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देश में एक के बाद एक फिल्मों के रिलीज को लेकर खूब राजनीति हो रही है। बॉलीवुड की कमर्शियल फिल्मों से लेकर सामाजिक मुद्दों पर बेस्ड फिल्मों के खिलाफ भी विरोधियों ने मोर्चा खोल दिया है। पहले दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म 'पद्मावती' और अब मुजफ्फरनगर दंगों पर बेस्ड फिल्म 'मुजफ्फरनगर: द बर्निग लव' के विरोध में कुछ लोग उतर आए हैं।
दरअसल डायरेक्टर हरीश कुमार ने साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों पर फिल्म 'मुजफ्फरनगर: द बर्निग लव' बनाई है। ये फिल्म इस साल 17 नवंबर को रिलीज हो चुकी है, लेकिन रिलीज से पहले ही उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कुछ असामाजिक तत्व इसका विरोध करने पर उतर आए, जिससे वहां इस फिल्म का प्रदर्शन नहीं हो सका, जबकि फिल्म में वहीं की कहानी कही गई है।
सेंसर बोर्ड ने पास कर दिया है तो फिर विरोध क्यों ?
'मुजफ्फरनगर: द बर्निग लव' के निर्देशक हरीश कुमार कहते हैं कि सांप्रदायिक दंगों के बुरे प्रभाव को उन्होंने अपनी फिल्म में दिखाने की हिम्मत की है। निर्देशक ने सवाल खड़ा किया है कि जब सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को पास कर दिया है, तो फिर इसका विरोध क्यों किया जा रहा है? डायरेक्टर का कहना है कि यह फिल्मकार ही हैं, जिनमें सांप्रदायिक दंगों के बुरे प्रभाव को दिखाने की हिम्मत होती है। यह कला है और इसे इसी नजर से देखा जाना चाहिए। सेंसर बोर्ड ने फिल्म देखी है और अगर कुछ गलत होता, तो वे इसे रोक देते। यह कौन लोग हैं, जो फिल्म की रिलीज रोकना चाह रहे हैं? फिर सेंसर बोर्ड के होने का अर्थ ही क्या रह जाता है?
एक किसान की तरह हो जाएगी फिल्मकारों की हालात
दिल्ली एवं इसके आसपास सटे उत्तर प्रदेश के कई इलाकों- गाजियाबाद, सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, शांगली आदि में जारी फिल्म के विरोध से आहत हरीश कुमार का कहना है कि फिल्मकारों को आसानी से निशाने पर लिया जा सकता है और हमेशा से लिए जाते रहे हैं। अगर ऐसा ही होता रहा, तो देश में फिल्म निर्माता के लिए भी वही हालात हो जाएंगे, जो कि आत्महत्या करने वाले किसान के होते हैं। हरीश का कहना है कि एक किसान बिना बारिश और सरकारी सहायता के आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता है।
बिल्कुल ऐसा ही फिल्म इंडस्ट्री में फिल्मकारों के साथ हो रहा है। हमने शांगली और बिजनौर के जिलाधिकारी को फिल्म रिलीज कराने का आग्रह पत्र भी भेजा, लेकिन उनकी ओर से कोई मदद नहीं मिली। खास बात यह है कि किसी भी राजनीतिक दल ने हमारी फिल्म पर कोई सवाल नहीं उठाया है, लेकिन सरकारी विभाग का रवैया बेहद लापरवाही भरा है।
लोग अपनी मनमानी कर रहे हैं
फिल्म 'मुजफ्फरनगर: द बर्निग लव' में लीड रोल करने वाले एक्टर देव यार्मा एवं एकांश भारद्वाज का कहना है कि इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है, जिसका विरोध किया जा सके। लोग केवल इसके टाइटल को लेकर कयास लगा रहे हैं और अपनी मनमानी कर रहे हैं। इसमें लव जिहाद जैसी भी कोई बात नहीं है, बल्कि इसके जरिये विभिन्न समुदायों के बीच प्यार, सामंजस्य, भाईचारा और सौहार्द्र की भावना को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है। कुछ लोग हमारी फिल्म को बैन कराने की कोशिश कर रहे हैं। थिएटर मालिक भले ही खुलकर कुछ नहीं बता रहे हों, लेकिन इतना तय है कि उन्हें हमारी फिल्म नहीं दिखाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
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