/mayapuri/media/post_banners/bf30c57de26020ab2daff00dcba8ba045d438bc8cd1a854fbcc13873fadde9a4.png)
देश
के
विभिन्न
हिस्सों
होने
वाले
किस्म
-
किस्म
के
फिल्म
समारोहों
में
से
ज्यादातर
बड़े
शहरों
तक
ही
सिमटे
हुए
हैं।
कुछ
समारोह
छोटी
जगहों
पर
हो
भी
रहे
हैं
तो
उनमें
फिल्मी
हस्तियों
की
भागीदारी
नहीं
होती।
दीपक
दुआ
पिछले
छह
बरस
से
हर
साल
दिसंबर
के
महीने
में
यह
फिल्मोत्सव
आयोजित
किया
जाता
है
ऐसे
में
‘
खजुराहो
अंतरराष्ट्रीय
फिल्म
समारोह
’
इस
मायने
में
खास
है
कि
एक
तो
यह
खजुराहो
जैसी
उस
जगह
पर
होता
है
जहां
कोई
थिएटर
,
कोई
ऑडिटोरियम
तक
नहीं
है
और
इस
समारोह
के
लिए
खासतौर
से
‘
टपरा
टॉकीज
’
यानी
टैंट
से
बने
अस्थाई
थिएटर
बनाए
जाते
हैं।
वहीं
इसमें
हर
साल
बड़ी
तादाद
में
हिंदी
फिल्म
इंडस्ट्री
के
नामी
कलाकार
और
निर्देशक
न
सिर्फ
बतौर
मेहमान
बुलाए
जाते
हैं
बल्कि
इस
आयोजन
की
तमाम
गतिविधियों
में
भी
ये
लोग
शिरकत
करते
हैं।
पिछले
छह
बरस
से
हर
साल
दिसंबर
के
महीने
में
यह
फिल्मोत्सव
आयोजित
किया
जाता
है।
बड़े-बड़ों की शिरकत
अभिनेता
-
निर्देशक
राजा
बुंदेला
और
उनकी
अभिनेत्री
पत्नी
सुष्मिता
मुखर्जी
के
प्रयासों
से
होने
वाले
इस
समारोह
में
शेखर
कपूर
,
प्रकाश
झा
,
अनुराग
बसु
,
राहुल
रवैल
,
रमेश
सिप्पी
,
मनमोहन
शैट्टी
,
प्रेम
चोपड़ा
,
रणजीत
,
जैकी
श्रॉफ
,
कमलेश
पांडेय
,
रजा
मुराद
,
गोविंद
नामदेव
,
किरण
कुमार
,
महिमा
चौधरी
,
अखिलेंद्र
मिश्रा
,
गूफी
पेंटल
,
राजेंद्र
गुप्ता
,
संजय
मिश्रा
,
कंवलजीत
,
अनुराधा
पटेल
,
सुशांत
सिंह
जैसी
कई
नामी
फिल्मी
हस्तियां
न
सिर्फ
आ
चुकी
हैं
बल्कि
उन्होंने
यहां
के
युवाओं
से
भी
सिनेमा
और
फिल्ममेकिंग
पर
संवाद
भी
किया
है।
इनके
अलावा
बहुत
सारे
दिग्गज
अभिनेता
,
रंगकर्मी
,
निर्देशक
,
साहित्यकार
,
कहानीकार
,
फिल्म
आलोचक
आदि
भी
यहां
आते
हैं
और
फिल्में
देखने
के
साथ
-
साथ
वे
यहां
विभिन्न
विषयों
पर
होने
वाली
मास्टर
-
क्लास
व
परिचर्चाओं
में
भी
भाग
लेते
हैं।
कोरोना ने भी नहीं रोकी राह
साल
2020
में
कोरोना
महामारी
के
चलते
जहां
हर
आयोजन
रद्द
हो
रहा
था
वहीं
राजा
बुंदेला
और
उनकी
टीम
ने
दुस्साहस
दिखाते
हुए
इसे
इस
साल
भी
पूरी
भव्यता
के
साथ
आयोजित
कर
डाला
जिसमें
अभिनेता
शक्ति
कपूर
,
अभिनेत्री
जरीना
वहाब
समेत
कई
फिल्मी
हस्तियां
लंबी
और
थका
देने
वाली
यात्रा
करके
यहां
पहुंचीं
क्योंकि
खजुराहो
का
एयरपोर्ट
कई
महीने
से
बंद
पड़ा
है।
इस
समारोह
से
इस
साल
पेरू
,
इक्वाडोर
,
अर्जेंटीना
जैसे
देश
भी
जुड़े
और
इन
देशों
के
भारत
स्थित
राजनयिक
दिल्ली
से
ट्रेन
के
जरिए
खजुराहो
पहुंचे।
फिल्में और बहुत कुछ
इस
समारोह
में
स्थानीय
युवाओं
के
लिए
फिल्ममेकिंग
,
स्क्रिप्ट
-
राइटिंग
आदि
की
वर्कशॉप्स
भी
आयोजित
की
जाती
हैं
जिनमें
से
निकले
कई
युवा
अब
उम्दा
काम
कर
रहे
हैं।
खजुराहो
और
आसपास
के
ग्रामीण
इलाकों
में
टैंट
से
बने
‘
टपरा
टॉकीज
’
बनाए
जाते
हैं
जिनमें
कोई
भी
जाकर
बिना
टिकट
,
बिना
रजिस्ट्रेशन
के
दिन
भर
फिल्में
देख
सकता
है।
इस
साल
यहां
10
देशों
की
12
भाषाओं
में
बनीं
करीब
ढाई
सौ
फिल्मों
को
दिखाया
गया।
उद्घाटन
फिल्म
बाबा
आजमी
निर्देशित
‘
मी
रक्सम
’
रही।
जगह
-
जगह
बने
टपरा
टॉकीज
के
अलावा
इस
बार
मोबाइल
वैन
के
जरिए
भी
गांव
-
गांव
में
जाकर
फिल्मों
का
प्रदर्शन
किया
गया
और
सात
दिन
में
दस
मोबाइल
वैनों
ने
सैंकड़ों
गांवों
में
जाकर
छोटी
-
बड़ी
फिल्में
लोगों
तक
पहुंचाईं।
इस
समारोह
की
एक
बड़ी
खासियत
यह
भी
है
कि
दिन
भर
जगह
-
जगह
फिल्मों
के
प्रदर्शन
तो
होते
ही
हैं
लेकिन
उसके
बाद
हर
शाम
यहां
के
शिल्पग्राम
में
एक
ओपन
एयर
थिएटर
में
सांस्कृतिक
कार्यक्रम
भी
आयोजित
किए
जाते
हैं
जिन्हें
देखने
के
लिए
सैंकड़ों
की
तादाद
में
लोग
आते
हैं।
इस
साल
हास्य
-
कलाकार
खयाली
के
कार्यक्रम
को
काफी
पसंद
किया
गया।
वहीं
बुंदेली
रैप
गायकों
के
एक
बैंड
ने
भी
लोगों
को
खूब
लुभाया।
इनके
अलावा
बच्चियों
की
तस्करी
,
किसानों
की
समस्याओं
,
कोरोना
से
सुरक्षा
आदि पर चर्चाओं के अलावा मिंट बुंदेला होटल में एक कला-प्रदर्शनी व शिल्पग्राम में कौशल हाट बाजार भी लगाया गया।
खजुराहो
जैसी
जगह
पर
फिल्म
समारोह
करने
की
वजह
बताते
हुए
राजा
बुंदेला
कहते
हैं
, ‘
हमारा
यह
आयोजन
इसलिए
अलग
है
कि
हम
सिनेमा
के
माध्यम
से
किसान
-
मजदूरों
,
आम
ग्रामीण
महिलाओं
सहित
आखिरी
पायदान
पर
खड़े
आदमी
के
पास
भी
इसे
ले
आए
हैं।
’
देश
-
दुनिया
की
सैंकड़ों
छोटी
-
बड़ी
फिल्में
इस
समारोह
में
शामिल
रहती
हैं।
फिल्मों
के
चयन
के
बारे
में
राजा
बुंदेला
का
कहना
है
कि
हम
आने
वाली
हर
फिल्म
को
सलेक्ट
करते
हैं
ताकि
यहां
के
लोग
हर
किस्म
के
सिनेमा
से
वाकिफ
हों
और
उनमें
सिनेमा
के
प्रति
चेतना
विकसित
हो।
देखे इवेंट से जुडी हुई तस्वीरें :