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फिल्म ‘छिपकली’ का गाना मेरे लिए चुनौतीपूर्ण रहा- देबांजली बी जोशी

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By Mayapuri Desk
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फिल्म ‘छिपकली’ का गाना मेरे लिए चुनौतीपूर्ण रहा- देबांजली बी जोशी

पिछले कुछ समय से सिनेमा में कई नई प्रतिभाएं आ रही हैं और तमाम तरह के अवरोधों के बावजूद वह अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं! ऐसी ही प्रतिभाओं में से एक हैं-गायिका देबांजली बी जोशी.मूलत  कोलकाता निवासी देबांजली जोशी पिछले पांच वर्ष से बॉलीवुड में संघर्ष कर रही है। इस बीच उन्होने हिंदी के अलावा गुजराती,बंगला,मराठी व तेगलू फिल्मों के अलावा कुछ सिंगल गाने भी गाए। इन दिनों वह संगीतकार व निर्माता मीमो की फिल्म ‘छिपकली’ में रैप युक्त प्रमोशनल गीत को लेकर काफी उत्साहित हैं।

प्रस्तुत है देबांजली बी जोषी से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंष...

अपनी अब तक की संगीत यात्रा को लेकर क्या कहना चाहेंगी?

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मैं मूलत बंगाली हूँ! कोलकाता में ही पली बढ़ी हूँ! मेरे पापा पष्चिम बंगाल में सरकारी अधिकारी रहे हैं। मां तो गृहिणी हैं, मम्मी बच्चों को ट्यशन पढ़ाती थी। वह अभी भी एक एनजीओ में पढ़ाने जाती हैं। मैं बचपन से ही संगीत सीखती रही हॅूं। मैने षास्त्रीय संगीत की विधिवत षिक्षा ली है। संगीत विषारद में मैने डिप्लोमा हासिल किया है। वैसे भी बंगाल में लोग पेंटिंग,संगीत,नृत्य सहित कोई न कोई कला के फार्म को सीखते ही हैं। तो मैं संगीत सीखती थी! जब मैं ग्यारहवीं में पढ़ रही थी, तब मेरे मन में संगीत को ही कैरियर बनाने का ख्याल आया! लेकिन मेरे घर पर संगीत का कोई माहौल नही था। घर में अच्छा संगीत सुना जरुर जाता था। हमारे यहां सभी उच्च षिक्षित हैं। मैं खुद भी पढ़ने में काफी तेज थी। मैने बीटेक की पढ़ाई पूरी की। इंजीनियर बनने के बाद मैने साफ्ट वेअर इंजीनियर के रूप में ‘सीटीएस’ कंपनी में नौकरी करनी षुरू कर दी थी। पर डेढ़ वर्ष बाद मेरे मन में ख्याल आया कि मुझे एक बार मंुबई जाकर देखना चाहिए कि मेरे अंदर गायन क्षमता है या नही। मंुबई आने के बाद मुझे अहसास हुआ कि बॉलीवुड में संघर्ष काफी है। यदि आप बॉलीवुड में काम करने वाले किसी इंसान को नही जानते हैं, तब तो संघर्ष ज्यादा बढ़ जाता है। और बॉलीवुड में मैं किसी को जानती ही नहीं थी। यहां पर मेरा कोई दोस्त या रिष्तेदार नहीं था। मैने मंुबई आकर सबसे पहले साफ्टवेअर इंजीनियर के रूप मे नौकरी की और संगीत जगत से जुड़ने के लिए संघर्ष करना षुरू कर दिया। पूरे दो वर्ष के संघर्ष के बाद मुझे राह मिली। फिर मुझे अहसास हुआ कि संगीत जगत में एक मुकाम हासिल करने के लिए मुझे पूरी तरह से संगीत में ही घुसना होगा, तब मैने नौकरी छोड़ दी। यह मेरे लिए रिस्क ही था। पर नौकरी छोड़ने के छह माह बाद मुझे पहला गाना गाने का अवसर मिला। यह मषहूर गायक षान के साथ ड्युएट सांग ‘‘यारा तुझे..’’ था.यह गैर फिल्मी सिंगल गाना था। इसे काफी सराहना मिली। इस गाने में सुर व मेलोडी तीन पुरानी फिल्मों का मिश्रित आधुनिक वर्जन था। जबकि गीत की लाइन अलग थीं। यह गाना आज भी यूट्यूब पर मौजूद है। फिर मैने कई एड फिल्मो के जिंगल गाए। बड़े संगीतकार जल्दी नए गायकों को अवसर नही देते हैं। इसके अलावा किसी से मेरा कोई संपर्क सूत्र नहीं था। तीन चार वर्ष तो लोगों से संपर्क करने,नेटवर्किंग करने में ही चले गए।

पहली बार किस फिल्म के लिए पाष्र्वगायन किया?

करीबन ढाई तीन वर्ष पहले मैने संगीतकार मीमो के साथ एक बंगला फिल्म ‘अलीनगरर गोलोकधाड़ा’ में मैने ‘शोहोर उपाधि.’ नामक गाना गाया था। यह फिल्म ईरोज नाउ पर प्रदर्षित हुई थी। उस वक्त मीमो ने मेरे कुछ गाने सुनकर मुझसे फेषबुक के माध्यम से संपर्क किया था। दो वर्ष पहले मैने टीसीरीज की ंिहदी व तेलगू फिल्म ‘अमावस’ आयी थी। इस फिल्म में मंैने तेलगू भाषा में गाना गाया था। इसके संगीतकार अंकित तिवारी थे। हिंदी भाषा में इसी गीत को सुनिधि चैहाण ने गाया था। उसके बाद मेरे कई सिंगल गाने आए। हाल ही में ‘सारेगामा’से मेरा गाना ‘यशोमती मैया’आया है। लाॅक डाउन के दौरान ‘टाइम्स म्यूजिक’ से मेरा एक गाना रिलीज हुआ था।

इसके अलावा बंगाल में ‘एसवीएफ’ नामक बड़ी संगीत व प्रोडक्षन कंपनी है। इस कंपनी से मेरा एक बड़ा सिंगल गाना ‘दुग्गा’ आया था। इसे मैने व आकृति कक्कड़ ने एक साथ गाया था। यह बहुत लोकप्रिय गाना रहा। मैने दूरदर्षन के सीरियल ‘लागा चुनरी में दाग’, लाइफ ओके के सीरियल ‘महादेव’, ‘कलर्स’टीवी के सीरियल ‘छोटी सरदारिनी’ सहित कई टीवी सीरियलों के लिए गाने गाए।

अच्छी शिक्षा हासिल करने के बाद अच्छी नौकरी कर रही थी.ऐसे में नौकरी छोड़ कर संगीत को कैरियर बनाने का निर्णय?

जैसा कि मैने कहा कि मुझे ग्यारहवीं में ही अहसास हो गया था कि जब मैं गाना गाती हॅूं, तो मुझे ज्यादा खुषी मिलती है। दूसरी बात मुझे बचपन से ही अहसास हो गया था कि गायिका बनने के लिए आपको ईष्वर प्रदत्त वाॅयस टेक्स्चर चाहिए और वह ईष्वर प्रदत्त टेक्स्चर मेरे पास है। तो मुझे संगीत की षिक्षा लेकर उसे और निखारने की जरुरत थी। मैने वही किया। मैं जब लता मंगेष्कर जी,आषा भोसले जी,कविता पोड़वाल, अलका याज्ञनिक के गाने सुनती थी,तो मुझे अहसास होता था कि मेरे अंदर भी यह गुण है। इसमें मुझे ख्ुाष भी मिलती है। मेरे घर में इस क्षेत्र में कोई था नहीं, इसलिए संगीत से जुड़ने की बजाय पढ़ाई पर ध्यान दिया। लेकिन एक वर्ष की नौकरी करने के बाद मुझे अहसास हुआ कि अच्छी नौकरी है, अच्छे पैसे हैं। मगर मैं अगले चालिस वर्ष इस नौकरी में खुष नही रह सकती। मेरी खुषी तो संगीत में ही है। इसलिए मैने सोचा कि संगीत के क्षेत्र में प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा मैं अपनी प्रतिभा के बल पर शोहरत पाना चाहती थी। मैने संगीत के क्षेत्र में षिक्षा ले रखी थी। मंुबई आने के बाद मैने संगीत का रियाज भी षुरू कर दिया था। इसके अलावा ‘त्रिनिटी स्कूल आफ लंदन’ संगीत का स्कूल है, उसकी मैने परीक्षाएं दी.वेस्टर्न संगीत की भी मैने षिक्षा ली।

किस तरह का संघर्ष रहा?

संघर्ष तो सभी को करना पड़ता है। यहां कोई सिस्टम नही है। यहां तो टीवी रियालिटी शो के विजेता के लिए भी काम मिलने की गारंटी नही है। यहां हर इंसान को अपने रास्ते खुद ही ढूढ़ने पड़ते हैं। अभिनय के लिए तो कलाकार के ओडिशन लिए जाते हैं। पर गायन या संगीत के क्षेत्र में ऐसा कुछ नही है। यहां हमें अलग अलग स्टूडियो में जाकर अलग अलग संगीतकारों से मिलकर अपनी प्रतिभा के बारे में बात करनी पड़ती है।

फिल्म ‘छिपकली’ का गाना मेरे लिए चुनौतीपूर्ण रहा- देबांजली बी जोशी

किस तरह के गाने गाना आपको ज्यादा पसंद हैं?

मैने हर तरह के गाने गा लिए हैं। हर जोनर के गाने गाए हैं। मेरे कुछ गाने अभी तक बाजार में नही आए हैं। मीमो की हिंदी फिल्म “छिपकली” के लिए मैने जो गाना गाया है, उसमें अस्सी प्रतिषत रैप है। रैपर के तौर पर मैने पहली बार यह गाना गाया है। बीस प्रतिषत गायकी है। मैने रोमांटिक व डांस नंबर काफी गाए हैं। क्लासिकल व सेमी क्लासिकल भी गाए हैं। मैं हर तरह का संगीत सुनती रहती हॅू।

फिल्मछिपकलीके गाने के बारे मे विस्तार से बताएं?

इसका गीत शोमू मजुमदार ने लिखे हैं। संगीतकार मीमो हैं। पर यह रैप है,जो कि मेरे लिए चुनौतीपूर्ण रहा.गीत गाना ज्यादा आसान है.पर रैप करना आसान नही है। इसके लिए मुझे चार पांच दिन प्रैक्टिस करनी पड़ी। रैपर के रूप में अटैकिंग रूप में जल्दी जल्दी वह शब्द बोलने पड़ते हैं। इस गाने में कुछ उर्दू व कुछ हिंदी के शब्द हैं।

यह गाना फिल्म में किस सिच्युएषन पर आता है?

यह प्रमोशनल सांग है! एडिट कर कुछ पंक्तियां बीच में आएंगी,पर पूरा गाना सबसे अंत में आएगा।

संगीत जगत में जो बदलाव रहे हैं,उन्हें किस तरह से देखती हैं?

संगीत के क्षेत्र में काफी कुछ बदलाव आ गया है और यह बदलाव कितना सही व कितना गलत है, यह कहना मुष्किल है। लेकिन मैंने देखा कि हर इंसान किसी भी गाने को सुनने से पहले यह देखता है कि उसे कितने व्यूज मिले हैं? इससे कई बार लोग अच्छे गाने सुनने से वंचित रह जाते हैं। मैने सुना है कि कुछ लोग अपने गाने को रिलीज करते ही कुछ तरीके अपनाकर उसे व्यूज बढ़वाते हैं। मेरा लोगों से कहना है कि वह व्यूज देखकर गाना सुनने का निर्णय न लें बल्कि गाना सुनकर निर्णय ले कि वह गाना अच्छा है या खराब.और अच्छे गाने को षेयर करें। किसी गाने को बिना सुने कोई राय नही बनानी चाहिए। मगर यह भी सच है कि सोषल मीडिया की वजह से कुछ प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है। दूसरी बात यहां कई बार मेरे द्वारा स्वरबद्ध गीत को बाद में किसी अन्य की आवाज में डब भी कराया गया। जबकि संगीतकार की इच्छा नहीं थी, मगर संगीत कंपनी के दबाव में ऐसा हुआ। संगीत कंपनियां अपने पसंदीदा गायकों को मौका देने के लिए ऐसा करती हैं। इसके अलावा अब कई संगीतकार व संगीत कंपनियां गायक के सोषल मीडिया पर फालोवर्स की संख्या के आधार पर उस गाने का मौका देती हैं, मेरी राय में इससे कई प्रतिभाएं काम पाने से वंचित रह जाती हैं।

किन संगीतकारों के साथ काम करना चाहती हैं?

मैं तो हर संगीतकार के साथ काम करना चाहती हॅूं। प्रीतम दा विषाल षेखर, ए आर रहमान,षंकर महादेवन,मीमो,सचिन जिगर आदि के साथ गाना चाहती हॅूं। मैं अंग्रेजी भाषा में भी गाती हॅूं। मैने हिंदी,गुजराती ,बंगाली,तेलगू में गाया है। गुजराती गाने के लिए मुझे पुरस्कार भी मिला।

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