भारतीय सिनेमा के दिग्गज फिल्म निर्माता मनमोहन देसाई, जिन्हें 'मन जी' के रूप में जाना जाता है आज उनका 84वां जन्मदिन है। 26 फरवरी, 1937 को जन्मे मनमोहन देसाई ने कुछ ऐसी प्रतिष्ठित और ब्लॉकबस्टर मसाला फिल्में बनाई थीं, जो दशकों तक आने वाली पीढ़ियों के लिए यादगार रहेंगी।
मनमोहन देसाई ज्यादातर मिक्स-शैली की फ़िल्मों से बनाते थे जिन्हें 'मसाला फ़िल्में' भी कहते हैं। उनके पिता किक्कू देसाई ने 1930 में एक फिल्म का निर्देशन किया था। वह पैरामाउंट स्टूडियोज़ के मालिक थे।
एक सिनेमा घराने से आने के बाद, देसाई का फिल्म-निर्माण में झुकाव हुआ और उन्हें 1960 में बतौर निर्देशक छलिया के साथ पहला ब्रेक मिला। देसाई का सिनेमा करियर तीन दशकों तक फैला रहा, जिसमें उन्होंने लगभग बीस फिल्में कीं और तकरीबन सभी सफल रहीं।
मनमोहन देसाई की 84वीं जयंती पर उनकी बनाई कुछ फिल्मों के बारे में
छलिया 1960 की भारतीय भाषा की मनमोहन देसाई द्वारा निर्देशित पहली फ़िल्म थी। इसमें राज कपूर, नूतन, प्राण, रहमान और शोभना समर्थ शामिल थे। इस फिल्म की कहानी 1848 की शॉर्ट फिल्म 'व्हाइट नाइट्स' पर आधारित थी जो विभाजन के बाद के औरतों और बच्चों में इस मुद्दे पर केंद्रित थी।
इसके बाद साल 1963 में फिल्म ब्लफ मास्टर रिलीज हुई, जिसमें शम्मी कपूर, सायरा बानो, प्राण और ललिता पवार ने अभिनय किया था। इस फिल्म के बाद उन्होंने साल 1966 में बदतमीज़ बनाई जिसमें शम्मी कपूर, साधना और मनोरमा नजर आए थे। फिल्म का संगीत शंकर जयकिशन ने किया था। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी। यह 1966 की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी।
साल 1986 में आई फिल्म देश प्रेमी। ये एक एक्शन फिल्म थी जिसमें हेमा मालिनी, नवीन निश्चल, परवीन बाबी, शम्मी कपूर, उत्तम कुमार, परीक्षित साहनी, प्रेमनाथ, सहित अमिताभ बच्चन, शर्मिला टैगोर और अमजद खान नजर आए थे। शम्मी कपूर के साथ उन्होंने ये तीन फिल्में की थीं और तीनों ही सुपर-डुपर हिट रही थीं। इसके बाद शम्मी और उनका रिश्ता डायरेक्टर और एक्टर तक सीमित न रहकर समधि के रिश्ते में बदल गया था। जी हाँ, मनजी ने अपने बेटे केतन की शादी शम्मी कपूर की बेटी कंचन के साथ तय कर दी थी।
मनजी के फिल्मी करियर पर फिर लौटते हैं..
ब्लफ मास्टर, बदतमीज़ और किस्मत के बाद देसाई ने सच्चा झूठा, भाई हो तो ऐसा, आ गले लग जा, रोटी जैसी बेहतरीन फिल्में दी थी जिन्होंने नाम और पैसा दोनों बेहिसाब कमाए थे।
इसके बाद साल 1977 में देसाई ने अमिताभ बच्चन के साथ अपनी पहली फिल्म परवरिश की। जिसके बाद साल 1977 से 1989 तक उन्होंने बिग बी के साथ लगातार 8 ब्लॉकबस्टर फिल्में कीं जिनमें अमर अकबर एंथोनी, सुहाग, नसीब, देश प्रेमी, कुली, मर्द, गंगा जमुना सरस्वती और तूफान शामिल थीं। इनमें तूफान को छोड़कर हर फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर नोटों का अंबार लगा दिया था। मनमोहन देसाई की वजह से अमिताभ बच्चन का कद आसमान छूने लगा था।
इस बीच उन्होंने साल 1977 में धर्मेंद्र के साथ भी दो फिल्में धरम-वीर और चाचा भतीजा की थी।
मनमोहन देसाई वो फिल्ममेकर थे जो आउट ऑफ द बॉक्स सोचना जानते थे। कहानी को एक ट्विस्ट से शुरु करके उसमें बीस साल का गैप देकर फिर अंत में सारे किरदारों को मिलाने का उसका फॉर्मूला तकरीबन उनकी हर फिल्म में होता था और तकरीबन हर फिल्म दर्शकों को पसंद भी आती थी। वो पहले फिल्ममेकर थे जो खुले शब्दों में कहते थे कि मेरी फिल्में देखनी हैं तो दिमाग घर पर छोड़कर आइए और फिर पूरे परिवार संग इन्जॉय कीजिए।
मनजी को मायापुरी ग्रुप की तरफ से उनकी 84वीं जयंती पर शत-शत नमस्कार। आप जैसा न दूसरा कोई था, न कोई कभी हो सकेगा।