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प्रशंसकों की भारी संख्या के बीच एक भव्य कार्यक्रम में गुलशन कुमार फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (जीकेएफटीआईआई) का तीसरा सत्र खोला गया। पूरे संकाय और कर्मचारियों ने नोएडा फिल्म सिटी स्थित लक्ष्मी स्टूडियो (टी-सीरीज) में इसका औपचारिक उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया, जिसमें सफलता की कहानी गढ़ने की रणनीति तय की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि फिल्म कलाकार गुलशन ग्रोवर थे, जबकि इस अवसर पर जीकेएफटीआईआई की निदेशक सुदेश कुमारी के अलावा संस्थान के अन्य निदेशकों- तुलसी कुमार, खुशाली कुमार और हितेश रल्हान भी मौजूद थे।
इस अवसर पर तुलसी कुमार ने बताया कि वह जीकेएफटीआई के रूप में अपने पिता के सपनों को आगे ले जाने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि गुलशन कुमार ने हमेशा लोगों के साथ अपनी सफलता साझा की। फिल्म उद्योग में उस दौर में प्रचलित कथित शोषण के कारण प्रवेश बहुत मुश्किल माना जाता था। लेकिन, एक मिशन के साथ एक बेहतर फिल्म स्कूल लोगों को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद कर सकता है और नए उम्मीदवारों को सफलता का हाईवे दिखा सकता है। उन्होंने इस छोटी अवधि में उत्कृष्टता के इस स्तर पर जीकेएफटीआई को बढ़ाने के लिए पूरे शिक्षण संकाय और कर्मचारियों की प्रशंसा की।
जबकि, प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय सेलिब्रिटी फैशन डिजाइनर खुशली कुमार इंटरनेशनल क्षेत्र में हासिल अपनी शानदार सफलता के बावजूद बेहद विनम्र और नम्र नजर आईं। शकीरा, लीन रिम्स, अशांति, मेलानी बी, कारमेन इलेक्ट्रा, जेना दीवान ताटम और जस्टिन बीबर जैसे हॉलीवुड सितारों के प्रमुख कार्यक्रमों में अपने शानदार डिजाइनों से लोगों को मुग्ध करने वाली खुशाली ने कहा कि छात्र जब अपने व्यक्तित्व में महत्वपूर्ण चारित्रिक लक्षणों को आत्मसात कर उसके हिसाब से अपना मार्ग चयन करते हैं, तो सफलता तय हो जाती है। उन्होंने छात्रों से अपने जीवन में माता-पिता का सम्मान करने पर जोर दिया।
छात्रों को गुलशन ग्रोवर ने भी संबोधित किया। दिल्ली के नामी श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से परास्नातक गुलशन ग्रोवर ने छात्रों को याद दिलाया, ‘जब चलना मुश्किल हो जाता है, तभी मुश्किल मंजिल बन पाती है’। उन्होंने छात्रों के कक्षा में जागरूक रहने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बार-बार छात्रों को चेताया कि कक्षा में पढ़ाई पर ध्यान दें, न कि भविष्य की चिंता करें। अपने संघर्ष के दिनों से साझा करते हुए उन्होंने अच्छी भूमिकाएं देने के लिए निर्माता-निर्देशकों का आभार भी जताया। उन्होंने जीकेएफटीआई जैसे संस्थान की प्रशंसा करते हुए कहा कि जीकेएफटीआई पैसा बनाने का केंद्र नहीं है, बल्कि यह वह संस्थान है, जो विरासत को किंवदंतियों से भी आगे ले जाने का भगीरथ प्रयास कर रहा है।
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