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'लड़कियों के जुनून ने मुझे बहुत प्रेरित किया'

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By Mayapuri Desk
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'लड़कियों के जुनून ने मुझे बहुत प्रेरित किया'

हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) के साबुन ब्राण्ड लाइफबॉय ने वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ गर्ल गाइड्स एंड गर्ल स्काउट्स (डब्ल्यूएजीजीजीएस) के साथ मिलकर युवा लड़कियों को अपने समुदाय में बदलाव लाने हेतु सशक्त बनाने के लिये एक नई पहल की घोषणा की है। लाइफबॉय के हेल्प ए चाइल्ड रीच 5 की एम्बेसेडर काजोल ने युवा लड़कियों का परिचय दिया, जो हाथ धोने की नायिका बनकर लगभग 4 मिलियन लोगों को हाथ धोने का संदेश देंगी, जिससे बीमारियों की रोकथाम हो सके।

इस भागीदारी का लक्ष्य लड़कियों और स्काउट्स को अपने समुदाय में साबुन से हाथ धोने की आदत डालने के लिये प्रोत्साहित करना है। हाथ धोने की प्रत्येक नायिका को भोजन से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद साबुन से हाथ धोने के महत्व पर प्रशिक्षित किया गया है। उन्हें यह शिक्षा अन्य लोगों को देने के लिये भी तैयार किया गया है। इस प्रकार से समुदायों के बीच साबुन के उपयोग से बीमारी और संक्रमण की रोकथाम होगी। इस भागीदारी के तहत अभी तक लगभग 1200 लड़कियों और स्काउट्स को प्रशिक्षित किया गया है।

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काजोल ने बदलाव लाने वाली लड़कियों पुरस्कृत किया

इस आयोजन के दौरान एचयूएल के मुख्य कार्यकारी एवं प्रबंध निदेशक संजीव मेहता, ग्लोबल स्किन क्लीनजिंग, यूनिलीवर के कार्यकारी वाइस प्रेसिडेन्ट समीर सिंह और लाइफबॉय के हेल्प ए चाइल्ड रीच 5 की एम्बेसेडर काजोल देवगन ने बदलाव लाने वाली इन लड़कियों को पुरस्कृत किया।

केवल भारत में डायरिया और निमोनिया ने वर्ष 2015 में पाँच वर्ष से कम आयु के 296000 से अधिक बच्चों को मृत्यु दी। साबुन से हाथ धोने से ऐसी मृत्यु से बचा जा सकता है। साबुन से हाथ धोना सबसे कम लागत वाले तरीकों में से एक है, जो किसी बच्चे का जीवन बचा सकता है।

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एचयूएल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव मेहता ने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि एचयूएल जैसी कंपनियाँ ‘स्वच्छ भारत अभियान’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। भारत में 90 प्रतिशत से अधिक परिवार एचयूएल के उत्पादों का उपयोग करते हैं। इससे हमें बदलाव लाने का अवसर और जिम्मेदारी मिलती है। हमें विश्वास है कि हम यह कर सकते हैं। हाथ धोने और स्वच्छता के मामले में हमारी विशेषज्ञता और नवोन्मेषी भागीदारी के विकास में हमारा अनुभव ऐसा करने में हमारी सहायता कर सकता है।’’

मध्यप्रदेश के छोटे से गांव से की शुरूआत

ग्लोबल स्किन क्लीनजिंग, यूनिलीवर के कार्यकारी वाइस प्रेसिडेन्ट समीर सिंह ने कहा, ‘‘मैं डब्ल्यूएजीजीजीएस के साथ इस भागीदारी के माध्यम से लाइफबॉय के हेल्प ए चाइल्ड रीच 5 अभियान के अगले चरण में जाने पर गर्वान्वित हूँ। हमारी सबसे बड़ी शिक्षाओं में से एक यह है कि बच्चों में बदलाव लाने की योग्यता होती है। इस भागीदारी के माध्यम से लाइफबॉय युवा लड़कियों की क्षमता को जान रहा है, जिन्हें अपने समुदाय के स्वास्थ्य के लिये सशक्त किया जाएगा। हमने वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव थेसगोरा से शुरूआत की थी, जहाँ डायरिया सबसे अधिक होता है और वहाँ हमें अच्छे परिणाम मिले। हमें उम्मीद है कि डब्ल्यूएजीजीजीएस के साथ यह भागीदारी हमें अधिक समुदायों और परिवारों तक पहुँचाएगी और वह हाथ धोने की इन नायिकाओं के माध्यम से हाथ धोने की आदत अपनाएंगे।’’

publive-image Sanjiv Mehta, Kajol, Samir Singh, Meghana Belavadi

प्रत्येक लड़की में सीखने और बदलाव लाने की क्षमता है

डब्ल्यूएजीजीजीएस की वर्ल्ड बोर्ड चेयरपर्सन एना मारिया मिडेरोस ने कहा, ‘‘वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ गर्ल गाइड्स एंड गर्ल स्काउट्स में हम जानते हैं कि प्रत्येक लड़की में सीखने, नेतृत्व करने और अपने समुदाय तथा विश्व में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता होती है। हमें गर्व है कि लाइफबॉय के साथ हमारी भागीदारी भारत के युवाओं और समुदायों में साबुन से हाथ धोने की आदत को बढ़ावा दे रही है। लाइफबॉय के साथ काम करते हुए गर्ल गाइड्स और स्काउट्स परिवर्तन ला रही हैं, स्वच्छता को बढ़ावा दे रही हैं और जीवन में परिवर्तन कर रही हैं।’’

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लड़कियों के जुनून ने मुझे प्रेरित किया

लाइफबॉय के हेल्प ए चाइल्ड रीच 5 की एम्बेसेडर काजोल देवगन ने कहा, ‘‘एक माँ और एक महिला के तौर पर मैं डब्ल्यूएजीजीजीएस के साथ इस भागीदारी को लेकर सचमुच रोमांचित हूँ। हाथ धोने जैसे मूलभूत स्वच्छता अभ्यास के बारे में लोगों को शिक्षा देकर उनके जीवन में परिवर्तन लाने के इन लड़कियों के जुनून ने मुझे बहुत प्रेरित किया है। हमें सरल रोकथाम वाले स्वास्थ्य और स्वच्छता के मामलों के लिये ऐसी कई युवा नायिकाएं चाहिये।’’

लाइफबॉय द्वारा किये गये एक चिकित्सकीय परीक्षण में मुंबई के 2000 परिवारों ने भाग लिया और पाँच वर्ष की आयु के बच्चों में डायरिया के मामलों में 25 प्रतिशत की कमी आई और तीक्ष्ण श्वसन संक्रमण में 15 प्रतिशत की कमी हुई।

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