34 भारतीय महिला फिल्ममेकर्स ने फिल्म फेस्टिवस्ल IFFM 2021में अपनी फिल्मों के जरिए बनाया एक नया रिकॉर्ड By Mayapuri Desk 15 Aug 2021 | एडिट 15 Aug 2021 22:00 IST in फोटो फोटोज़ New Update Follow Us शेयर इस साल की सूचि में, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्मात्री - रीमा दास (पुरस्कार विजेता डॉक्यू की निर्देशिका - शट अप सोना), कान्स विजेता अश्मिता गुहा नियोगी, ऑस्कर की शीर्ष 10 शॉर्टलिस्ट शॉर्ट बिट्टू की निर्देशक करिश्मा देव दूबे जैसे नाम शामिल हैं। मेलबर्न का भारतीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफएम) ऑस्ट्रेलिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा फेस्टिवल है, जो सर्वश्रेष्ठ भारतीय सिनेमा का जश्न मनाता है। यह फेस्टिवल फिल्मों का एक डाइवर्स चयन प्रस्तुत करता है जो भारतीय उपमहाद्वीप से सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्मों को शामिल करता है। एक दिलचस्प बात जिसने फेस्टिवल के शुरू होने का इंतजार कर रहे सभी लोगों का ध्यान खींचा है, वह यह है कि आईएफएफएम इस बार महिला फिल्ममेकर्स की सबसे विविध गूँज के साथ एक रिकॉर्ड बना रहा है। ये वे फिल्में और फिल्ममेकर्स हैं जिन्हें इस साल प्थ्थ्ड के 12वें संस्करण की आधिकारिक प्रोग्रामिंग का हिस्सा बनने के लिए चुना गया है। आईएफएफएम ने हाल ही में अपने प्रोग्रामिंग कार्यक्रम की घोषणा की है और जिन 100 फिल्मों का चयन किया गया है, उनमें से 34 फिल्मों को शक्तिशाली महिला आवाजों के रूप में जाना जाता है। यह उपमहाद्वीप में फैले विषयों के संदर्भ में सबसे विविध और डायनामिक सिलेक्शंस में से एक है, जिसमें भारत की बहुत सारी वॉइसेस शामिल हैं जिसमें हिंदी, तेलुगु, तमिल, मलयालम, बंगाली, असमिया, मराठी और बहुत सारे क्षेत्रीय भाषाएं हैं। न केवल फीचर फिल्मों के फिल्म निर्माता, बल्कि मज़बूत वृत्तचित्रों और शॉर्ट फिल्मों में महिला फिल्ममेकर्स का भी इस वर्ष चयन किया गया है। एक और दिलचस्प क्षेत्र पर फोकस किया जाए तो वो यह है कि जिन फिल्मों को चुना गया है और साथ ही जिन फिल्ममेकर्स ने इन फिल्मों को बनाया है, वे ऐसे विषयों पर हैं जो बिल्कुल अनछुई और बहुत ही निडर हैं। वे जिन विषयों से निपट रहे हैं, उनके संदर्भ में वे बेहद मजबूत और विविध हैं। ऐसी ही एक शॉर्ट फिल्म जिसे प्थ्थ्ड 2021 में स्क्रीनिंग के लिए चुना गया है, वह है ’बिट्टू’। यह 17-मिनट की शॉर्ट फ़िल्म अपनी पुर-मुंहजोरी से प्रश्न करता है कि हम मनुष्य जैसे हैं, वैसे क्यों हैं, और ये फ़िल्म ह्यूमैनिटी में लापरवाही की जाँच पड़ताल करता है। फिल्म फेस्टिवल की ओपनिंग- नाइट गाला में ’बिट्टू’ का प्रदर्शन, ’वूमेन ऑफ माई बिलियन (ॅव्डठ)’ डाक्यूमेंट्री के साथ किया जा रहा है। प्थ्थ्ड की निर्देशिका मितु भौमिक लेंगे कहती हैं, “महिला फिल्म निर्माताओं की इतनी अविश्वसनीय रूप से मज़बूत और गहरी कहानियों को देखकर बहुत अच्छा लगा। वे सामंतवादी, ग़ैरशर्मसार हैं और एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं। मानवाधिकारों के मुद्दों से लेकर लैंगिक भेदभाव और वहां से लेकर भावनात्मक मानवीय कहानियों तक, व्यापक रेंज में सब शामिल है। हम इन फिल्मों को प्रदर्शित करने के लिए बहुत उत्साहित और सम्मानित महसूस कर रहे हैं।“ निर्देशिका करिश्मा दूबे कहती हैं, “यह मेरे लिए बड़े सम्मान की बात है कि ’बिट्टू’ मेलबर्न के भारतीय फिल्म महोत्सव का उद्घाटन करेगी। इस तरह की एक शॉर्ट फिल्म बनाते हुए इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि उसे दर्शक या मंच मिलेगा, इसलिए फिल्म के लिए दुनिया भर में एक प्लेटफार्म खोजने का मतलब मेरे लिए बहुत बडी बात है। मुझे उम्मीद है कि मैं किसी दिन व्यक्तिगत रूप से उत्सव में शामिल हो सकती हूं।“ राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता रीमा दास कहती हैं, “यह जानकर अच्छा लगा कि इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ मेलबर्न में, महिला फिल्म निर्माताओं की, बहुत बड़ी संख्या में फिल्में दिखाई जा रही हैं। मैंने करीब से देखा है कि कैसे मीतू भौमिक, महिला फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहित करने और विविध वॉइसेस रखने में व्यक्तिगत रुचि लेती हैं। वह अपनी टीम के साथ साल दर साल एक सराहनीय काम कर रही है और मेरे लिए फिर से उत्सव में वापस आना हमेशा एक खुशी की बात होती है। मैं अपनी पांचवीं फिल्म, अपने गांव में बना रही हूं। अगर मुझे मौका मिले, तो मैं अपने पूरे जीवन में अपने गांव और उसके आसपास फिल्में बना सकती हूं क्योंकि मैं अपने आस-पास बहुत सारी कहानियां देख सकती हूं। फिर आप कल्पना कीजिए कि इतनी विविधता वाले भारत जैसे देश में समुदायों, संस्कृतियों, भाषाओं आदि में कितनी कहानियां सुनाई जा रही हैं? आज प्रत्येक महिला की स्वतंत्रता, पहचान, नारीवाद, प्रेम आदि पर अलग-अलग दृष्टिकोण होंगे। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम कौन हैं और हम कहाँ से आते हैं। दुनिया भर में पुरुष फिल्म निर्माता, महिला फिल्म निर्माताओं की तुलना में बहुत अधिक हैं। अक्सर कहानियों को पुरुष के नजरिए से ही बताया जाता रहा है लेकिन अब कांन्स, टोरंटो और बर्लिन जैसे शीर्ष अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल्स में महिला फिल्म निर्माताओं और महिला जूरी सदस्यों द्वारा फिल्मों में क्रमिक वृद्धि देखी जा रही है। हो सकता है कि एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने में 10 साल और लगें। लेकिन मैं बहुत खुश हूं कि महिलाओं की आवाज और नजरिए से कहानियों को देखने का गंभीर प्रयास किया जा रहा है।“ शुचि तलाती, जिनकी शॉर्ट फिल्म ’ द डाक्यूमेंट्री’ आईएफएफएम में चुनी गई है, ने कहा, “मैं रोमांचित हूं कि मेरी एक पीरियड पीस इतनी अविश्वसनीय कंपनी में है और भारतीय सिनेमा में महिला आवाजों के उदय का हिस्सा है। मैंने महिलाओं के लिए एक पीरियड पीस बनाया, ताकि हम खुद को देख सकें। इसमें नारी की कामुकता और शरीर को एक महिला और नारीवादी नज़र से स्क्रीन पर दर्शाया गया है, और मैं उन कहानियों को देखने के लिए बेसब्र हुई जा रही हूं, जिन्हें इस फेस्टिवल में महिला फ़िल्म मेकर्स ने अपनी ओर दर्शकों का ध्यान खींचने के लिए चुना है।“ निर्देशिका मानवी चौधरी ने कहा, “इंडियन फिल्म ऑफ मेलबर्न में फ़िल्म ’मम्मा’ का चयन बहुत अप्रत्याशित था और मुझे इस फिल्म को इतने डाइवर्स मंच पर साझा करते हुए बहुत खुशी हो रही है, सच कहूँ तो डिज़एबिलिटीज़ और आजीविका की कहानियों को साझा करने की बहुत आवश्यकता है और इस दृष्टि में मेरी माँ की जीवन यात्रा वास्तव में असाधारण है। हम दोनों अपनी फिल्म को, इस फेस्टिवल का हिस्सा बनते देखकर बहुत खुश हैं। मैंने इस साल फेस्टिवल लाइन अप देखा है और महिलाओं द्वारा महिलाओं की ऐसी अविश्वसनीय कहानियों को देखने के लिए मैं बहुत उत्साहित थी, मैं वास्तव में भारत के विभिन्न हिस्सों की महिलाओं की गरीबी और महिलाओं के अनुभवों के बारे में फिल्में देखने के लिए बहुत तीव्रता से उत्साहित हूं। #34 Indian women filmmakers #film festival IFFM 2021 #IFFM 2021 #set a new record हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article