इन दिनों भारतीय युवा आबादी का एक बड़ा हिस्सा किसी न किसी तरह के नशे का आदी है। कुछ लोग गलत संगत में पड़कर इस तरह ड्ग्स या अफीम या अन्य मादक पदार्थों का सेवन करने लगते हैं और फिर चाहकर भी वह इससे खुद को दूर नही कर पाते हैं। ऐसे लोग अपनी नषे की आदत से छुटकारा पाने के लिए 'नशा पुनर्वसन केंद्र' की षरण जाते हैं। ऐसे ही नशा पुर्नवसन केंद्र के काले पक्ष को उजागर करने वाली फिल्म “एक नशेबाज” का निर्माण हो रहा है। निर्देशक गेब्रियल वत्स और लेखक सीमा सैनी की फिल्म “एक नशेबाज” के दो गानों का फिल्मांकन हाल ही में मुंबई में संपन्न हुआ।
फिल्म “एक नशेबाज” में इस बात का चित्रण है कि किस तरह एक युवा व्यक्ति का जीवन नशे की लत के कारण खराब हो जाता है। यह एक महत्वपूर्ण और ग्राउंड ब्रेकिंग फिल्म है। जिसमें गोविंद नामदेव, पंकज झा, सुशांत शेलार, जस्टिन रूफस, ध्रुव देशवाल, विजय विक्रम सिंह और अलका अमीन के साथ गेब्रियल वत्स और गीतांजलि शर्मा मुख्य भूमिका में हैं।
‘स्निपर एंटरटेनमेंट एलएलपी’ के बैनर तले “एक नशेबाज” का निर्माण नीरज शर्मा द्वारा किया गया है,जो राजीव देशवाल, गेब्रियल वत्स द्वारा सह-निर्मित है। सीमा सैनी ने पटकथा और संवाद भी लिखे हैं। संगीतकार सुंजॉय बोस और सीमा सैनी हैं। गीतकार ओजिल दलाल, सीमा सैनी और विकास चैहान, एडीटर संतोष सोनवणे व नृत्य निर्देषक राजू बालन है।
अक्टूबर 2021 में सिनेमाघरो में दस्तक देने वाली फिल्म “एक नशेबाज एक संगीत प्रधान ड्रामा फिल्म है। फिल्म नूरी, रजनीश और ड्रग रिहैब सेंटर के इर्द-गिर्द घूमती है। एक छिपी हुई किताब के पन्ने तब खुलते हैं जब मनोचिकित्सक नूरी एक ड्रग रिहैब सेंटर के दरवाजे पर कदम रखती है, जहाँ उसे पता चलता है कि रजनीश का जीवन उन अंधेरी दीवारों में सांस ले रहा है जो नूरी के जीवन का मकसद बन जाता है। नूरी रजनीश को पुनर्वसन केंद्र से मुक्त करने का संघर्ष जीत लेती है, लेकिन उसके दिमाग से पुनर्वसन की काली यादों को दूर करने में विफल रहती है।
फिल्म “एक नशेबाज” के निर्देषक गेब्रियल वत्स की यह पहली फिल्म नही है। वह इससे पहले पुरुष गर्भावस्था पर आधारित अपनी फिल्म “आई एम मिस्टर मदर” का निर्माण कर चुके है। गेब्रियल का मानना है कि एक ऐसे मामले को उठाना महत्वपूर्ण है जिस पर शायद ही कभी चर्चा की जाती है। फिल्म ‘आई एम मिस्टर मदर’ को बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के अलावा किसी और से सराहना नहीं मिली थी।