बेकार पड़े ई-वेस्ट यानी इलेक्ट्रॉनिक कचरे से हरित कला से जुड़े मनमोहक डिज़ाइन की गईं कृतियों का निर्माण करनेवाले हरिबाबू नटेसन अपने नये शो 'इर्रिवर्सिबल 2.0 - ऑब्सुलूटनेस इज़ मुक्ति' के माध्यम से पर्यावरण के संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। यह अनूठी प्रदर्शनी मुम्बई के कालाघोड़ा स्थित जहांगीर आर्ट गैलरी में 25 से 31 जनवरी, 2022 के बीच देखी जा सकती है।
अगर आप कभी हरिबाबू के किसी प्रशंसक से उनकी कलाकृतियों के बारे में पूछेंगे तो वे इन्हें 'अद्भुत और अद्वितीय' की श्रेणी में रखते हुए इनकी तारीफ़ करेंगे और उन्हें एक महान कलाकार की उपाधि देंगे। हरिबाबू स्क्रैप के हर एक हिस्से में छिपी आत्मा को कुछ इस तरह से कलाकृति में तब्दील कर देते हैं कि उन्हें हरिबाबू के हाथों ख़ूबसूरत ढंग से मुक्ति मिल जाना सुनिश्चित हो जाता है।
25 से 31 जनवरी के बीच जहांगीर आर्ट गैलरी में आयोजित होने जा रही उनकी मौजूदा प्रदर्शनी उनकी पहले की सभी प्रदर्शनियों से एकदम जुदा है। इन कलाकृतियों को जिस तरह का ट्रीटमेंट दिया गया और इन्हें जिस अंदाज़ में रंगा गया है, वो उनकी मौजूदा सभी कलाकृतियों को बेहद अनूठा बनाती हैं।
अपनी प्रदर्शनी की थीम के बारे में बात करते हुए हरिबाबू कहते हैं, 'मेरी नई कलाकृतियों की ख़ासियत है कि ये सभी इंटरएक्टिव किस्म की हैं। जब कोई दर्शक किसी इंस्टॉलेशन के करीब जाकर उन्हें छूने की कोशिश करता है तो इनका शिथिल दिखनेवाला हिस्सा जीवंत हो उठता है और उनमें हलचल देखी जा सकती है। इनमें से कुछ कलाकृतियों में सेंसर लगे हैं जो किसी दर्शक के करीब आने पर उन कलाकृतियों को रौशन कर देते हैं। कुछ कलाकृतियां ऐसे भी हैं जिनमें सीपीयू फ़ैन लगे हुए हैं और व्यक्ति के करीब जाते ही वे घूमने लगते हैं। एक कलाकृति ऐसी भी है जिसमें एक बड़ा सा टेप रिकॉर्डर कैसेट लगा हुआ है। जब कोई दर्शक इस कलाकृति के नज़दीक जाता है तो ऐसे में इसके चक्के घूमने लग जाते हैं।'
इस शो में 10-12 ऐसी कलाकृतियों को शामिल किया गया है, जिन्हें ई-स्क्रैप से निर्मित किया गया है। इसमें मदरबोर्ड, कंप्यूटर सीपीयू के ठंडक प्रदान करनेवाले फ़ैन, सीडी, फ्लॉपी डिस्क, लैपटॉप की-बोर्ड, टेप-रिकॉर्डर कैसेट्स, स्पीकर इत्यदि जैसी चीज़ों का इस्तेमाल किया गया है। सभी कलाकृतियों को बनाने में 6 महीने का समय लगा और हरेक कलाकृति का आकार 6×6 फ़ुट है।
अगर आप हरिबाबू नटेसन से पूछेंगे कि वो अपनी कलाकृतियों के निर्माण के लिए स्क्रैप को कहां से इकट्ठा करते हैं, तो वो रोचक उदाहरणों को पेश करते हुए बताते हैं कि ख़ुद स्क्रैप उन्हें तलाश लेते हैं! उन्हें शायद हरिबाबू के हाथों 'मुक्ति' चाहिए होती है, जो वे अपने आकर्षक हरित डिज़ाइन्स से स्क्रैप को प्रदान करते हैं।
उल्लेखनीय है कि इस शो के लिए प्रत्येक कलाकृति के इंस्टॉलेशन का वजन लगभग 50-60 किलो के करीब है। वे बेकार समझकर फ़ेंक दी गईं चीज़ों को इकट्ठा कर उन्हें अविश्वसनीय रूप से नया रूप देते हैं, जिसे लोगों द्वारा ख़ूब पसंद किया जाता है।
वे कहते हैं, 'मैं भंगारखानों में जाकर स्क्रैप्स इकट्ठा करने की कोशिश नहीं करता हूं। मैं बड़े ही सहज़ ढंग से देखता हूं कि यहां-वहां किसी कोने में स्क्रैप पड़ा है तो उन्हें देखते ही मुझे इस बात का एहसास हो जाता है कि इनसे मैं रोचक किस्म की कलाकृतियों का निर्माण कर सकता हूं। मैं इन्हें कभी सड़क किनारे तो कभी किसी पार्क में पाता हूं। कभी कभार मेरे घर के फ़र्श के कोने में पड़े स्क्रैप पर मेरी नज़र पड़ जाती है और मैं उनसे में भी अपनी कलाकृतियों की कल्पना कर लेता हूं।'
हरिबाबू नटेसन की अद्भुत कलाकृतियों को भारत सरकार की और से सराहा गया है और पुरस्कृत भी किया गया है। हरिबाबू द्वारा प्रस्तुत शो 'इर्रिवर्सिबल 2.0 - ऑब्सुलूटनेस इज़ मुक्ति' को 25 से 31 जनवरी के बीच मुम्बई के काला घोड़ा स्थित जहांगीर आर्ट गैलरी में देखा जा सकता है।