भारत में सबसे तेजी से बढ़ रही मल्टीप्लेक्स सीरीज में से एक कार्निवल सिनेमाज के नेतृत्व में डॉ. श्रीकांत भासी ने राजधानी दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में अपनी प्रतिष्ठित और हेरिटेज फलैगशिप प्रॉपर्टी ओडियन कार्निवल सिनेमाज को फिर से शुरू कर दिया। मुख्य अतिथि दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, जिनके पास शिक्षा, वित्त, योजना, पर्यटन, भूमि और भवन, सेवाएं, महिला एवं बाल, कला, संस्कृति और भाषा पोर्टफोलियो भी शामिल हैं, के साथ कार्निवल सिनेमाज ऑपरेशन विंग के उपाध्यक्ष कुणाल साहनी ने नए स्वरूप में इस थियेटर का उद्घाटन किया।
दो स्क्रीन वाले ओडियन कार्निवल सिनेमाज में 592 सीटों की व्यवस्था है। स्क्रीन 1 में 284, जबकि स्क्रीन 2 में 308 सीटें हैं। इस अत्याधुनिक सुविधाओं वाले ओडियन कार्निवल सिनेमाज को बेहतरीन इंटीरियर, डॉल्बी एटमोस ससाउंड, हाईडेफिनेशन 3डी स्क्रीन, चमड़े के आलीशान सोफे (स्क्रीन स्क्रीन 1 में 32 और स्क्रीन 2 में 28), एफ एंड बी की विशाल सीरीज के साथ नवीनीकृत एवं परिष्कृत किया गया है। इसके अलावा दर्शकों की सुविधा के लिए सर्वोत्तम श्रेणी की गोरमेट व्यंजन की सेवाएं भी शामिल हैं।
इस 80 साल पुराने इस थिएटर को दिल्ली में मल्टीप्लेक्स में बढ़ते ट्रेंड के रूप में 2009 में मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल में परिवर्तित किया गया था। यह कनॉट प्लेस के केंद्र में स्थित है और कई बेहतरीन रेस्तरां और फूड आउटलेट के करीब होना भी इसे खास बनाता है। तभी तो 1970 के दशक से आज तक यह मूवी थियेटर लोगों का पसंदीदा डेसिटनेशन बना हुआ है। हालांकि, मूल थियेटर में केवल एक सिंगल स्क्रीन हॉल था, जिसे 1939 में खोला गया था, जिसे बाद में बिग सिनेमाज (अब अधिग्रहण के बाद ओडियन कार्निवल सिनेमाज) द्वारा दो-स्क्रीन मल्टीप्लेक्स में परिवर्तित कर दिया गया था, जिसके नीकरण में 3 साल लग गए । यानी, यह तीसरा मेगा बदलाव है, जिसे पहली बार 1960 के दशक में पुनर्निर्मित किया गया था।
कार्निवल ग्रुप के चेयरमैन और संस्थापक डॉ. श्रीकांत भासी ने कहा, ‘हम जानते हैं कि हमारे ग्राहक ओडियन कार्निवल सिनेमाज में अपनी पसंदीदा फिल्मों को कितना मिस कर रहे थे। हालांकि, सिनेमा में बदलाव को देखना अविश्वसनीय रहा है, और हम दिल्ली में हमारे मेहमानों के साथ नए सिनेमा और चमड़े की सोफा सीटें दिखाने के लिए बेहद उत्साहित हैं।’ उन्होंने कहा कि कार्निवल सिनेमाज का लक्ष्य सिर्फ दिल्ली एनसीआर बल्कि पूरे देश और उससे बाहर के सभी फिल्म प्रेमियों के लिए सुलभ बनाकर फिल्म देखने का अनुभव लोकतांत्रिक बनाना है।