जब पहलवानी के लिए बने किसी स्टेडियम को विश्व स्तर के मंच में बदल दिया जाय, जब 300 सदस्यों और 50 ट्रकों का काफिला खास तौर पर बने मुगलकालीन सेट और प्रॉप्स लेकर राजधानी पहुंचे, और जब प्रशिक्षित कथक डांसर्स पूरे देश से डांसर्स को चुन कर एक जगह ला रहे हों तो यह निश्चित रूप से बहुत बड़े जश्न का मौका होता है. और इस जश्न का नाम है 'मुगल-ए-आज़म द म्यूजिकल'।
इस महागाथा का प्रीमियर राजधानी में आज जवाहर लाल नेहरु स्टेडियम में हुआ जहाँ थियेटर की बड़ी हस्तियों के साथ कला, सिनेमा, उद्योग जगत और राजनीती की बड़ी हस्तियाँ मौजूद थीं. प्रशंसित निर्देशक फिरोज अब्बास खान निर्देशित इस संगीतमय प्रस्तुति का निर्माण शापूरजी पालोनजी और नेशनल सेंटर फॉर पर्फोर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) ने मिल कर किया है और मुंबई में चार सफल प्रस्तुतियों के बाद यह प्रस्तुति राजधानी पहुंची है।
'मैं इस सर्वकालिक महान फिल्म को इसकी पूरी भव्यता, खूबसूरती और रंगों के साथ श्रद्धांजलि दे रहा हूँ,' फिरोज अब्बास खान ने कहा।
मुगल-ए-आज़म द आज भी बॉलीवुड की सबसे महँगी फिल्म है और मूल निर्माता शापुरजी पालोनजी ने वही रवैया यहाँ भी अपनाया है. 'हम मुगल-ए-आज़म को एक कलाकृति की तरह देखते हैं चाहे वह मूल फिल्म हो, इसका रंगीन संस्करण हो या फिर ये नाटक हो. मुगल-ए-आज़म को लेकर हमारा विजन हमेशा से रचनात्मकता को विस्तार देने का रहा है चाहे वह कल्पना के तौर पर हो या बजट के तौर पर।'
एनसीपीए के अध्यक्ष ने कहा, 'प्रसिद्ध फिल्म मुगल-ए-आज़म अपने समय की लीजेंड है और अब उसे क्लासिक का दर्जा मिल चुका है. इसकी लोकप्रियता से हमें खयाल आया कि मुगल राजकुमार सलीम और अनारकली की अमर प्रेम कहानी ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंचे।'
भारत का सबसे बड़ा थियेटर प्रोड्क्शन माना जा रहा मुगल-ए-आज़म द म्यूजिकल मनीष मल्होत्रा के डिजाईन किये परिधानों से सजा है. कलाकारों द्वारा 'जब प्यार किया तो डरना क्या` और 'मोहे पनघट पर' लाइव गायन किया गया है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित नृत्य निर्देशक मयूरी उपाध्याय की कोरियोग्राफी से सजी यह प्रस्तुति दिल्ली वालों के दिल जीत लेगी।