नवरात्रि के नौ दिन कैसे निकल गए पता ही नहीं चला, बिना शोर शराबे के, बिना आपाधापी के, लेकिन हाँ, पिछले साल से हालात थोड़े बेहतर जरूर थे। बहुत ही स्ट्रिक्ट कोरोना प्रोटोकॉल के साथ, बिना धूमधड़ाके के दुर्गा पूजा सम्पन्न हुई, दूर-दूर से डांडिया फेम गाने बड़ी उदासी से बज तो रहे थे और उनमें डांडिया की मस्ती नहीं थी। गिने चुने पंडालों में दुर्गा देवी की छोटी-छोटी प्रतिमाएं स्थापित की गई जिसे कोविड प्रोटोकॉल और स्थानीय सरकारी नियमों के अनुसार विसर्जित की व्यवस्था की गई। बॉलीवुड के कलाकारों ने भी आखिर पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी बिना जागजमाल वाले दशहरे का स्वागत करते हुए कहा:-
नगाड़े संग ढोल बजते ही दीपिका के पांव थिरक उठते हैं
दीपिका पादुकोण
कोविड पेंडमिक ने सभी उत्सवों पर असर जरूर डाला है जिसके कारण ट्रेडिशनल प्रैक्टिसेस और सोशल गैदरिंग नहीं होने से सोशल मीडिया द्वारा कम्युनिकेशम और भी महत्वपूर्ण हो गया है। लेकिन इसी तनाव को तो भगाना है, अपने अपने तरीके से, हम सबके जीवन से। आज की स्थिति जो है सो है, यू कांट हेल्प इट। बट एक्चुअली यू कैन। मानसिक शांति सर्वोपरि है। उत्सव इसी मन की खुशी को एक्सटेंड करती है। बचपन में यह सब खुशियां गाहे बगाहे हमें मिलती रहती थी। वो निर्मल खुशी, हर त्योहार पर, जरा-जरा सी बात पर, बेधड़क हम बच्चों को घेर लेती थी, उस वक्त हमारी सोच सिर्फ और सिर्फ त्योहार मनाने, आनन्द मनाने को लेकर फोकस्ड रहती थी, किसी और बात की परवाह नहीं, कोई जिम्मेदारी नहीं। मन मयूर बस नाचने लगता था छोटी बड़ी हर खुशी पर। दशहरे पर हम रावण दहन को लेकर उत्साहित रहते थे। बचपन में जो त्योहारों का रस हमने लिया वो रस अनमोल थे। दशहरा को विजयादशमी भी कहते हैं न, जो देवी दुर्गा के महिसासुर पर विजय के कारण मनाया जाता है और श्री राम के रावण पर विजय स्वरुप भी मनाया जाता है। (साउथ में देवी चामुंडेश्वरी की पूजा होती है), मुख्य सन्देश ये कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मुझे याद है, बंगलौर (सिलिकॉन वैली ऑफ इंडिया) की सजावट देखने लोग दूर-दूर से आते थे। दशहरा पर वहां डॉल फेस्टिवल की धूम मचती थी। सिल्क की साड़ियों से सभी स्त्रियां ट्रेडिशनल ढंग से सजती और हम बच्चे भी। विजयादशमी के दिन को वहां बच्चों की एकेडमिक और कला की शिक्षा के लिए शुभ दिन माना जाता है। नवरात्रि और दशहरा को मैं अपनी बहन और मॉम के संग घर सजाती थी, रंगोली उकेरती थी। बहुत मजे करती थी। आज भी मैं त्योहारों का उसी बेसब्री से इंतजार करती हूँ जैसे बचपन में किया करती थी। नगाड़े संग ढोल बजते ही, पाँव थिरक उठते हैं, ये मेरा फेवरेट दशहरा गीत है। आज कोविड पेंडमिक के दौर में यह जरूरी भी है कि हम जीवन की हर खुशी को बाहों में जकड़ ले। हम सब करोड़ों लोग इस पेंडमिक को मात देना चाहते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज की परिस्थिति में मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही जरूरी है जितना जीवन की हर जरूरत। याद रखिये, आप अकेले नहीं है इस क्राइसिस में, हम सब साथ हैं। और सब से बड़ी बात है कि हमारी ’आशा’ बलवती है। दशहरा के इस शुभ अवसर को हम आशा, उत्साह और आनन्द से मनाए। मेरे सारे फैन्स, फ़ॉलोअर्स, शुभचिंतकों को दशहरा की शुभकामनाएं, हैप्पी विजयादशमी।
काजोल का कहना है ‘मन की नकारत्मकता और जजमेंट्स पास करने की फितरत का दहन कर दें दशहरे पर’
काजोल
दुर्गा पूजा और दशहरा की ढेर ढेर शुभकामनाओं के साथ मैं माँ दुर्गा से आने वाले वर्षों में दुनिया के हर इंसान के लिए शांति, आरोग्य और आनंद की कामना करती हूँ। दशहरे पर रावण दहन किया जाता है। बचपन से हम इस दिन को खूब एन्जॉय करते आएँ हैं। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा त्यौहार हम सबको भलाई का रास्ता दिखातें हैं। चलिए हम अपने नकारात्मकता और दूसरों के बारे में जजमेंट्स बनाने के रवैये का दहन करें। पिछले दो सालों से कोरोना पेंडमिक के चलते पहले की तरह ना गणपति फेस्टिवल की धूमधाम मना पाएं ना दुर्गा पूजा। लेकिन यह रेस्ट्रिक्शन हम सबके भलाई के लिए ही तो है। अभी संयम रख लें तो आने वाले दिनों में शायद सारी बाधाएं मिट जाए।
उत्सव मनाने का बहाना ढूँढती है
प्रियंका चोपड़ा जोनस
सब से पहले मेरे चाहने वालों को दशहरा की लख लख बधाई। आज दुनिया जिस मुश्किल स्थिति मे है, हम सब यही आशा करते है कि उन मुश्किलों से निकल जाए। दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत मनाने वाला त्योहार है। दुनिया की उन्नति पर जो इविल शक्तियाँ बाधा डालने की कोशिश में लगे हैं उनकी मंशा कभी पूरी नहीं हो सकती। दशहरा के इस पावन अवसर पर सारी बुराईयां जलकर खाक हो जाए। मैं विदेश में हूँ, कोविड पेंडमिक का दौर भी चल रहा है। कहीं आ जा नहीं सकती लेकिन बचपन के दशहरे के दिन याद तो कर सकती हूँ। डैड के ट्रांसफरेबल जॉब होने के कारण हमने भारत के हर शहर का त्योहार देखा और मनाया है। यह त्योहार है जीवन की अच्छाइयों को गले लगाने का और बुराईयों को त्याग देने का। हमारे ये भारतीय त्योहार हमारे कल्चर के प्रतीक है जो सिखाता है परिवार के साथ हर सुख दुख में बंधे रहना। चाहे कितना भी दर्द हो फिर भी जीवन के उत्सव को सेलिब्रेट करना जरूरी है। मैंने एक बॉलीवुड फिल्म की थी, ’द स्काई इज़ पिंक’ उसमें जो सबसे अच्छी बात थी वो यही है कि हर हाल में जीवन का उत्सव मनाना चाहिए, हमनें भी उस फिल्म से प्रेरणा लेकर अपने जीवन के सबसे दर्द भरे पलों (जब मेरे डैड अपने जीवन के अंतिम पलों से जूझ रहे थे) को बार बार ना कुरेदने का फैसला किया था। जीवन एक उत्सव है उसे मनाते रहो। मन को बच्चा बने रहने दो। यही वजह है कि मैं आज जीवन के हर पल को मनाने के बस बहाना ढूंढती रहती हूँ। बचपन में मुझे रावण दहन देखने में बहुत मज़ा आता था। आज भी वही धूम मचाने की इच्छा होती है और मैं अपने मन को ऐसा करने से नहीं रोकती। भले ही महामारी का दुनिया पर कब्जा हो लेकिन मेरे मन पर कोरोना का कब्जा नहीं है। मैं वर्चुएल रावण दहन उत्सव में शामिल होती हूँ। बुराइयों पर विजय पाने की दुआओं के साथ आप सबको हैप्पी दशहरा। मेरा विश्वास है कि हम सबके अंदर अच्छाई और बुराई दोनों है। चलिए, हम अपने अंदर और दूसरों के अंदर अच्छाई को चुन लें। चलिए हम अपनी सोच और वाणी में भी बुराई पर अच्छाई को जीतने दें।
जीवन जीने की कला भी एक उत्सव है, हैपी दशहरा कहती है
आलिया भट्ट
आलिया के लिए तो फेस्टिव सीज़न उसी वक्त से शुरू हो गया था जब वो जोधपुर में रणबीर कपूर के साथ छुट्टियां मनाने गयी थी। झील के किनारे आलिया और रणबीर ने अपनी खुशियों का उत्सव मनाया और जब वापस लौटे तो नवरात्री का त्योहार, दुर्गा पूजा पर्व, इस खूबसूरत जोड़ी का इंतज़ार ही तो कर रहे थे। कोरोना काल से पहले आलिया हर वर्ष नवरात्रि और दुर्गा पूजा फेस्टिवल पर अपने कोस्टार्स और सीनियर्स द्वारा रखी गयी दुर्गा पूजा, नवरात्रि उत्सव में शामिल होती थी, आयन मुखर्जी परिवार के प्रसिद्ध दुर्गाउत्सव में पूरे ट्रेडिशनल साड़ी में पूजा के लिए जाती थी, माँ अम्बे के गरबा उत्सव में भी आलिया ने डांडिया भी खेला था। खूब मौज मस्ती भी की, लेकिन कोरोना पेंडमिक के चलते लॉक डाउन और उत्सव मनाने के सख्त प्रोटोकॉल के चलते आलिया पहले की तरह ना नवरात्रि मना पाई ना दशहरा। लेकिन आलिया कहती है, “उत्सव के भाव मन में होना चाहिए, कोरोना पेंडमिक चल रही है ये हकीकत है और ये सच है कि जीवन जीने की कला भी किसी उत्सव से कम नहीं। परिवार के साथ घर पर रहकर भी हम उत्सव मना सकते है। उत्सव के लिए चाहिए एक ओकेशन, पूरा परिवार, फ्रेंड्स और गुड फ़ूड। इसके साथ आप एन्जॉय कीजिये जीवन के इन खास पलो को। जब पेंडमिक नहीं था तो फिज़िकल रूप से हम हर फेस्टिवल को जॉइन करते थे, अब सब कुछ वर्चुएल हो गया है। ठीक है, वक्त वक्त की बात है। मन में खुशी होना चाहिए। सबके लिए दुआएँ होनी चाहिए। हैप्पी दशहरा मेरे फैन फ़ॉलोअर्स को । (अपने नानाजी के 93 वर्ष के जन्मदिन को भी आलिया ने एक उत्सव के रूप में मनाया था।)
कृति सैनॉन कर रही है दशहरे के स्वागत चम चम, मिल्क केक्स और काजू कतली से
कृति सैनॉन
पेंडमिक काल ने हम सबसे हमारे प्रिय आनन्द के पल ज़रूर चुरा लिए है। वो भी क्या दिन थे, जब नवरात्रि के आगमन के साथ त्योहारों की खुशबू हवा में, फ़िज़ा में हम महसूस कर पाते थे। बारिश के मौसम के बाद, साफ होते आसमान, खिलती धूप, गुनगुनी गुलाबी ठंड, और त्योहारों के मौसम के आने की आहट से मन में अजीब खुशी और रौनक भर जाती थी। नवरात्री पर नौ दिनों की पूजा, बड़ों द्वारा रखे गए उपवास और तरह तरह की मिठाइयों की खुशबू से वातावरण में उत्सव का रंग साफ दिखाई देता था। मैं और मेरी बहन नूपुर दशहरे की धूम और रावण दहन देखने निकल जाते थे, दशहरे के साथ शुरू हो जाता दोस्तों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों से मिलने मिलाने का सिलसिला। मैं जम कर दशहरा की मिठाईयां उड़ाती, मेरा मनपसंद मिठाई है, चमचम, काजू कतरी औऱ मिल्क केक्स। त्योहारों के मौसम में नए फैशन के कपड़ें सिलवाना हम सबका पहला काम था। मुझे गुलाबी रंग बहुत पसंद है। चाहे मॉडर्न कपड़े हो या ट्रेडिशनल, उसमें गुलाबी रंग की छटा बहुत प्यारी लगती है। अब हर त्योहार मुंबई के अपने नए घर में मनाती हूँ। कोविड पेंडमिक के चलते अब कहीं आना जाना नहीं होता है। जो घर पर हैं बस वही साथ होते है। लेकिन मुझे विश्वास है कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा। पहले के दिन वापस आएंगे। फिर से हम सब साथ नवरात्रि, दशहरा मनाएंगे। अभी कुछ समय और सावधानी बरत लें तो शायद कोरोना से निजात मिल जाए। मातारानी की जय, माँ दुर्गा सब पर कृपा करें।
‘आप ही मेरी शक्ति, आप ही मेरा गौरव और आप ही मेरे राम’ कहती है मान्यता दत्त अपने संजय के लिए
मान्यता दत्त
मेरे सारे उत्सव, मेरी सारी खुशियां मेरे घर परिवार को जोड़कर है। मैं मेरे हर उत्सव को संजय को समर्पित करती हूँ। संजय मेरे लिए सब कुछ है, मेरी शक्ति, मेरा उत्सव, मेरी प्रार्थना, मेरा गर्व। यह दशहरा मैं उस शख्स (संजय दत्त) को डेडिकेट कर रही हूँ जो ना सिर्फ मेरे लिए बल्कि और भी बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा बन गए है। जिंदगी ने उनके आगे एक नही, कई विषमताएं और कठिन परिस्थितियों के पहाड़ खड़े किए लेकिन हर बार वो धैर्य, प्रेम तथा ग्रेस के साथ विजयी बनकर उभरे और जब हमें लग रहा था कि अब सब कुछ ठीक हो गया है तभी जिंदगी ने करवट ली और फिर एक बार एक बड़ी चुनौती उनके आगे उछाल दिया। लेकिन संजय ने एक बार फिर साबित कर दिया कि एक सकारात्मक दिमाग, बुरे वक्त को जीत कर खराब से खराब परिस्थिति पर विजय पा सकता है रेसिलिएन्स और करेज के साथ। सचमुच आप जैसा कोई नहीं है संजू। आपने मुझे सिखाया जब आसान जिंदगी कठिन हो जाय तब कठिनाइयां आसान बनने लगती है। आप मेरी शक्ति हो, मेरा गौरव हो , मेरे राम हो, विजयदशमी भवः। सबके लिए शांति, सम्पन्नता, प्रेम, ग्रेस, पॉजिटिविटी की कामना करती हूँ। फिर से खूबसूरत जिंदगी के लिए ईश्वर को बहुत बहुत धन्यवाद।
‘नौ दिन हमारे बीच आशीर्वाद बरसा कर माँ दुर्गा चली विजयदशमी की खुशियाँ लुटाकर’ कहती है ड्रीम गर्ल
हेमा मालिनी
अभिनेत्री से राजनेता बनीं हेमा मालिनी नवरात्रि और दशहरा पर माँ दुर्गा की पूजा अर्चना करती हैं। इस पावन अवसर पर ड्रीम गर्ल हेमा ने बड़ी ही मर्मस्पर्शी बात साझा करते हुए कहा, “शुभ नवरात्रि के नौ दिन वो होते हैं जब मां दुर्गा 9 दिनों तक हमारे बीच रहती हैं और हर दिन हम सबपर अपना आशीर्वाद बरसाती हैं और उसके पश्चात मां दुर्गा द्वारा महिषासुर (बुराई का प्रतीक) पर विजय पाने के जश्न स्वरूप आनन्द उल्लास उत्सव विजया दशमी के साथ यह उत्सव समाप्त होती हैं। ये पवित्र दिन हम सभी को लाभान्वित करें, सभी के लिए शांति और खुशियाँ लाएँ। हैप्पी नवरात्रि।“