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'मस्सकली' संस्था ने मुंबई में आयोजित की हैंडलूम प्रदर्शनी, शबाना आज़मी, भाग्यश्री और शर्मिला ठाकरे ने दिया साथ

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By Mayapuri Desk
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'मस्सकली' संस्था ने मुंबई में आयोजित की हैंडलूम प्रदर्शनी, शबाना आज़मी, भाग्यश्री और शर्मिला ठाकरे ने दिया साथ

भारतीय हैंडलूम उद्योग को पुनर्जीवित करने और पैठणी बुनकर महिलाओं की शिल्पकारी को पुरुजीवित रखने के लिए, श्रद्धा सावंत और उनकी संस्था मस्सकली ने मुंबई में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया. जिसमें ५०० से अधिक हैंडलूम साड़ियों का समावेश था। हैंडलूम प्रेमी और अभिनेत्री शबाना आज़मी और भाग्यश्री इस खास कार्यक्रम में मौजूद थे। शर्मिला ठाकरे, अभिनेत्री इंदिरा कृष्णन, और सोशल मीडिया साड़ी इन्फ्लुएन्सर ममता शर्मा दास उर्फ बोहोबालिका सहित कई अन्य हस्तियाँ भी उपस्थित थी।  उन्हें बुनकरों और उनके परिवारों के साथ घुलमिल कर देखने का एक अलग ही आनंद था।

श्रद्धा सावंत ने अपने दो पैठणी बुनकरों के साथ करघे में पूरे बुनाई की प्रकिया का आयोजन कर यह प्रक्रिया कितनी जटील है इसका एहसास कराया।  पैठणी साड़ियों व्यतरित अन्य कई  हैंडलूम साड़ियों जैसे कि बनारसी, चंदेरी, खादी-जामदानी, इकत, जरी, कांजीवरम, और गढ़वाल का भी इस  प्रदर्शन में समावेश किया गया था. ब्रांड के नाम की व्याख्या करते हुए श्रद्धा सावंत ने कहा,'मस्सकली का अर्थ एक पक्षी है, जो स्वतंत्रता, शांती और समृद्धि का प्रतीक हैं- इस त्यौहार के मौसम में हमारे बुनकर समुदाय के लिए मेरी यही की इच्छा है, की वह भी अपने जीवन में ऐसी ही उड़ान भरें।'

बुनाई समुदाय के लिए स्थिति कितनी कठिन है, इस पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा, “यह बुनकर कलाकार जबरदस्त प्रतिभाशाली हैं, लेकिन बहुत निर्धन हैं, सभी खरीदारों के साथ संपर्क की कमी के वजह से। वे शहरी दर्शकों द्वारा अच्छे खासे मूल्य के लायक हैं, और उनके लिए उपयुक्त रूप से संरक्षण देना जरुरी है ताकि वे बुनाई की सदियों पुरानी पारंपरिक प्रक्रिया को जीवित रखने में सक्षम हो सकें। इसी वजह से मस्सकली ने इस मुहिंम में प्रवेश किया ताकि उनके जीवन में इस जरिये वो अपनी जिंदगी खुशियाली से बिताये ।

परंपरा के विलुप्त होने से पहले बुनाई की कला में नए आर्थिक लहर निर्माण करने की कामना करते हुए, श्रद्धा सावंत ने कहा, “हमारी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए ग्रामीण रोजगार प्रदान करने के लिए हैंडलूम उद्योग एक मुख्य वाहन है। मस्सकली के माध्यम से, मैं उन परंपरावादियों को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही हूं, साथ ही भारत की शानदार सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक बुनाई कला को वापस अपने मुख्य स्थान पर मने का प्रयास हैं । '

श्रद्धा सावंत बुनकरों को  पारंपरिक बुनाई के अलावा अनन्य डिज़ाइनर साड़ी कैसे बनाई जाए इसका प्रशिक्षण भी देती  है। “कम से कम, महीने में एक बार, हम व्यक्तिगत रूप से छोटे गांवों का दौरा करते हैं और बुनकरों के साथ बातचीत करते हैं। हम उन्हें नए डिज़ाइन्स की भी कल्पना  देते हैं। इस कृत्य से वे प्रोत्साहित और प्रेरित महसूस करते हैं, “उन्होंने मुस्कुराकर साझा किया।

“जब हम भारतीय कलाकारों की गरिमा को बनाए रखते हैं, तो हम वास्तव में खुद की मदद करते हैं। हैंडलूम सिर्फ इको-फ्रेंडली नहीं है; यह कार्बन अस्तित्व  को भी कम करता है क्योंकि पुनर्जीवन ग्रामीण प्रवासन को धीमा कर देता है, इसके अलावा हमें सैकड़ों अद्भुत क्षेत्रीय भारतीय बुनाई और तकनीकों के पुनरुत्थान का भी प्रतिनिधित्व करते है। '

प्रख्यात अभिनेत्री शबाना आज़मी हैंडलूम के प्रति प्यार साझा करते हुए कहा, “हैंडलूम के लिए मेरा प्यार मेरे बचपन से उपजा है। मेरी माँ भी भारतीय हैंडलूम साड़ियों की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब मैंने श्याम बेनेगल की फिल्म 'सुस्मान' में एक बुनकर की पत्नी की भूमिका निभाई थी, तो मैंने महसूस किया कि महिलाओं को इस व्यापार में केवल परिधीय स्थिति है। मैं महिला बुनकरों को शामिल करने और उन्हें इस प्रक्रिया में सशक्त बनाने के लिए श्रद्धा सावंत की दिल से सराहना करती हूँ। ”

अगम सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध भाग्यश्री ने एक सारगर्भित रहस्य साझा करते हुए कहा, 'मेरे पास पैठनी साड़ीयो का भंडार है जो मेरी माँ की है, जो मुझे आशा है कि मेरी बेटी पहनेंगी और उनकी  बेटी किसी दिन पहनेंगी, एक बहुत ही सरल कारण के लिए - कि वे बहुत खूबसूरत हैं ! '

उन्होंने एक अहम् बात कही, 'इस तरह की साड़ियों के साथ जो हमेशा के लिए अपनी सुंदरता को बनाए रखती हैं, यह न केवल लोगों के आभूषण हैं, जो हमारे बच्चों को सौंपे सकते हैं, बल्कि ये भी अनमोल रत्न से कम नहीं हैं।' दोनों कलाकारों ने सभी से अपील की वह भी बुनकरों के समर्थन में आगे आएं।

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