखर्जी, तरुण मजूमदार, बिमल रॉय, विश्वजीत चटर्जी,उत्तम कुमार, केश्टो मुखर्जी, असित सेन, मशहूर मुखर्जी(एस. मुखर्जी) परिवार के जॉय मुखर्जी, देब मुखर्जी, फनी मजूमदार, माणिक चटर्जी, मिथुन चक्रोबर्ती, अभिजीत, कुमार सानू, शान...एक लंबी श्रृंखला है बंगाल से जुड़े फिल्मी सेलिब्रिटीज की जो सपरिवार बॉलीवुड का हिस्सा रहे हैं. बेशक जब ये फिल्मों के लिए आए थे तब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को 'बॉलीवुड' नही कहा जाता था, आज तो बॉलीवुड में बंगाली परिवार की  महिलाओं और पर्दे पर की तारिकाओं की एक लंबी फेहरिस्त है जो डटकर 'सिंदूर खेला' में भाग लेती हैं.

सिंदूर खेला' एक ऐसी परंपरा है जिसके लिए कहा जाता है कि मां दुर्गा अपने मायके से विदा होती हैं उनको सिंदूर लगाकर सजाकर विदा किया जाता है.इस अवसर पर महिलाएं पान के पत्ते पर सिंदूर रख कर माँ दुर्गा को चढ़ाती हैं फिर सिंदूर एक दूसरे को लगाती हैं.बड़ों को पांव पर और हम उम्र को चेहरे पर सिंदूर लगाकर होली जैसा खेल होता है. बॉलीवुड की हीरोइनों बढ़ चढ़ कर इस आयोजन में भाग लेती हैं. वो शादीसुदा हों या कुंवारी हों, वहां होती सब हैं. राखी और मौशुमी चटर्जी अस्सी के दशक तक बांद्रा- दुर्गोत्सव  में नहीं पहुचती थी तो अधूरापन लगता था. इसीतरह लोखंडवाला के दुर्गा पंडाल में गायक अभिजीत की अगुवाई में आयोजन होने पर काजोल, रानी मुखर्जी, विपाशा बासु, सुष्मिता सेन आजकल की खास सिंदूर खेला का आकर्षण बनती हैं. तनूजा, मौशुमी, राखी, अपर्णा चौधरी की बेटियों का यह दौर है. नए जमाने की ये लड़कियां -काजोल देवगन, रानी मुखर्जी चोपड़ा, कोंकणा सेन शर्मा विवाहोपरांत भी अपने कल्चर से उतना ही प्यार व लगाव रखती हैं. ये सभी सेंदूर खेला में भाग लेने में संकोच नही करती. इस मौके पर 'धुनची नृत्य' की भी परंपरा है. सुष्मिता सेन को गए साल धुनची नृत्य पर ठुमकी लगाते देख निर्देशिका मेघना गुलजार भी शुरू हो गयी, विद्या बालन भी शुरू हो गयी थी... फिर तो पूरा मण्डप ही झूम उठा था.
सिंदूर खेला के इस पावन पर्व पर मायापुरी की शुभ कामना !

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