फिल्मों में पहले की देशभक्ति और आज की देशभक्ति में बहुत फ़र्क़ आ गया है, पहले हम पडोसी देशो से जंग या आज़ादी से पहले के शहीदों को फिल्म का हीरो बनाते थे लेकिन आज वही चीज़े बदल गयी है आज हम अपनी छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए आपसे जंग कर रहे है चाहे वो सफाई अभियान हो, टॉयलेट हो या फिर सामाजिक ज़रूरतों की जंग। आज भी हम देश को आगे लाने के लिए फिल्मों का निर्माण तो कर रहे है लेकिन उसका असर लोगों पर कितना पड़ता है यह सोचने की बात है यह कहना था कोहराम, तिरंगा, क्रांतिवीर जैसी फिल्मो के निर्देशक मेहुल कुमार का जो तीन दिवसीय 11वें ग्लोबल फिल्म फेस्टिवल में उपस्थित हुए और उन्होंने आज की देशभक्ति को लेकर अपने विचार प्रकट किये। इस अवसर पर घाना के राजदूत माइकल ओकाये, नाइजीरिया के राजदूत क्रिस संडे, ब्राजीलियन डिप्लोमैट रोबर्ट लिमा, निर्देशक जयंत गिलाटर, एक्ट्रेस प्रीतम कांगे और निर्देशक पंकज पराशर उपस्थित हुए।
फेस्टिवल की रंगारंग शुरुआत पर संदीप मारवाह ने कहा की यह महोत्सव भारतीय कला और संस्कृति का असली राजदूत बन गया है। यह दुनिया भर से फिल्म प्रतिनिधियों व कला प्रेमियों को अपनी और आकर्षित कर रहा है। फिल्म समारोह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एकीकरण का सबसे अच्छा स्त्रोत है। हम सिनेमा के माध्यम से प्रेम, शांति और एकता को बढ़ावा दे रहे हैं। माइकल ओकाये ने कहा की इंडियन मूवीज मुझे बहुत पसंद है यहाँ के फ़िल्मी गीतों ने हमेशा मुझे प्रभावित किया है। क्रिस संडे ने कहा की इस तरह के फेस्टिवल एक ऊर्जा देते है और यहाँ के छात्रों का काम देखकर मुझे हमेशा ही अच्छा लगता है। प्रीतम कांगे ने कहा की हमने बड़ी मुश्किल से आज़ादी पाई है उस आज़ादी को संभालकर रखना हमारा कर्तव्य बन जाता है आज की देशभक्ति फिल्मों की बात करे तो 'मैरीकॉम' जैसी फिल्मे भी उसी श्रेणी में आती है। पंकज पराशर ने कहा की आज का हमारा विषय आज़ादी की फिल्मों को लेकर है लेकिन आज़ादी सिर्फ महसूस करना नहीं है बल्कि अपने कर्तव्यों का पालन करना भी है, आज में छात्रों से कहना चाहूंगा की वो जो भी काम करे मेहनत और लगन से करे क्योंकि आने वाली पीढ़ी भी उसी का अनुसरण करेंगी।
इस तीन दिवसीय समारोह में पहले दिन शॉर्ट फिल्म विभाजन का तांडव, वाराणसी, मेहुल कुमार की फिल्म 'तिरंगा' की स्क्रीनिंग की गयी साथ ही सुधा एस सामा और ज्योति कालरा की पेंटिंग प्रदर्शनी भी लगायी गयी। इस अवसर पर अशोक त्यागी की पुस्तक ABC ऑफ़ फिल्म मेकिंग का विमोचन किया गया और रंगारंग कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। इसमें सबसे खास रहा जब बच्चों ने अपना गेटउप फिल्म स्टार जैसा किया जैसे सलीम अनारकली, अमिताभ बच्चन, राजकपूर और नरगिस, रोमियो जूलिएट और महात्मा गाँधी। फिल्म निर्देशक मेहुल कुमार, घाना के राजदूत माइकल ओकाये, नाइजीरिया के राजदूत क्रिस संडे, ब्राजीलियन डिप्लोमैट रोबर्ट लिमा, निर्देशक जयंत गिलाटर, एक्ट्रेस प्रीतम कांगे और निर्देशक पंकज पराशर।