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फ़ेमपावरमेंट फाउंडेशन द्वारा रेप के झूठे मामलों में फंसाए जाने वाले पीड़ितों पर बनी डॉक्यूमेंट्री 'इंडियाज़ सन्स' का हुआ स्पेशल स्क्रीनिंग

फ़ेमपावरमेंट फाउंडेशन द्वारा रेप के झूठे मामलों में फंसाए जाने वाले पीड़ितों पर बनी डॉक्यूमेंट्री 'इंडियाज़ सन्स' का हुआ स्पेशल स्क्रीनिंग
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दीपिका नारायण भारद्वाज और नीरज कुमार द्वारा निर्देशित डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म 'इंडियाज़ सन्स' की स्पेशल स्क्रीनिंग हाल ही में मुम्बई के बांद्रा स्थित सेंट एंड्रयूज ऑडिटोरियम में संपन्न हुई। उल्लेखनीय है कि 'इंडियाज़ सन्स' कोई आम डॉक्यूमेंट्री फिल्म नहीं है, बल्कि इसमें एक ऐसे मसले को उठाया गया है जिसकी तरफ कोई ध्यान देना पसंद नहीं करता है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे बलात्कार से जुड़े कानून का बेजा इस्तेमाल कर शादीशुदा मर्दों को फंसाया जाता है।  ऐसे लोग जो सालों सलाखों के पीछे गुज़ारने के बाद निर्दोष करार दिये जाते हैं और बाद में कानूनी रूप से उन्हें रिहा कर दिया जाता है।

इस फ़िल्म का निर्माण शोनी कपूर ने किया है जबकि मुंबई में इस फ़िल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग का आयोजन फ़ेमपावरमेंट फाउंडेशन की संस्थापक किरण श्रीवास्तव की ओर से किया गया था। फ़ेमपावरमेंट फाउंडेशन महिला सशक्तिकरण के लिए काम करनेवाली एक ऐसी संस्था है जो लैंगिक भेदभाव के बग़ैर सभी को समान हक़ और न्याय दिलाने की वकालत करती है।

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इस ख़ास स्क्रीनिंग के मौके पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी.एन.कृष्णा एक विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे। उन्होंने इस डॉक्यूमेंट्री को देखने के बाद कहा, 'यह फिल्म बेहद सटीक ढंग से इस बात को दर्शाती है कि कैसे पैसों की उगाही और बदले की भावना से लोग अपनी निजी हितों को सर्वोपरि रखते हुए क़ानूनों का बेजा इस्तेमाल करते हैं।  यह इसलिए भी हो रहा है क्योंकि पुलिस और न्यायपालिका का नज़रिया भी निष्पक्ष नहीं है। बेकसूरों के साथ ग़लत बर्ताव कर  महिलाओं के लिए न्याय की मांग करना ग़लत है।  मैं बलात्कार से जुड़े कानूनों का दूसरा पहलू सशक्त ढंग से पेश करने के लिए डायरेक्टर दीपिका नारायण भारद्वाज और 'इंडियाज़ सन्स' की पूरी टीम तारीफ करना चाहता हूं और उन्हें बधाई देता हूं। इस मसले पर हमें गंभीरता के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए क्योंकि ऐसे झूठे मामलों से असली पीड़ितों का भी न्याय व्यवस्था से भरोसा उठ जाता है।'

गौरतलब है कि 'इंडियाज़ सन्स' की स्क्रीनिंग खत्म होने के बाद सभी दर्शकों ने खड़े होकर देर तक तालियां बजाईं और फिल्म की खूब सराहना की। फ़ेमपावरमेंट फाउंडेशन की संस्थापक ने इस मौके पर कहा, 'फ़ेमपावरमेंट फाउंडेशन के ज़रिए मैं महिला अधिकारों की लड़ाई लड़ती हूं और महिला अचीवर्स पर गौरवान्वित भी महसूस करती हूं। मगर इसे विसंगति ही कहेंगे कि आज में देश के बेटों व मर्दों के हक की बात कर रही हूं। यह बात भले ही कितनी भी विसंगतिपूर्ण क्यों ना लगे, मगर एक सिक्के का दूसरा पहलू भी होता है। ऐसे समय में जब महिलाएं तेज़ी से सशक्तिकरण की ओर बढ़ रही हैं, ऐसी भी कई महिलाएं हैं जो अपनी ताकत का बेजा इस्तेमाल करने से बाज़ नहीं आती हैं और इसके इसके बारे में बात करना बहुत ज़रूरी है।'

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वे आगे कहती हैं, 'मैं इस बात में यकीन करती हूं कि जैसे-जैसे किसी शख़्स की ताक़त में इज़ाफ़ा होता है, वैसे वैसी उसकी ज़िम्मेदारियां भी बढ़ती जाती हैं। इसे महज़ स्पाइडरमैन द्वारा कही गयी बात मत समझिए, बल्कि इसका एहसास करना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि जल्द ही दुनिया को एक 'स्पाइडर वुमन' की भी ज़रूरत पड़नेवाली है! ऐसे में ज़रूरी है कि हम महिलाओं की बढ़ती शक्ति के साथ-साथ महिलाओं की ज़िम्मेदारियों पर भी गहन तरीके से विचार-विमर्श करें।'

फ़िल्म 'इंडियाज़ सन्स' की डारेक्टर दीपिका नारायण भारद्वाज कहती हैं, 'हम अक्सर सभी बेटियों के हक के लिए तो आवाज़ उठाते ही, लेकिन अब समय आ गया है कि हम अब अपने देश के बेटों को न्याय दिलाने के लिए पहल करें और इस दिशा में अपनी आवाज को बुलंद करें।'

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