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खादी को दुनिया के लिए फैशनपरस्त परिधान के रूप में पेश करने की अपनी प्रतिबद्धता को फिर से पुष्ट करते हुए रेमण्ड ने द वूलमार्क कंपनी के साथ जुड़कर ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग में एक विशेष समारोह के दौरान ‘खादी वूल’ की पेशकश की। यह अपनी तरह का पहला कलेक्शन है। रेमण्ड की विशुद्ध वूल एवं वूल मिश्रित फैब्रिक की यह विशिष्ट श्रृंखला कुछ सबसे बेहतरीन डिजाइनों की पेशकश करती है। यह डिजाइनें पारखी ग्राहकों की पसंद को पूरा करती हैं।
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सशक्त होंगे ग्रामीण कारीगर
रेमण्ड लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर गौतम हरी सिंहानिया ने उद्घाटन समारोह में कहा, ‘केवीआईसी के साथ जुड़कर हम रेमण्ड में खादी को, जो एक वास्तविक भारतीय परिधान है, भारत के गांवों से लेकर अंतरराष्ट्रीय फैंशन रैम्प तक ले जा रहे हैं। केवीआईसी के साथ हमारे सहयोग से खादी कारीगरों के लिए रोजगार के सालाना तीन मिलियन अतिरिक्त इंसानी घंटों के सृजन की उम्मीद है। यह एक ऐसा कदम है, जिससे ग्रामीण भारत में कारीगर सशक्त होंगे। इस पहल को आगे ले जाते हुए, हम ऑस्ट्रेलिया की वूलमार्क कंपनी से सहयोग कर रहे हैं, ताकि खादी व ऊन मिश्रित परिधानों की उत्कृष्ट शृंखला खड़ी कर सकें, यह उस परिधान को आगे बढ़ाने की पहल है, जो भारतीय विरासत से जुड़ी है।
रेमण्ड अभी राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और जम्मू एवं कश्मीर की 20 से अधिक समूहों के साथ काम कर रहा है, ताकि शुद्ध मरीनो वूल और मिश्रित वूल कलेक्शन में रेमण्ड की डिजाइनों को तैयार किया जा सके। 100 से अधिक खादी समूहों में डिजाइन हस्तक्षेप के रूप में रेमण्ड कारीगरों को तकनीकी विशेषज्ञता भी प्रदान कर रहा है, ताकि उत्पाद की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सके।
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ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर काम
इस अवसर पर द वूलमार्क कंपनी की कंट्री मैनेजर इंडिया आरती गुदाल ने बताया, ‘हमारा मकसद है कि मरीनो वूल को बाजार में एक शानदार और विविधतापूर्ण फाइबर के रूप में मजबूत करें। रेमण्ड के साथ हमारी साझेदारी के पीछे यही आपसी मान्यता है कि हम दोनों कपड़े में लगातार प्रयोग करते रहें। रेमण्ड के साथ मिलकर जो खादी-वूल कलेक्शन विकसित किया गया है, वह उन्नत नवीनता और सहूलियत को दर्शाता है तथा यह ऑस्ट्रेलिया में हमारी उन्नति का भी एक हिस्सा है। यही नहीं, भारत में मरीनो ऊन की असीमित संभावनाओं को सफलतापूर्वक खोजने का यह मेड इन इंडिया का प्रयास है। बायोडीग्रेडेबल प्रॉपरायटरीज के साथ इको-फ्रेंडली फाइबर के तौर पर, मरीनो वूल एक परफेक्ट संकलन है जोकि इसे एक आधुनिक उत्पाद बनाता है और हमें भारत में नवाचार के इसके चरण में अग्रणी बनकर गर्व महसूस हो रहा है।’
भारत में कार्यकारी ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त श्री क्रिस एल्सटोफ्ट इस साझेदारी की मेजबानी कर खुश थे। उन्होंने कहा, ‘आर्थिक और फैशन कूटनीति के जरिये हम ऑस्ट्रेलियाई फैशन उद्योग का विश्व भर में प्रचार-प्रसार करते हैं। इसमें ऑस्ट्रेलियाई मरीनो वूल जैसे हमारे कच्चे माल भी हैं। फैशन हमारे देशों और उनकी संस्कृतियों को आपस में जोड़ता है और यह दोनों देशों में रोजगार भी पैदा करता है। हमारी महत्वाकांक्षा है कि ‘ऑस्ट्रेलिया में विकास करो’ और ‘भारत में बनाओ’ तथा इसके बाद दुनिया भर में भेजो।’ यह बताता है कि हम दो देशों के बीच सहयोग से दोनों को कैसे पारस्परिक फायदा हो सकता है।’
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फैशन शो में दिखा नया कलेक्शन
इस अवसर पर एक शानदार फैशन शो हुआ, जिसमें खादी से जुड़े विचारों को पुनः परिभाषित किया गया। इसमें इस नवीनतम खादी वूल कलेक्शन से निर्मित डिजाइनों के नये कलेक्शन का प्रदर्शन किया गया।
खादी-वूल कलेक्शन सिले हुए कपड़ों और कपड़े के टुकड़े, दोनों नमूनों में उपलब्ध होगा। इससे ग्राहकों को खूबसूतरत श्रृंखला से चुनने के लिए कई विकल्प मिल जाएंगे। इस कलेक्शन की कीमत एक हजार रुपये से लेकर 3000 रुपये प्रति मीटर के बीच होगी और यह देश भर के चुनिंदा रेमण्ड आउटलेट्स पर उपलब्ध होगा।